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लेख - October 31, 2022

01 नवम्बर को मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस : स्वर्णिम मध्यप्रदेश: सपना नहीं अब हकीकत

-निलय श्रीवास्तव-

-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-

मध्यप्रदेश देश का हृदय स्थल है। विभिन्न धर्म, सम्प्रदाय, कला- संस्कृति का समागम यहाँ देखने को मिलता है। दूसरे राज्यों के लोगों को मध्यप्रदेश भाता है यही वजह है कि देश के अन्य प्रांतों के लोगों का अक्सर यहाँ आना जाना बना रहता है। पुरातत्व स्थलों की एक झलक पाने तो कहीं धार्मिक स्थलों का महत्व जानने, उन्हें देखने के लिए सैलानियों का बड़ी संख्या में यहाँ आवागमन होता है। अभी कुछ दिन पूर्व ही उज्जैन के महाकाल मंदिर को नया स्वरूप मिला है। महाकाल लोक के इस नये स्वरूप से मध्यप्रदेश की पहचान एक बार फिर देशभर में स्थापित हुयी है। महाकाल लोक जैसे ही दर्शनार्थियों के लिए खोला गया, दूसरे राज्यों से यहाँ तक कि विदेशों से भी सैलानियों को बड़ी संख्या में महाकाल लोक के दर्शन लाभ लेते देखा गया। मध्यप्रदेश में ऐसे अनेक धार्मिक तथा पुरातात्विक स्थल हैं जहाँ आर्कषक साज- सज्जा तथा नये सिरे से पुनरोद्वार कर उन्हें एक नया स्वरूप प्रदान किया जा सकता है। इस दिशा में मध्यप्रदेश सरकार बेहतर प्रबंधन कर आवश्यक संसाधन जुटा सकती है। सौभाग्य की बात है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान धर्म प्रेमी तथा कला- संस्कृति के उपासक हैं, इसलिए इस काम को वे गति दे सकते हैं। यहाँ बता दें कि महाकाल लोक की ही तरह अन्य धार्मिक स्थलों के संरक्षण और रखरखाव को यदि प्रमुखता देकर उनका पुनरोद्धार कराया जाये तो मध्यप्रदेश आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या जैसे- जैसे बढ़ेगी, मध्यप्रदेश के राजस्व में वृद्धि होने के साथ- साथ स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी सुलभ होंगे।

इतिहास साक्षी है, अमरकंटक से निकलकर खंभात की खाड़ी तक अविरल प्रवाह में बहने वाली जीवन दायिनी नर्मदा नदी यहाँ है तो विश्व प्रसिद्ध खजुराहों के कलात्मक मंदिर। विश्व प्रसिद्ध खजुराहों एक ऐसा स्थल है जो विदेशी पर्यटकों में निरंतर लोकप्रिय है, खजुराहों के कलात्मक मंदिर तथा सांची के स्मारक अपने गौरवशाली अतीत को दर्शाते हुए विश्वभर में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके हैं । इनके रखरखाव तथा संरक्षण पर विशेष ध्यान देने के कारण यहाँ आने वाले विदेशी पर्यटकों को कोई असुविधा नहीं होती तथा वे इन्हें देखकर रोमांचित होते हैं। इनके अलावा ओरछा के मंदिर, प्रदेश के तीन देवी शक्तिपीठ और ऐतिहासिक प्राचीन स्थल भी यहाँ हैं जिन्हें देखकर अहसास होता है कि पूर्वकाल में मानव एक-दूसरे के धर्मों के समावेश में विश्वास रखता था। इन बेशकीमती स्थलों का संरक्षण और रखरखाव निरन्तर बना रहना चाहिये ताकि मध्यप्रदेश में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या बढना प्रदेश के लिये गौरव की बात होगी। मध्यप्रदेश सरकार इन पुरातात्विक तथा धार्मिक स्थलों के संरक्षण का दायित्व पूरी निष्ठा के साथ निभा रही है। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चैहान स्वयं समय- समय पर इन वैभवशाली स्थलों का निरीक्षण करते हैं।

सुखद समाचार है कि कुछ महत्वपूर्ण स्थलों का नये सिरे से पुनरोद्वार कर उन्हें नया स्वरूप देने की कार्ययोजना तैयार कर ली गयी है। इस तरह विकास की ऊँचाईयों का नित् नया स्पर्श कर मध्यप्रदेश ने देश के अन्य राज्यों के समक्ष नजीर पेश की है। कहने में अतिश्योक्ति नहीं कि यहाँ की योजनाओं, कला- संस्कृति तथा विभिन्न कार्यक्रमों को लोगों ने सराहा है। पिछले डेढ़ दशक के दौरान न सिर्फ यहाँ की कला संस्कृति को अभिनव पहचान मिली बल्कि देश के बाहर से भी लोगों ने आवागमन शुरू किया। कोई उद्योग लगाना चाहता है तो कोई शिक्षा के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाना चाहता है। प्रदेश के वह गांव जहाँ कोई जाना नहीं चाहता था, आज वहाँ हर व्यक्ति पढ़ा-लिखा तथा अपने अधिकारों के प्रति पूरी तरह जागरूक दिखाई देता है। यह किसी भी प्रदेश के लिये निश्चित रूप से गौरव की बात है। इस तरह दिखावे और प्रतिस्पर्धा से दूर मध्यप्रदेश विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर विकास की नित् नयी ऊँचाईयों को स्पर्श कर रहा है। व्यापारिक दृष्टि से भी मध्यप्रदेश में संभावना तलाश की जाती हैं। विगत् ढाई वर्ष के दौरान कोरोनाकाल में हुए आर्थिक नुकसान की भरपायी तेजी से हो रही है। अब प्रदेश वापस उसी दौर में लौट रहा है।

एक नवम्बर को मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन हर प्रदेशवासी को यह संकल्प लेना होगा कि उसे प्रदेश के विकास में अपना योगदान सुनिश्चित करना है। इस खुशहाल तथा शांत प्रदेश को यदि देश के मानचित्र में विकासशील राज्य के रूप में पहचान दिलाना है तो सभी को बदले की भावना से की जा रही राजनीति को त्यागकर तथा सत्ता का मोह छोडकर सिर्फ प्रदेश के हित के बारे में सोचना होगा। सबको मिलकर तथा सबको साथ लेकर ही जनकल्याणकारी कार्यो में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना होगी तभी प्रदेश खुशहाल तथा विकासशील होगा। मध्यप्रदेश एक विशाल राज्य है और यहाँ के रहवासी शिक्षित एवं बुद्धिजीवी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं इसलिये उम्मीद की जा सकती है कि वह विकास में अपना सहयोग देंगे। वह दिन दूर नहीं जब प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में तरक्की सुनिश्चित होगी जिसका लाभ सभी को मिलेगा। स्थापना दिवस पर हर व्यक्ति यह भी संकल्प ले कि हम मध्यप्रदेश में विकास का ऐसा इतिहास लिखेंगे जिसमें नौजवानों के पास काम होगा, किसानों के पास दाम होगा और महिलाओं का सम्मान होगा। याद रखना होगा कि सामाजिक द्वेष आपसी मतभेद और धार्मिक उन्माद को भुलाकर ही हम स्वर्णिम मध्यप्रदेश की अवधारणा को पूरा कर सकेंगे।

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