Home लेख स्मृति शेषः चीन-पाक से दो-दो हाथ करने को तैयार थे जनरल रावत
लेख - December 10, 2021

स्मृति शेषः चीन-पाक से दो-दो हाथ करने को तैयार थे जनरल रावत

-आर.के. सिन्हा-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

एक बेहद दुखद हेलिकॉप्टर हादसे में देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के निधन से सारे देश का शोक में डूबना लाजिमी है।

जनरल रावत के अलावा 12 अन्य लोगों की मौत हो गई है। देश को आगामी 16 दिसंबर को पाकिस्तान से 1971 की जंग में विजय के पचास साल के अवसर पर जश्न मनाना था और शहीदों को याद करना था। जाहिर है, उन सब कार्यक्रमों पर भी जनरल रावत के न रहने से गहरा असर पड़ेगा। जनरल रावत को देश का पहला सीडीएस बनाया गया था। वे इससे पहले भारतीय सेना के प्रमुख भी रहे थे। उन्हें थल सेना और जल सेना के कामकाज की भी गहन समझ थी। वे तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बिठाने का काम शानदार तरीके से कर रहे थे।

जनरल रावत चीन के मामलों के गहन विशेषज्ञ थे और भारत की चीन और पाकिस्तान के साथ सरहद पर चल रही तनातनी पर सरकार को लगातार सलाह देते थे। उनका मानना था कि देश किसी भी परिस्थिति में दबेगा नहीं। वह शत्रुओं की ईंट का जवाब पत्थर से देगा। चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद पर जनरल रावत ने कहा था कि ष्लद्दाख में चीनी सेना के अतिक्रमण से निपटने के लिए सैन्य विकल्प भी है। लेकिन, यह तभी अपनाया जाएगा जब सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वार्ता विफल रहेगी।ष्

रावत के बयान से आम हिन्दुस्तानी आश्वस्त हुआ था कि भारत किसी भी स्थिति के लिए तैयार है। उन्होंने जो कहा उसमें कुछ भी गलत नहीं था। वह एक सधा हुआ संतुलित बयान था।

जनरल रावत देश को कभी अंधेरे में नहीं रखते थे। उन्होंने चीन को भारत के लिए सुरक्षा के लिहाज से सबसे बड़ा खतरा बताया था। कुछ समय पहले ही जनरल रावत ने कहा था, ‘सुरक्षा के लिहाज से चीन, भारत के लिए बड़ा खतरा बन गया है और हजारों की संख्या में सैनिक और हथियार, जो देश ने हिमालयी सीमा को सुरक्षित करने के लिए पिछले साल भेजे थे, लंबे समय तक बेस पर वापस नहीं लौट सकेंगे। जनरल रावत ने चीन को लेकर कुछ ऐसा कहा कि चीन को बहुत बुरा लगा। तिलमिलाए चीन ने रावत के बयान पर कहा, भारतीय अधिकारी बिना किसी कारण के तथाकथित ‘चीनी सैन्य खतरे’ पर अटकलें लगाते हैं, जो दोनों देशों के नेताओं के रणनीतिक मार्गदर्शन का गंभीर उल्लंघन है।

चीन भले कुछ भी कहता रहे अपने पक्ष में, पर यह बात साफ है कि भारत के सामने असली चुनौती चीन की ही है। जब से जनरल रावत ने सीडीएस का कामराज संभाला था, वे सेना के तीनों अंगों को तैयार कर रहे थे कि अगर भारत को चीन-पाकिस्तान का एक साथ जंग के मैदान में सामना करना पड़े तो भी भारत पीछे न रहे। उनकी इस सोच के चलते भारतीय फौज भी अपने को लगातार तैयार कर रही थी। ये सब सैन्य तैयारियां चीन-पाकिस्तान देख रहे थे। उन्हें जनरल रावत के एग्रेसिव सोच का पता चल चुका था।

दरअसल चीन को लेकर जो राय जनरल रावत व्यक्त कर रहे थे वही पूर्व रक्षामंत्री स्वर्गीय जॉर्ज फर्नांडिस कई साल पहल कर चुके थे। उन्होंने चीन को भारत का सबसे बड़ा दुश्मन बताया था। पोखरण-2 परमाणु परीक्षण के बाद तत्कालीन एनडीए सरकार के रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस ने दावा किया था कि भारत का चीन दुश्मन नंबर वन है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना था कि जॉर्ज साहब ने यह बयान रक्षा मंत्री रहने के दौरान मिली जानकारियों के आधार पर दिया होगा।

जॉर्ज के अलावा पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव भी मानते थे कि भारत का पाकिस्तान से बड़ा दुश्मन चीन है। साल 2017 में डोकलाम विवाद के बाद लोकसभा में मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि भारत के लिए सबसे बड़ा मुद्दा पाकिस्तान नहीं बल्कि चीन है। केंद्र सरकार को आगाह करते हुए उन्होंने कहा था कि भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा चीन है और सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

बहरहाल, रक्षा मामलों के कुछ जानकार मानते हैं कि अगर भारत का चीन के साथ अब युद्ध हुआ, तो पाकिस्तान भी मैदान में खुलकर आएगा चीन के हक में। इसी के साथ अगर पाकिस्तान का भारत के साथ युद्ध हुआ तो चीन भी पाकिस्तान के हक में लड़ेगा। रक्षा मामलों के जानकार और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तो सार्वजनिक रूप से यह कहते रहे हैं कि अगर भारत-चीन युद्ध छिड़ता है तो पाकिस्तान शांत नहीं बैठेगा। वह भी चीन के हक में लड़ेगा।

बेशक, चीन और पाकिस्तान के तेवर देखते हुए भारतीय सुरक्षा बलों को जमीनी और समुद्री सीमाओं पर पूरे साल सतर्क रहना पड़ रहा है। भारतीय सेनाएं इस जिम्मेदारी को जनरल रावत की सरपरस्ती में बखूबी निभा रही थीं। जनरल रावत के आकस्मिक निधन के बाद भी भारत की चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर तनाव खत्म नहीं होने वाला। यह तो मानकर ही चलिए। मतलब भारत अपने दो शत्रु देशों का सरहद पर एक साथ प्रतिदिन ही सामना करता रहेगा। जब तक उन्हें एक बार अच्छी तरह से ठंडा न कर दे। ये साबित कर चुके हैं कि ये बाज नहीं आएंगे। इनसे मैत्रीपूर्ण संबंधों की अपेक्षा नहीं की जा सकती। तो भारत को अपने इन पड़ोसी मुल्कों की नापाक हरकतों का मुकाबला करने के लिए हर वक्त चैकस रहना ही होगा।

जनरल रावत के स्थान पर बनने वाले देश के नए सीडीएस के ऊपर जिम्मेदारी होगी कि वे अपने पूर्ववर्ती यानी जनरल रावत के समय सेना को मजबूत करने के कार्यों को जारी रखें। यही उस महान योद्धा के प्रति देश की सच्ची श्रद्धांजलि होगी। वे देवभूमि उत्तराखंड के गौरव और देश के योद्धा थे। कृतज्ञ भारत उन्हें सदैव याद रखेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Check Also

केदारनाथ धाम के कपाट 10 मई को खुलेंगे

उखीमठ, 08 मार्च (ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस)। उत्तराखंड में हिमालय की कंदराओं में स्थित 11वें…