Home देश-दुनिया अदालत ने कोविड-19 स्व घोषणा फॉर्म रद्द करने की याचिका पर केंद्र, डीजीसीए से जवाब मांगा

अदालत ने कोविड-19 स्व घोषणा फॉर्म रद्द करने की याचिका पर केंद्र, डीजीसीए से जवाब मांगा

नई दिल्ली, 25 नवंबर (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्र और डीजीसीए से एक याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें एयर सुविधा ऐप के तहत प्रदान किए गए अनिवार्य ऑनलाइन स्व-घोषणा फॉर्म को हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया। यात्रियों को विमान में सवार होने से पहले इस फॉर्म को भरना होता है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका पर नागर विमानन मंत्रालय, नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और एअर इंडिया लिमिटेड को नोटिस जारी किया। याचिका में कहा गया है कि स्व-घोषणा फॉर्म के लिए सीट नंबर के साथ तकनीक और स्मार्टफोन के ज्ञान की आवश्यकता होती है जो कई यात्रियों के पास नहीं है।

अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 23 दिसंबर को सूचीबद्ध किया। पेशे से वकील सुमिता कपिल की याचिका में प्राधिकारों से एयर सुविधा ऐप के तहत प्रदान किए गए स्व-घोषणा फॉर्म को हटाने अथवा रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

अधिवक्ता शान मोहन के माध्यम से दायर याचिका में विभिन्न यात्रियों के उदाहरण दिए गए हैं जो विदेश से भारत के लिए उड़ान में सवार नहीं हो पाए क्योंकि वे स्मार्टफोन पर अपने फॉर्म भरने में असमर्थ थे और टिकट तथा आरटी-पीसीआर जांच की ‘नेगेटिव रिपोर्ट’ होने के बावजूद विमान में चढ़ने से पहले उन्हें ऑनलाइन जमा नहीं कर पाए। इसके बाद यात्रियों को ट्रैवल एजेंट से फॉर्म भरवाकर दूसरी उड़ान बुक में टिकट का इंतजाम करना पड़ा, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ।

याचिका में कहा गया है कि स्व-घोषणा फॉर्म में संक्रमण नहीं होने की घोषणा करनी पड़ती है। यह आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट में ही स्पष्ट हो जाता है जिसे हवाई अड्डों पर चेक-इन करने से पहले प्रस्तुत करना होता है और उस रिपोर्ट पर पासपोर्ट नंबर भी होता है। ऐसे में एक फॉर्म ऑनलाइन क्यों जमा करना चाहिए, जब पहले ही अच्छी तरह से इसका पता लगाया जा सकता है।

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