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चीन ने आईपीईएफ का विरोध किया

बीजिंग, 24 मई (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत समेत हिंद-प्रशांत क्षेत्र के 12 देशों के साथ नये व्यापार समझौते की शुरुआत की है, जिसका मकसद व्यापारिक, आर्थिक और निवेश अवसरों को बढ़ाना है। हालांकि इस समझौते को क्षेत्र में अपने प्रभुत्व के सामने चुनौती के तौर पर देख रहे चीन ने इसका विरोध करते हुए इसे ”आर्थिक उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’’ (इकॉनोमिक नाटो) करार दिया है।

बाइडन ने सोमवार को तोक्यो में क्वॉड सम्मेलन की पूर्व संध्या पर हिंद-प्रशांत आर्थिक समृद्धि ढांचा (आईपीईएफ) की शुरुआत की थी। यह एक ऐसी पहल है जिसका मकसद स्वच्छ ऊर्जा, आपूर्ति-श्रृंखला में लचीलेपन और डिजिटल व्यापार जैसे क्षेत्रों में समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग को प्रगाढ़ बनाना है।

आईपीईएफ से यह संकेत मिलने की उम्मीद है कि अमेरिका क्षेत्र में व्यापार को लेकर चीन की आक्रामक रणनीति का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत आर्थिक नीति बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

अमेरिका के नेतृत्व वाली इस पहल में शामिल होने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।

अमेरिका के नेतृत्व वाले व्यापार सौदे ने पहले ही बीजिंग में खलबली मचा दी है। समझौते की घोषणा होते ही विदेश मंत्री वांग यी ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजनाओं और और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अधिक सहयोग की पेशकश की।

वांग ने वीडियो लिंक के जरिये एशिया-प्रशांत के लिए आर्थिक व सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) को संबोधित करते हुए कहा, ”एशिया-प्रशांत क्षेत्र वह जगह है जहां चीन रहता है और पैदा हुआ है।”

उन्होंने कहा, ”चीन अपने हित के लिए एशिया-प्रशांत पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगा और ठोस कार्यों के साथ इसकी स्थायी शांति व सतत विकास में अधिक योगदान देगा।”

वांग ने आईपीईएफ का नाम लिए बिना कहा कि बीजिंग ‘ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप’ के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौते व क्वाड गठबंधन की नई व्यापार व आर्थिक पहल का मुकाबला करने के उद्देश्य से ‘डिजिटल इकोनॉमी पार्टनरशिप समझौते’ पर काम करेगा।

वहीं सरकार द्वारा संचालित ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने चीनी सामरिक विशेषज्ञों का हवाला देते हुए एक लेख लिखा, जिन्होंने आईपीईएफ को ”आर्थिक नाटो” करार दिया है। साथ ही उन्होंने यह स्वीकार किया कि यह पहल इस क्षेत्र के देशों को कुछ अवसर प्रदान करेगी।

समाचार पत्र की खबर में कहा गया है कि चीन क्वॉड गठबंधन को ”एशियाई नाटो” मानते हुए इसकी आलोचना करता है, जिसका उद्देश्य चीन के उभार को रोकना है।

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