उपचुनाव के नतीजों ने किसको दिया झटका तो किसकी बढ़ी ताकत, जानें परिणामों का विस्तृत विश्लेषण
-अंकित सिंह-
-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
भले ही देश में त्योहारों का माहौल है। लेकिन अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर भी राजनीतिक दल अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं। इन सबके बीच इस सप्ताह 3 लोकसभा सीट और 29 विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी आए। कहीं न कहीं यह नतीजे भाजपा और कांग्रेस के लिए अच्छी खबर भी लेकर आएं। कहीं भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया तो कहीं उसे अपनी ही सीट गंवानी पड़ी। यही हाल कांग्रेस का रहा। प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में हमने इन्हीं दो विषयों पर बातचीत की। हमने प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे से पूछा कि इन उपचुनाव के नतीजों को वह कैसे देखते हैं और इसका देश की राजनीति में क्या असर रहने वाला है?
इसके जवाब में नीरज कुमार दुबे ने कहा कि ज्यादातर राज्यों में हमने यही स्थिति देखी कि जिसकी सरकार है उसने ही बाजी मारी है। लेकिन हिमाचल में कहीं ना कहीं भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव में मिली हार के बाद कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। हमने देखा किस तरीके से गुजरात में भाजपा ने अचानक ही मुख्यमंत्री बदल दिया। शायद ऐसा ही कुछ इन उपचुनाव के नतीजों के बाद हिमाचल प्रदेश में भी हो सकता है। ऐसे में जयराम ठाकुर के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मध्य प्रदेश के उपचुनाव के नतीजों को नीरज दुबे ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के लिए राहत वाली बात मानी। उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चैहान इन उपचुनाव के नतीजों के बाद और मजबूत हुए हैं और उन्हें लेकर जिस तरह की चर्चा की जा रही थी कि कहीं उन्हें भी मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है उसपर अब विराम लग सकता है। तेलंगाना में भाजपा की जीत को नीरज दुबे ने टीआरएस के लिए खतरे की घंटी बताया और कहा कि आने वाले दिनों में भाजपा तेलंगाना में और भी मजबूत हो सकती हैं।
उपचुनाव के नतीजों में असम में भाजपा और एनडीए ने 5 सीटों पर जीत हासिल की। इस पर नीरज दुबे ने कहा कि जाहिर सी बात है कि असम सहित पूरे पूर्वोत्तर में हिमंता बिस्वा सरमा की इससे पकड़ मजबूत होगी और उन्होंने पार्टी आलाकमान को यह संदेश भी दे दिया है कि कहीं ना कहीं वह मजबूत स्थिति में हैं। राजस्थान को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि एक ओर उपचुनाव के नतीजे अशोक गहलोत के लिए राहत लेकर आया है तो वहीं सचिन पायलट के लिए खतरे की घंटी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान उपचुनाव के नतीजे वसुंधरा राजे को फायदा पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा कि अब आलाकमान को वसुंधरा यह कह सकती हैं कि उनके बगैर राजस्थान में पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकती है क्योंकि इस उपचुनाव से वसुंधरा दूर रही थीं और प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया तथा कई बड़े नेता इसमें लगातार प्रचार कर रहे थे। पश्चिम बंगाल के नतीजों को नीरज दुबे ने कोई चैंकाने वाला नतीजा तो नहीं बताया। हां, यह जरूर कहा कि जिसकी सरकार रहती है उसके पक्ष में वोट जाते हैं। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह से पश्चिम बंगाल में माहौल है। उससे वहां की जनता ने टीएमसी के पक्ष में वोट डाला। उन्हें इस बात का आभास जरूर होगा कि अगर वह बीजेपी को वोट डालेंगे तो कहीं ऐसा ना हो कि उनके खिलाफ हिंसा की घटनाएं होने लगे।
आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि भाजपा के लिए यह बड़ी चुनौती है क्योंकि वह सत्ता में है वह भी चार राज्यों में। ऐसे में कहीं ना कहीं उसने अपनी तैयारी को अभी से शुरू कर दी है। गोवा को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि वहां भाजपा मजबूत है और प्रमोद सावंत के रूप में एक ईमानदार मुख्यमंत्री काम कर रहा है। टीमसी को फिलहाल गोवा में कोई बहुत ज्यादा फायदा होने वाला नहीं है। आम आदमी पार्टी के लिए भी उन्होंने कुछ ऐसा ही कहा। कांग्रेस वहां मुकाबला कर सकती है लेकिन पार्टी के कई बड़े नेता अब दूसरे दलों में शामिल हो चुके हैं जो कि संकट की बात है। दूसरी तरफ उत्तराखंड को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि वहां अमित शाह हाल में ही गए थे और उन्होंने एक संकेत जरूर दे दिया कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ही लड़ेगी। उत्तराखंड को लेकर अमित शाह ने एक अहम बैठक भी की है। उत्तर प्रदेश को लेकर धीरज दुबे ने यही कहा कि आने वाले दिनों में वहां राजनीतिक बयानबाजी और भी बढ़ेंगी और नेता एक दूसरे पर जमकर प्रहार करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश दिल्ली के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में सभी दल वहां अपना-अपना जोर लगाएंगे। यही कारण है कि सभी दलों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।
असम, मप्र में भाजपा हुई मजबूत, कांग्रेस ने चार राज्यों में उससे सीटें छीनीं
नयी दिल्ली, दो नवंबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दलों ने 29 विधानसभा सीटों के लिए हाल में हुए उपचुनावों में मंगलवार को 14 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस ने आठ सीटें जीती। इस उपचुनाव के परिणाम हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना को छोड़कर ज्यादातर राज्यों में सत्तारूढ़ दलों के पक्ष में रहे। हिमाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा को बड़ा झटका देते हुए विपक्षी दल कांग्रेस ने तीनों विधानसभा सीटों फतेहपुर, अर्की और जुबल-कोटखाई और प्रतिष्ठित मंडी लोकसभा सीट पर जीत हासिल की। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को राज्य में हुए उपचुनावों में मतदाताओं का जोरदार समर्थन मिला। उसने राज्य की सभी चार विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की, जिसमें वे दो सीटें भी शामिल हैं जो उसने भाजपा से छीनी है। तृणमूल कांग्रेस को 75.02 प्रतिशत वोट मिले। देश के 13 राज्यों में हुए उपचुनावों के परिणाम भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के लिए भी मिलेजुले रहे। कांग्रेस ने राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में बढ़त हासिल की और भाजपा से सीटें छीनी, लेकिन उसे असम, मध्य प्रदेश और मेघालय में नुकसान हुआ। अंतिम परिणाम के अनुसार, भाजपा को सात विधानसभा सीटों पर जीत मिली, जबकि उसके सहयोगी जद (यू) ने दो (बिहार में), यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल – दो (असम में), एमएनएफ-एक (मिजोरम में) और एनपीपी – दो (मेघालय में) सीटें जीती। एनपीपी की सहयोगी यूडीपी को भी एक सीट मिली। कांग्रेस ने आठ सीटें, टीएमसी ने चार, वाईएसआरसी ने एक और इनेलो ने एक सीट जीती। लोकसभा की एक-एक सीट कांग्रेस, शिवसेना और भाजपा ने जीती। सहानुभूति, राजनीतिक दलों के लिए काम करता प्रतीत हुआ।
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