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लेख - October 4, 2021

विदेशी निवेश के अनुकूल है भारत

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

एक अक्तूबर को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में आयोजित दुबई एक्सपो में 191 देशों की मौजूदगी में भारतीय पवेलियन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विश्व समुदाय को भारत में निवेश करने का न्यौता दिया। उन्होंने कहा कि भारत निवेश अनुकूल अवसरों और विकास का देश है। उन्होंने कहा कि भारत आर्थिक सुधारों, नवाचार और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है। ऐसे में भारत में निवेश करने वाली कंपनियों का न केवल विकास होगा, बल्कि उन्हें हर तरह से लाभ होगा। गौरतलब है कि इन दिनों प्रकाशित हो रही विदेशी निवेश संबंधी वैश्विक रिपोर्टों में भारत को निवेश अनुकूल देश के रूप में चिह्नित किया जा रहा है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में देश में एफडीआई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में एफडीआई 19 प्रतिशत बढ़कर 59.64 अरब डॉलर हो गया। इस दौरान इक्विटी, पुनर्निवेश आय और पूंजी सहित कुल एफडीआई 10 प्रतिशत बढ़कर 81.72 अरब डॉलर हो गया।

वित्त वर्ष 2019-20 में एफडीआई का कुल प्रवाह 74.39 अरब डॉलर था। यदि हम इस बात पर विचार करें कि जब पिछले वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट रही है, इसके बावजूद विदेशी निवेशकों के द्वारा भारत को एफडीआई के लिए प्राथमिकता क्यों दी गई है, तो हमारे सामने कई चमकीले तथ्य उभरकर सामने आते हैं। भारत में निवेश पर बेहतर रिटर्न हैं। भारतीय बाजार बढ़ती डिमांड वाला बाजार है। भारत के एक ही बाजार में कई तरह के बाजारों की लाभप्रद निवेश विशेषताएं हैं। कोरोना की चुनौतियों के बीच भारत का शेयर बाजार चमकीली ऊंचाई पर पहुंचा है। विदेशी मुद्रा भंडार भरपूर होता गया है, देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ी है। आर्थिक सुधार आगे बढ़े हैं। शोध व नवाचार में ऊंचाई बढ़ी है। दुनिया में भारत की सहयोगी देश के रूप में नई पहचान बनी है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) सहित विभिन्न उद्योग संगठनों ने कहा कि देश में भारी एफडीआई प्रवाह से वैश्विक निवेशकों के बीच भारत के पसंदीदा निवेश गंतव्य होने की पुष्टि हुई है। उल्लेखनीय है कि विदेशी निवेशक किसी देश में अपना निवेश करने के पहले उस देश के शेयर बाजार के परिदृश्य को अच्छी तरह मूल्यांकित करते हैं। ऐसे में इस समय दुनिया के निवेशक भारत के शेयर बाजार की तेजी से बढ़ती हुई ऊंचाई को पूरी तरह महत्त्व देते हुए दिखाई दे रहे हैं। पूरी दुनिया यह देख रही है कि भारत का शेयर बाजार तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले वर्ष 23 मार्च 2020 को जो बाम्बे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स 25981 अंकों के साथ ढलान पर दिखाई दिया था, वह 27 सितंबर को 60000 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 24 सितंबर को 638 अरब डॉलर की ऐतिहासिक ऊंचाई पर दिखाई दे रहा है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में ई-कॉमर्स, डिजिटल मार्केटिंग, डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन एजुकेशन तथा वर्क फ्राम होम की प्रवृत्ति, बढ़ते हुए इंटरनेट के उपयोगकर्ता, देशभर में डिजिटल इंडिया के तहत सरकारी सेवाओं के डिजिटल होने से अमेरिकी टेक कंपनियों सहित दुनिया की कई कंपनियां भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि तथा रिटेल सेक्टर के ई-कॉमर्स बाजार की चमकीली संभावनाओं को मुठ्ठियों में करने के लिए निवेश के साथ आगे बढ़ी हैं। निश्चित रूप से देश में एफडीआई बढ़ने का एक बड़ा कारण सरकार के द्वारा पिछले कुछ वर्षों में उद्योग-कारोबार को आसान बनाने के लिए किए गए कई ऐतिहासिक सुधार भी हैं। देश में बड़े टैक्स रिफॉर्म हुए हैं। जीएसटी लागू हुआ है। कारपोरेट कर में बड़ी कमी की गई है और बड़े आयकर सुधार लागू किए गए हैं। देश में आधार बायोमेट्रिक परियोजना, रेलवे, बंदरगाहों तथा हवाई अड्डों के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण जैसी विभिन्न महत्त्वाकांक्षी योजनाओं को लागू किया गया है। ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति के तहत देश में कारोबार को गति देने के लिए कई सुधार किए गए हैं। निवेश और विनिवेश के नियमों में परिवर्तन भी किए गए हैं। पिछले छह-सात वर्षों में 1500 से ज्यादा पुराने व बेकार कानूनों को खत्म कर नए सरल कानूनों को लागू किए जाने और विभिन्न आर्थिक मोर्चों पर सुधारों के दम पर निवेश के मामले में भारत को लेकर दुनिया का नजरिया बदला है। देश में प्रतिभाशाली नई पीढ़ी की कौशल दक्षता, स्टार्टअप, आउटसोर्सिंग और देश में बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की चमकीली क्रयशक्ति के कारण अब विदेशी निवेशक ‘भारत क्यों’ की जगह ‘भारत ही क्यों नहीं’ कहने लगे हैं। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि जो देश नवाचार (इनोवेशन) में आगे बढ़ते हैं, वहां एफडीआई बढ़ने लगता है।

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा जारी वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स जीआईआई) 2021 भारत दो पायदान ऊपर चढ़कर 46वें स्थान पर पहुंच गया है। पिछले वर्ष 2020 में जब दुनिया में कोरोना की पहली लहर आई, तब भारत ने भी दुनिया के कई विकसित देशों की तरह कोरोना वैक्सीन पर शोध शुरू की, लगातार प्रयोग किए गए और कुछ ही महीनों में कोरोना वैक्सीन विकसित की। अब सितंबर 2021 में दिखाई दे रहा है कि भारत कोरोना वैक्सीन का बड़ा उत्पादक देश बन गया है। साथ ही भारत से जरूरतमंद देशों को कोरोना टीकों का निर्यात किया जा रहा है। इसमें भी कोई दो मत नहीं हैं कि कोविड-19 के कारण चीन के प्रति बढ़ती हुई नकारात्मकता और भारत की सकारात्मक छवि के कारण भी भारत में एफडीआई प्रवाह बढ़ा है। कोरोनाकाल में भारत ने दुनिया के कई देशों को कोरोना उपचार की दवाइयां निर्यात की हैं। चूंकि दुनिया के कई खाद्य निर्यातक देश कोरोना महामारी के व्यवधान के कारण चावल, गेहूं, मक्का और अन्य कृषि पदार्थों का निर्यात करने में पिछड़ गए, ऐसे में भारत ने इस अवसर का दोहन करके कृषि निर्यात बढ़ा लिया और इससे दुनिया के विकासशील ही नहीं, कई विकसित देशों को खाद्यान्न और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की कमी के बीच उन्हें बड़ी राहत दी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक भारत दुनिया में 9वें क्रम का सबसे बड़ा कृषि निर्यातक देश बन गया है।

दुनियाभर में भारत के द्वारा उपलब्ध कराई गई खाद्य सुरक्षा का स्वागत किया जा रहा है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि सात विकसित औद्योगिक देशों अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, इटली और जापान के समूह यानी जी-7 के वित्त मंत्रियों की बैठक में वैश्विक स्तर पर कारपोरेट कर की दर को न्यूनतम 15 फीसदी रखे जाने हेतु ऐतिहासिक समझौते पर सहमति बनी है। यह कर समझौता वैश्विक कर परिदृश्य में दशकों का सबसे बड़ा और दूरगामी परिवर्तन साबित हो सकता है। ऐसा समझौता भारत के लिए लाभप्रद होगा। इस समझौते के बाद भारत में एफडीआई बड़ी रफ्तार से बढ़ते हुए दिखाई दे सकेंगे। यदि हम चालू वित्त वर्ष 2021-22 में पिछले वित्त वर्ष के तहत प्राप्त किए गए करीब 82 अरब डॉलर के एफडीआई से अधिक की नई ऊंचाई चाहते हैं तो जरूरी होगा कि वर्तमान एफडीआई नीति को और अधिक उदार बनाया जाए। जरूरी होगा कि देश में लागू किए गए आर्थिक सुधारों को तेजी से क्रियान्वयन की डगर पर आगे बढ़ाया जाए। जरूरी होगा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था की विभिन्न बाधाओं को दूर करके इसका विस्तार किया जाए। ऐसा किए जाने पर चालू वित्त वर्ष 2021 में एफडीआई की चमकीली संभावनाओं को मुठ्ठियों में लिया जा सकेगा और इससे देश के उद्योग कारोबार व अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगी।

 

 

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