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लेख - February 20, 2023

भारत को अगुआ बनाएंगे प्रवासी भारतीय

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-

यकीनन पिछले माह जनवरी में संपन्न हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन के बाद प्रवासी भारतीय दुनियाभर में भारत को अगुआ बनाए जाने के अभियान में जुट गए हैं। ज्ञातव्य है कि 8 से 10 जनवरी तक इंदौर में बड़े ही भव्य रूप में आयोजित 17वां प्रवासी भारतीय सम्मेलन अभूतपूर्व रहा है। इस प्रवासी सम्मेलन में शामिल करीब 70 देशों के 3500 से अधिक प्रतिनिधियों का यह स्वर सम्मेलन के दौरान लगातार गूंजता रहा कि आर्थिक चुनौतियों के बीच भारत ने 75 साल का संतोषजनक सफर तय किया है और तेजी से आगे बढ़ते सामथ्र्यवान भारत पर प्रवासियों को गर्व है। इस सम्मेलन में शामिल आईटी, कम्प्यूटर, मैनेजमेंट, बैंकिंग, वित्त, फॉर्मा, ऑटोमोबाइल्स, एजुकेशन आदि के क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधि भारत के साथ आर्थिक सहयोग, ज्ञान-कौशल सहभागिता को बढ़ावा देने और देश की आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 तक भारत को दुनिया का विकसित देश और विश्व गुरू बनाने में अहम भूमिका निभाने का संकल्प लेते हुए दिखाई दिए।

गौरतलब है कि 9 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय प्रवासी दिवस सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रवासी भारतीय भारत के अभिन्न अंग हैं। जहां भारत के विकास में प्रवासियों की अहम भूमिका है, वहीं भारत ने अपने प्रवासियों को ताकत देने के लिए हरसंभव प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र अगले 25 वर्षों के अमृत काल में प्रवेश कर चुका है और हमारे प्रवासी भारतीय समुदाय को वैश्विक स्तर पर भारत को अगुआ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इस सम्मेलन में गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली मुख्य अतिथि तथा सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 10 जनवरी को इस कार्यक्रम के समापन समारोह में शामिल हुई। इस दौरान उन्होंने विदेशों में अपने-अपने क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियां हासिल करने और अपनी अलग पहचान बनाने वाले 57 प्रवासी भारतीयों को सम्मानित भी किया। नि:संदेह 17वां प्रवासी भारतीय सम्मेलन पिछले प्रवासी भारतीय सम्मेलनों की तुलना में अधिक प्रभावी व अधिक लाभप्रद रहा है।

ज्ञातव्य है कि दुनिया में भारतवंशियों और प्रवासी भारतीयों का सबसे बड़ा डायस्पोरा है जिसकी संख्या लगभग 3.2 करोड़ है। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में भारतीय प्रवासियों की कुल संख्या 1.79 करोड़ तक पहुंच गई। प्रवासियों की यह संख्या वर्ष 1990 में 66 लाख के मुकाबले छलांगे लगाकर तेजी से बढ़ी है। 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन में यह रेखांकित हुआ कि भारतवंशी और प्रवासी भारतीय वैश्विक तंत्र का अद्वितीय और अहम हिस्सा हैं। वे शासन-प्रशासन, कला, साहित्य, शिक्षा, खेल, कारोबार, प्रौद्योगिकी सहित अन्य क्षेत्रों में दुनिया की अगुवाई कर रहे हैं। प्रवासी भारतीय भारत की महान पूंजी हैं। प्रवासी भारतीय विश्व के समक्ष भारत के वास्तविक राजदूत हैं और भारत का चमकता हुआ चेहरा हैं। साथ ही ये विश्व मंच पर भारत के हितों के हिमायती भी हैं। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि भारतीय प्रवासी भारत को धन भेजने के मामले में अन्य सभी देशों के प्रवासियों से बहुत आगे हैं। विश्व बैंक के द्वारा जारी माइग्रेशन एंड डेवलमपेंट ब्रीफ रिपोर्ट 2022 के मुताबिक विदेश में कमाई करके अपने देश में धन (रेमिटेंस) भेजने के मामले में वर्ष 2022 में भारतीय प्रवासी दुनिया में सबसे आगे रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022 में प्रवासी भारतीयों के द्वारा भेजी जाने वाली रकम करीब 100 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है। पिछले वर्ष 2021 में प्रवासियों ने 87 अरब डॉलर की धन राशि स्वदेश भेजी थी। प्रवासियों से धन प्राप्त करने वाले दुनिया के विभिन्न देशों की सूची में भारत वर्ष 2008 से अब तक पहले क्रम का देश बना हुआ है। कोविड महामारी के बाद यह माना जा रहा था कि विदेश से लौटे प्रवासी वापस नहीं जाएंगे, लेकिन यहां से ज्यादा लोग विदेश गए और उन्होंने भारत के लिए अपना सहयोग और अधिक बढ़ाया।

विगत 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर वाशिंगटन में अमेरिका के भारतीय मूल के लोगों और प्रवासी भारतीयों से सम्बद्ध अन्य सभी देशों के प्रवासियों से गैर-लाभकारी संस्थाओं के एक संयुक्त संगठन इंडिया फिलांथ्रोपी अलायन्स (आईपीए) के तत्वावधान में भारत के विकास और मानव विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक आर्थिक मदद दिए जाने का निर्णय विभिन्न देशों के प्रवासी भारतीयों के लिए भी प्रेरणादायी बन गया है। आईपीए ने 2 मार्च 2023 को इंडिया गिविंग डे मनाने का निश्चय किया है। अभी तक आईपीए जिस तरह भारत को सहयोग के लिए सालाना करीब एक अरब डॉलर जुटाता है, उसे अगले साल बढ़ाकर 3 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य तय किया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अतीत में जब भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में तेज गिरावट आई तब प्रवासियों ने मुक्त हस्त से भारत के विदेशी मुद्रा कोष को बढ़ाने में सहयोग दिया है। जब वर्ष 1998 में भारत के द्वारा किए गए परमाणु परीक्षण पोखरण-2 विस्फोट के बाद अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों के द्वारा भारत पर लगाए गए तब आर्थिक प्रतिबंधों को वापस कराने में प्रवासी भारतीयों ने देश का सबसे ज्यादा साथ दिया और दुनिया का रुख बदलने में अहम भूमिका निभाई। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने हेतु अगस्त 1998 में रीसर्जेंट इंडिया बॉन्ड्स की मदद से 4.8 अरब डॉलर की राशि जुटाई गई थी। इसी तरह 2001 में इंडिया मिलेनियम डिपॉजिट स्कीम की मदद से करीब 5 अरब डॉलर से अधिक की राशि जुटाई गई। ऐसे प्रयासों से विदेशी मुद्रा भंडार की चिंताएं कम हुई थी। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर के समय दुनिया के विभिन्न देशों में चिंता और अनिश्चितता के दौर में फंसे भारतीयों को प्रवासी भारतीयों का हर तरह से साथ मिला था।

इस तरह वर्ष 2021 की कोरोना संक्रमण की दूसरी दर्दनाक लहर के बीच भारतीय प्रवासियों ने भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक मजबूत करने के लिए बेमिसाल सहयोग दिया। 17वें प्रवासी सम्मेलन में यह बात भी उभरकर सामने आई कि अब जहां प्रवासी भारतीय भारत को मजबूत बनाने में अपनी सहभागिता और अधिक बढ़ाएंगे, वहीं भारत को भी प्रवासियों के दुख-दर्द में अधिक सहभागी बनना जरूरी होगा। हमें प्रवासियों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के निराकरण में अहम भूमिका निभाना होगी। वस्तुत: दुनिया के सारे प्रवासी भारतीय बहुत धनी नहीं हैं। अधिकांश देशों में कोविड-19 के बाद इनकी आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं है। खासतौर से विभिन्न खाड़ी देशों में लाखों कुशल-अकुशल भारतीय श्रमिकों के न्यूनतम वेतन और जीवन के लिए जरूरी उपयुक्त सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु हरसंभव मदद करना होगी। दुनिया के कई देशों में कार्यरत भारतीय एम्बेसी और हाई कमीशन के द्वारा भारतीयों के साथ अच्छे व्यवहार की भी जरूरत बनी हुई है। हम उम्मीद करें कि 8 से 10 जनवरी 2023 को इंदौर में आयोजित 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन के बाद अब भारतवंशियों और प्रवासी भारतीयों के साथ स्नेह, सहयोग और आपसी विकास के नए, असाधारण एवं अभूतपूर्व अध्याय दिखाई देंगे। हम उम्मीद करें कि 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन के बाद भारतीय प्रवासियों से एक बार फिर देश में विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के साथ-साथ गरीबी, भूख की चुनौती, जीवन प्रत्याशा, स्वास्थ्य व शिक्षा की बड़ी चुनौतियों के निराकरण और देश में डिजिटल नई पीढ़ी तैयार करने के लिए अधिक सहयोग मिलेगा। हम उम्मीद करें कि जिस तरह तीन दशक पहले चीन के प्रवासियों ने चीन की चमकीली आर्थिक तस्वीर बनाने में अहम भूमिका निभाई है, उसी तरह प्रवासी भारतीय वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने में भूमिका निभाएंगे।

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