मानसून का दगा
-सिद्वार्थ शंकर-
-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
जब कहा जाता है कि धरती लगातार गर्म हो रही है और इससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है, तब इस बात को अधिकांश लोग गंभीरता से नहीं लेते। सारी जिम्मेदारी कुछ लोगों पर मढ़ दी जाती है। मगर अब ग्लोबल वार्मिंग अपना प्रभाव दिखाने लगी है। दुनिया का तापमान तेजी से गर्म हो रहा है। मानसून के सीजन में भारत में लू चल रही है तो अमेरिका-कनाडा जैसे देशों में गर्मी ने रिकार्ड तोड़ दिया है। गर्मी से लोगों की जान जा रही है। सड़कों पर पानी के फव्वारे चल रहे हैं। आखिर क्यों, यह सब करने की जरूरत क्यों पड़ रही है। इसके लिए प्रकृति जिम्मेदार है या पर्यावरण के साथ हम जो खिलवाड़ कर रहे हैं, वह। उत्तर भारत के अधिकतर क्षेत्रों में गुरुवार को लोगों को ‘लू’ के कहर का सामना करना पड़ा। भीषण गर्मी के कारण कई राज्यों में बिजली की मांग भी बढ़ गई है। वहीं, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अगले दो दिन तक ‘लू’ की स्थिति बनी रहने की संभावना है। इन स्थानों पर चिलचिलाती गर्मी से फिलहाल कोई राहत नहीं मिलने वाली है। राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में सात जुलाई से पहले मानसून की बारिश होने की कोई संभावना नहीं है। इसके बाद क्षेत्र में जुलाई के शुरुआती 15 दिनों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। पिछले कुछ दिनों में देश के उत्तरी मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है। दक्षिण-पश्चिम मानसून हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों, पश्चिमी राजस्थान और पंजाब को छोड़ देश के बाकी हिस्सों में पहुंच गया है। हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में कई स्थानों पर असामान्य रूप से अधिक तापमान दर्ज किया जा रहा है।
लद्दाख की नुब्रा घाटी के थोइस और हिमाचल प्रदेश के सोलन में तापमान क्रमशः 31 डिग्री सेल्सियस और 35.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। देश के सबसे ठंडे इलाकों में से एक द्रास में भी अधिकतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। द्रास में तापमान एक समय शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। भीषण गर्मी के बीच पंजाब में प्रति दिन बिजली की मांग 14,000 मेगावाट से अधिक हो गई है, जिसके कारण सरकारी बिजली आपूर्तिकर्ता पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड को मजबूरन बिजली कटौती और उद्योगों पर पाबंदियां लगानी पड़ रही हैं। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, जून में 10 प्रतिशत अधिक बारिश होने के बावजूद कम से कम 202 जिलों में अब तक का सबसे कम मानसूनी बारिश हुई और 183 जिलों को कम बारिश के हालात का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में किसान चिंतित हैं, क्योंकि मानसून के आने में देरी से उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में फसलों की बुवाई और रोपाई, सिंचाई समय-निर्धारण और बिजली की जरूरतों जैसे कृषि कार्यों पर असर पडने की संभावना है। मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, 19 जून तक हरियाणा, दिल्ली, पंजाब सहित उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून ने कवर किया। 19 जून के बाद से मानसून में कोई प्रगति नहीं देखी गई है। हालांकि, यह 26 जून से कमजोर पडने लगा है। जून में सामान्य से 10 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई। सबसे ज्यादा बारिश तीन से 19 जून के बीच हुई। मौसम विभाग के अनुसार, पूरे देश में दो तरह के मौसम है, जहां एक और शुष्क मौसम है, वहीं दूसरी ओर पूर्वोत्तर भारत के कुछ राज्यों में भारी बारिश है। इसमें पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार में भारी बारिश के चलते कुछ जिलों में बाढ़ जैसे हालात हो सकते हैं। मौसम विभाग ने कहा है पिछले एक हफ्ते में दक्षिण पश्चिम मानसून कमजोर पड़ा है, जिसके चलते इस सीजन में देश में बारिश की बड़ी कमी दर्ज की गई है। मध्य और पश्चिमी भारत में कई स्थानों पर तापमान गुरुवार को 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। दिल्ली में यह 43.6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया, जो 90 साल में सबसे अधिक है। इससे पहले दिल्ली में एक जुलाई 1931 को 45 डिग्री तापमान, जबकि पांच जुलाई 1987 को 43.5 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया था। इसके बाद दो जुलाई, 2012 को यह 43.5 डिग्री रहा था।
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