दो दिवसीय देशव्यापी बैंक हड़ताल शुरू, बैंकों के निजीकरण का विरोध
चेन्नई, 16 दिसंबर (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) द्वारा आहूत दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल गुरुवार से शुरू हो गई है।
यूएफबीयू कई बैंक यूनियनों का एक सामूहिक संगठन है।
उन्होंने कहा कि ये हड़ताल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण और संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश करने के केंद्र सरकार के कदम के खिलाफ है।
विधेयक के पारित होने से सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में उनकी इक्विटी पूंजी को 51 प्रतिशत से कम करने में सक्षम होगी और निजी हाथों को उन पर अधिकार करने की अनुमति देगी।
सरकार ने पहले कहा था कि वह अपने दो बैंकों का निजीकरण करेगी।
उनके मुताबिक, सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों के करीब 10 लाख बैंकर हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं।
हड़ताल की वजह से मुंबई, चेन्नई और दिल्ली में चेक क्लियरिंग ग्रिड पर काम प्रभावित होगा और हजारों करोड़ के चेक क्लियर नहीं होंगे।
वेंकटचलम ने कहा कि बुधवार को दिल्ली में हुई सुलह बैठक में, जहां भारतीय बैंक संघ (आईबीए) और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि भी मौजूद थे, यूनियनों ने दोहराया कि अगर केंद्र सरकार उन्हें आश्वासन देती है कि वे संसद में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 पेश करने को टाल देती है तो वह हड़ताल टाल देंगे।
उनके अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सामने एकमात्र मुद्दा विशाल गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का था जिसमें बड़ा हिस्सा बड़े कॉरपोरेट्स का था।
उन्होंने कहा, उत्तरवर्ती सरकारों ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण, सरफेसी अधिनियम, आईबीसी, आदि जैसी पहल की हैं, लेकिन उन्हें वांछित परिणाम नहीं मिले हैं और इसलिए अंततः बैंकों को उन ऋणों को लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप भारी नुकसान हुआ।
यूक्रेन के ड्रोन हमले से रूस के ईंधन टर्मिनल पर लगी आग
मॉस्को, 24 अप्रैल (ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस)। रूस के स्मोलेंस्क क्षेत्र में यूक्रेनी सशस्त्…