न्यायालय का 2017 में प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति खिलाफ ‘‘प्रायोजित’’ याचिका मामले में पांच लाख रुपए जुर्माना वसूलने का आदेश
नई दिल्ली, 30 जुलाई (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि उस वादी से पांच लाख रुपये का जुर्माना वसूला जाए जिसने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की नियुक्ति को चुनौती देते हुए 2017 में एक ‘‘प्रायोजित’’ याचिका दायर की थी।
स्वामी ओम (दिवंगत) और मुकेश जैन ने 2017 में भारत के निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश द्वारा अपने उत्तराधिकारी का नाम राष्ट्रपति के पास अनुशंसा के रूप में भेजे जाने की प्रथा पर सवाल उठाए थे।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने जुर्माना कम करने के जैन, जो वर्तमान में एक दूसरे मामले में ओडिशा के बालासोर जेल में बंद हैं, के आवेदन का संज्ञान लिया। पीठ ने कहा कि उन्होंने एक बार फिर ‘‘शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के खिलाफ निराधार आरोप’’ लगाए हैं।
पीठ ने कहा कि सक्षम प्राधिकार जैन की बची जमीन से जुर्माने की रकम वसूल सकता है।
पीठ ने कहा कि जुर्माने की वसूली तक उन्हें शीर्ष न्यायालय में कोई अन्य जनहित याचिका दायर करने की अनुमति नहीं होगी।
उच्चतम न्यायालय ने जुर्माने की रकम कम करने का आवेदन खारिज करते हुए कहा कि 2017 में 10 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया था लेकिन पिछले वर्ष इसे घटाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया।
जैन की तरफ से पेश हुए वकील ए. पी. सिंह ने कहा कि उनके पास कोई जमीन नहीं है और दूसरे मामलों में जमानत मिलते ही उन्हें अदालत के समक्ष पेश होने के लिए कहा जा सकता है।
पीठ ने कहा कि वह मामले को स्थगित नहीं करती रहेगी और अधिकारियों को निर्देश दिया जा सकता है कि वे जुर्माना वसूलें।
उच्चतम न्यायालय ने 24 अगस्त 2017 को कहा था कि ओम और जैन पर कड़ा जुर्माना लगाया जाए ताकि यह संदेश जा सके कि लोग इस तरह की याचिकाएं दायर करने से बचें।
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