Home देश-दुनिया हार्टफुलनेस वृक्ष संरक्षण केंद्र में टिश्यू कल्चर लेबोरेटरी का तोमर ने किया शुभारंभ

हार्टफुलनेस वृक्ष संरक्षण केंद्र में टिश्यू कल्चर लेबोरेटरी का तोमर ने किया शुभारंभ

हैदराबाद/नई दिल्ली, 29 दिसंबर (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हार्टफुलनेस वृक्ष संरक्षण केंद्र द्वारा देशभर में लुप्तप्रायः पेड़-पौधों की प्रजातियों के प्रसार में मदद के लिए स्थापित टिश्यू कल्चर लेबोरेटरी का हैदराबाद में शुभारंभ किया। श्री तोमर ने इस अवसर पर कहा कि कान्हा शांतिवनम अध्यात्म का भी केंद्र है, जो मानव जीवन के विकास और निरंतरता के लिए बहुत आवश्यक है। सब जानते हैं कि अध्यात्म के साथ साथ कर्म की महत्ता अधिक है और इसलिए जब अध्यात्म और कर्म दोनों मिलते हैं तो निश्चित रूप से बड़ी सृजनात्मक शक्ति बन जाती है।
श्री तोमर ने कहा कि लोगों को रोजगार मिले, किसान उन्नत खेती की ओर अग्रसर हो सकें और विलुप्तता की ओर बढ़ रही हमारी पौध को न सिर्फ बचाया जा सके बल्कि और आगे बढ़ाने की दिशा में अग्रसर हो। इसके लिए यहां जो भी आएगा, उसे प्रेरणा मिलेगी और वो इस दिशा में अग्रसर होगा तो हम देश तथा पर्यावरण का बहुत भला और भूमि का संरक्षण कर पाएंगे।
गुरुदेव कमलेश पटेल (दाजी) ने कहा कि पश्चिम के यह साबित करने से बहुत पहले कि पौधे जीवित प्राणी हैं, वैदिक ज्ञान ने हमेशा पेड़ों को प्राथमिकता में रखने की सिफारिश की थी। कई पेड़ों की न केवल पूजा की जाती है, बल्कि भारतीय संस्कृति में उनका आध्यात्मिक महत्व भी है। हमारा पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान भी पौधों पर आधारित है और देश के अधिकांश हिस्सों में पेड़ों को हमेशा सम्मानित प्रजातियों के रूप में उनका हक दिया गया है। पौध-प्रजातियों की रक्षा करना हमारी आने वाली पीढ़ियों और समग्र पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ की दिशा में केवल एक छोटा-सा प्रयास है।
श्री दाजी ने बताया कि हार्टफुलनेस वृक्ष संरक्षण केंद्र का उद्देश्य पौधों के प्रसार के पारंपरिक तरीकों की चुनौतियों का सामना करते हुए अधिक पौधे प्राप्त करने के लिए ऊत्तक संस्कृति प्रौद्योगिकी के माध्यम से विलुप्त होने के करीब आ चुकी वृक्ष प्रजातियों का संरक्षण करना है।
हार्टफुलनेस वृक्ष संरक्षण केंद्र में 10 हजार क्लीनरूम तकनीक के साथ पांच हजार वर्गफुट की सुविधा और 15 लाख वार्षिक पौधा उत्पादन क्षमता है। यहां टिशू कल्चर प्रक्रियाओं की देखरेख भारत और इजरायल के विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा की जाती है। केंद्र द्वारा कम से कम पांच लुप्तप्रायः किस्मों के डेढ़ लाख से ज्यादा पौधे प्रति वर्ष की दर से तैयार और प्रसारित किए जाते हैं।
प्रवास के दौरान केंद्रीय मंत्री श्री तोमर कान्हा शांतिवनम में चल रही संरक्षण परियोजनाएं- वर्षावन, दक्कन पठार, खाद्य वन और यात्रा उद्यान, स्वयंसेवकों की सहायता से बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण आदि से भी अवगत हुए। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चैधरी भी साथ थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Check Also

यूक्रेन के ड्रोन हमले से रूस के ईंधन टर्मिनल पर लगी आग

मॉस्को, 24 अप्रैल (ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस)। रूस के स्मोलेंस्क क्षेत्र में यूक्रेनी सशस्त्…