अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत
-डा. वरिंदर भाटिया-
-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
वित्त मंत्रालय की एक ताजातरीन रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी लहर की मार झेलने के बाद अब भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। आम आदमी और देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना की लहरों की मार काफी असहज महसूस हुई थी, लेकिन अब अर्थव्यवस्था को लेकर नजरिया पॉजिटिव हो रहा है। इसके कुछ कारण तो इस प्रकार हैंः दूसरी लहर के चलते कुछ सेक्टरों में इकॉनमिक रिकवरी असमान दिख रही थी, अब पोर्ट ट्रैफिक, एयर ट्रैफिक, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज में धीमा सुधार दिख रहा है। औद्योगिक उत्पादन के ताजा अनुमान दिखाते हैं कि देश के आठ कोर उद्योगों में चरणबद्ध धीरे-धीरे वृद्धि दिख सकती है। अच्छा मानसून रहने, खरीफ की बढ़ती बुआई और राज्यों में अनलॉक की बढ़ती प्रक्रिया से खाद्य आपूर्ति और महंगाई में राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि कमोडिटी की कीमतों और इनपुट में लागत के दबाव में मांग केंद्रित रिकवरी के चलते खतरे बने हुए हैं। इस समय टारगेटेड वित्तीय रिलीफ, मॉनेटरी पॉलिसी के तहत उठाए गए राहत कदमों और तेज गति से हो रहे वैक्सीनेशन ड्राइव के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था सुधार के अनेक संकेत दिखा रही है।
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लिए गए कई निर्णयों के कारण अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी के प्रभाव को काफी कम करते हुए जून 2021 माह में वृद्धि दर साफ तौर पर पुनः पटरी पर आती दिख रही है। वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी के प्रथम एवं द्वितीय दौर के कारण विश्व के लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं विपरीत रूप से प्रभावित हुई हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था भी बच नहीं पाई है एवं वित्तीय वर्ष 2020-21 की प्रथम तिमाही (अप्रैल-जून 2020) में तो 25 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर दर्ज हुई थी। यह देश में कोरोना महामारी के प्रारंभ का समय था एवं देश में लॉकडाउन लगाया गया था जिससे देश में आर्थिक गतिविधियां, कृषि क्षेत्र को छोड़कर, लगभग थम सी गई थीं। देश की 60 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर स्पष्टतः दिखाई दिया था। जुलाई-सितंबर 2020 तिमाही में भी अर्थव्यवस्था में कुछ संकुचन दिखाई दिया था।
परंतु इस नकारात्मक वृद्धि दर को तृतीय (अक्तूबर-दिसंबर 2020) एवं चतुर्थ तिमाही (अप्रैल-मार्च 2021) में ही सकारात्मक वृद्धि दर में परिवर्तित कर लिया गया था और जैसे ही आभास होने लगा था कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की प्रथम तिमाही (अप्रैल-जून 2021) में अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर बहुत तेज गति से आगे बढ़ेगी तो कोरोना महामारी का दूसरा दौर प्रारंभ हो गया जिससे वृद्धि दर में अप्रैल एवं मई 2021 माह में कुछ कमी दृष्टिगोचर हुई। केंद्र सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लिए गए कई निर्णयों के कारण अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी के प्रभाव को काफी कम करते हुए जून 2021 माह में वृद्धि दर साफ तौर पर पुनः पटरी पर आती दिख रही है। विभिन्न आर्थिक गतिविधियों संबंधी जून 2021 माह के आंकड़ों का वर्णन निम्न प्रकार किया जा रहा है: भारत में मोबिलिटी इंडेक्स (गतिशीलता सूचकांक) 21 से 25 जून के बीच में कोरोना महामारी के द्वितीय दौर के पूर्व के स्तर पर वापस आ गया है। इसका आशय यह है कि देश में लोग अपने घरों से व्यापार एवं व्यवसाय के लिए निकलने लगे हैं।
क्योंकि एक तो कोरोना के संक्रमण की दर में तेजी से कमी आई है, दूसरे वैक्सिनेशन कार्यक्रम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है एवं देश में लगभग 35 करोड़ के आसपास वैक्सिनेशन के डोजेज लगाए जा चुके हैं। देश में एनर्जी कन्जम्प्शन (ऊर्जा का उपभोग) जून 2021 माह में पिछले वर्ष के जून माह से 10 प्रतिशत अधिक रहा है। साथ ही यह मई 2021 माह की तुलना में भी 4 प्रतिशत अधिक रहा है। इसका आशय यह है कि औद्योगिक गतिविधियों में तेजी दर्ज की जा रही है। ऊर्जा का उपभोग मार्च 2021 माह के उच्चतम स्तर से भी अब 8 प्रतिशत अधिक हो गया है। ई-वे बिल जनरेशन 1 जून से 27 जून 2021 तक की अवधि में मई 2021 की तुलना में 19 प्रतिशत अधिक पाए गए हैं एवं जून 2020 माह की तुलना में यह 9 प्रतिशत अधिक हैं। अखिल भारतीय स्तर पर यातायात वाहनों के रजिस्ट्रेशन की संख्या में भी आकर्षक बढ़ोतरी देखने में आई है। जून 2021 के अंतिम सप्ताह में यातायात वाहनों के रजिस्ट्रेशन की संख्या में 17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। यह स्तर कोरोना की दूसरी लहर के पूर्व के स्तर से कुछ अधिक ही है। मई 2021 माह की तुलना में जून 2021 माह में 115 प्रतिशत अधिक यातायात वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराया गया है एवं जून 2020 माह की तुलना में यह 16 प्रतिशत अधिक है।
दोपहिया वाहनों के रजिस्ट्रेशन में भी 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है तो भारी व्यावसायिक यातायात वाहनों के रजिस्ट्रेशन में 64 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है एवं चार पहिया वाहनों के रजिस्ट्रेशन में 32 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। महाराष्ट्र राज्य में मकानों की बिक्री ने भी अब रफ्तार पकड़ ली है और प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की संख्या जून 2021 माह में जून 2020 माह की तुलना में 79 प्रतिशत अधिक है। औद्योगिक क्षेत्र से संबंधित उक्त आंकड़ों में सुधार के बाद बेरोजगारी की दर में भी अब कमी देखी गई है। सीएमआईई इंडिया बेरोजगारी दर जो कोरोना महामारी के दूसरे दौर के बाद 9.4 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी, वह अब नीचे गिरकर 8.7 प्रतिशत के स्तर पर आ गई है। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर 10.3 प्रतिशत की तुलना में अब यह 9 प्रतिशत पर नीचे आ गई है। जबकि, ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की दर 8.9 प्रतिशत के उच्चतम स्तर से गिरकर अब 8.6 प्रतिशत पर आ गई है।
साथ ही ईपीएफओ में नए अभिदाताओं की संख्या भी मई 2021 माह के 11.20 लाख से बढ़कर जून 2021 माह में 12.8 लाख हो गई है जोकि जून 2021 माह में 14 प्रतिशत से बढ़ी है। इसी प्रकार बैंकों द्वारा प्रदान किए जा रहे ऋणों में भी 4 जून 2021 को समाप्त अवधि के दौरान 9900 करोड़ रुपए की वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है। भारत से होने वाले निर्यात एवं आयात के व्यापार में भी जबरदस्त उछाल देखने में आया है। देश से वस्तुओं का निर्यात जून 2021 माह के दौरान 47.34 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 3246 करोड़ अमरीकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। जबकि देश में वस्तुओं का आयात 4186 करोड़ अमरीकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। इस प्रकार जून 2021 माह में व्यापार घाटा 940 करोड़ अमरीकी डॉलर का रहा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 की प्रथम तिमाही (अप्रैल-जून 2021) के दौरान निर्यात ने 85 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 9500 करोड़ अमरीकी डॉलर के स्तर को प्राप्त कर लिया है। किसी भी तिमाही में प्राप्त किया गया अब तक का यह सर्वोच्च स्तर है। अच्छी खबर यह है कि कई श्रम आधारित उद्योगोंध्क्षेत्रों से निर्यात में वृद्धि काफी अधिक रही है। इसका आशय है कि इन उद्योगोंध्क्षेत्रों में रोजगार के कई नए अवसर निर्मित हुए हैं। विदेशी निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास लगातार बना हुआ है क्योंकि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में लगातार वृद्धि हो रही है एवं नित नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान देश में अभी तक का सबसे अधिक, 8172 करोड़ अमरीकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है। और भी कई सुधार हुए हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बाउम्मीदी की तरफ बढ़ रही है। यह एक बड़ी कामयाबी है। इसे लय में रखने के लिए आर्थिक नीतियों में जमीनी स्तर पर और अधिक यथार्थवादी नीति बदलाव की अभी भी दरकार है।
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