Home देश-दुनिया रास से 12 सदस्यों का निलंबन हटाने की मांग कर रहे विपक्ष के हंगामे के कारण बैठक बारह बजे तक स्थगित

रास से 12 सदस्यों का निलंबन हटाने की मांग कर रहे विपक्ष के हंगामे के कारण बैठक बारह बजे तक स्थगित

नई दिल्ली, 02 दिसंबर (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। राज्यसभा में, मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने की वजह से शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित 12 सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहे विपक्ष के हंगामे के कारण बृहस्पतिवार को उच्च सदन की बैठक शुरू होने के केवल दस मिनट बाद ही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। हंगामे की वजह से आज भी उच्च सदन में शून्यकाल नहीं हो पाया।

बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने, शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद से अब तक सदन में कोई कामकाज न हो पाने को लेकर चिंता जाहिर की।

सभापति ने कहा ‘‘शीतकालीन सत्र की आज चैथी बैठक है लेकिन अब तक कोई कामकाज नहीं हो पाया है। संविधान निर्माताओं ने जन प्रतिनिधियों पर महती जिम्मेदारी दी है जिसका समुचित निर्वहन जरूरी है।’’ इस बीच, विपक्षी दलों के सदस्यों ने 12 सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। कुछ सदस्य आसन के समीप आ गए। सभापति ने इन सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने की अपील की और कहा ‘‘आप मुझ पर कुछ भी थोप नहीं सकते।’’

उन्होंने कहा कि 12 सदस्यों के निलंबन की कार्रवाई की वजह भी बताई गई थी। उन्होंने कहा ‘‘सोमवार को संसदीय कार्य मंत्री ने सदन में वजह बताते हुए निलंबन का प्रस्ताव रखा था। यह सब ‘पब्लिक डोमेन’ में है। कुछ सदस्यों ने निलंबन को अलोकतांत्रिक बताया है। कुछ ने कहा कि ऐसा पहली बार किया गया है।’’

सभापति ने कहा ‘‘ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी अशोभनीय आचरण के चलते, नियमानुसार निलंबन की कार्रवाई की गई है और सदस्यों के अफसोस जाहिर करने के बाद उनका निलंबन वापस लिया गया है। लेकिन इस बार सदस्यों ने कोई पछतावा जाहिर नहीं किया है। ‘‘

नायडू ने कहा कि वह पहले भी कह चुके हैं कि यदि निलंबित सदस्यों को अपनी गलती का एहसास हो तो नेता प्रतिपक्ष और सदन के नेता आपस में चर्चा कर सकते हैं और उनका निलंबन वापस लेने के विपक्ष के प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है।

उन्होंने सदस्यों से शांत रहने, अपने स्थानों पर लौट जाने और शून्यकाल चलने देने की अपील की। उन्होंने शून्यकाल के तहत मुद्दा उठाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के अजय प्रताप सिंह का नाम पुकारा। सिंह ने बोलना शुरू किया लेकिन हंगामे की वजह से उनकी बात सुनी नहीं जा सकी। हंगामा थमता न देख सभापति नायडू ने 11 बज कर करीब दस मिनट पर बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

गौरतलब है कि सोमवार को आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि तक के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था।

जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।

 

 

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