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लेख - December 20, 2021

जब एक दिन के लिए गायब हो गईं हेमा मालिनी

-अजय कुमार शर्मा-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

यह सत्तर के दशक की उस समय की बात है जब हेमा मालिनी सुपर सितारा थीं और उस समय के लगभग सभी सुपर सितारे खासतौर पर धर्मेंद्र, जितेंद्र और संजीव कुमार उनकी खूबसूरती के दीवाने बने हुए थे।

हेमा मालिनी से मिलने, उन तक अपने संदेश पहुंचाने, उनके साथ समय बिताने के लिए अलग-अलग तरह की तिकड़में लगाई जाती और इसमें हेमा मालिनी के साथ अधिकतर रहने वाले उनके हेयर ड्रेसर, मेकअप मैन तथा सहयोगी कलाकारों का सहारा लिया जाता था।

हां, यह सब हेमा जी की मां जया चक्रवर्ती जो उनके साथ हमेशा होती थीं उनकी नजर बचाकर किया जाता था। मां के साथ ही उनके पिता वी.एस. आर.चक्रवर्ती को भी उत्तर भारतीय नायकों के साथ उनका नाम जोड़ा जाना बिल्कुल पसंद नहीं था। धर्मेंद्र से तो बिल्कुल भी नहीं क्योंकि वह पहले से शादीशुदा थे। सभी फिल्मी पत्र-पत्रिकाएं उनके संबंधों के बारे में अफवाहों से भरी रहतीं। इस बीच धर्मेंद्र कई छोटे-बड़े पत्रकारों को हेमा के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने पर पीट भी चुके थे। वे दीवानगी की हद तक हेमा के प्रति अधिकार- भाव रखने लगे थे। संवेदनशील हेमा इस सबसे बेहद तनाव में रहती। इसी दौरान हेमा की होनेवाली भाभी स्मिता ने उन्हें उनके परिवार की गुरु माँ इंदिरा जी से मिलवाया जो पुणे में रहती थीं।

एक दिन जब वे शूटिंग के लिए निकल ही रही थीं कि उनके पास स्टूडियो से शूटिंग रद्द होने का फोन आया। उन्होंने यह बात किसी को भी नही बताई। उस दिन उनका स्टाफ भी उनके साथ नहीं था। अचानक हेमा ने अपने ड्राइवर से पुणे चलने को कहा तो वह घबरा गया क्योंकि उसे उनके परिवार का स्पष्ट निर्देश था कि वह उन्हें अकेले लेकर कहीं भी न जाए। पर जब उन्होंने जोर दिया तो वह मान गया।

हेमा अपने इस साहसिक कार्य पर खुद भी अचंभित हो रही थी, पर कुछ ऐसा था, जो उन्हें खींचे जा रहा था। पुणे में हेमा सीधे माँ इंदिरा जी के आश्रम जा पहुँचीं। आश्रम के भक्तजन उन्हें देखकर आश्चर्यचकित थे। हेमा मालिनी ने प्रवचन में भाग लिया और उसके खत्म हो जाने के बाद भी वहीं बैठी रहीं। उन्होंने पूरा दिन इंदिरा माँ के साथ ही बिताया। हेमा उनके सान्निध्य मात्र से ही बेहद शांति का अनुभव कर रही थीं।

तब तक हेमा के परिवार को भी उनकी शूटिंग रद्द हो जाने का पता चल चुका था। उन्होंने उन सभी मित्रों और संबंधियों को फोन किया, जहाँ उनके जाने की संभावना हो सकती थी। यहां तक कि धर्मेंद्र को भी फोन किया गया पर उन्हें भी पता नहीं था कि हेमा कहाँ गई थीं। अंततः हेमा की माँ को ही इंदिरा जी के पुणे स्थित आश्रम में संपर्क करने की याद आई। तब उन्हे इंदिरा ने कहा कि वे अपनी बेटी के लिए चिंतित न हों, क्योंकि वह उनके पास पूरी तरह सुरक्षित हैं और सुबह ही बंबई लौटेगी।

चलते-चलते

इंदिरा माँ ने हेमा को शांत और सहज रूप से आध्यात्मिकता के पथ पर चलना सिखा दिया था। वे उन्हें जीवन और कर्म के बारे में समझाया करती थीं। उन्होंने कई भारतीय मिथकीय पात्रों की साहसिक, उनकी निष्ठा और त्याग की कहानियाँ उन्हें सुनाई। वे मीरा के प्रति कुछ ज्यादा ही लगाव रखती थीं। वे हेमा से हमेशा ही कहा करती थीं कि तुम्हें किसी दिन किसी फिल्म में मीरा का किरदार जरूर करना चाहिए।ष्

एक बार जब हेमा आश्रम से घर लौटीं तो फिल्मकार प्रेमजी उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। प्रेमजी कई सालों से हेमा को लेकर फिल्म बनाना चाह रहे थे, पर कुछ भी तय नहीं हो पा रहा था। उनके पास एक-दो स्क्रिप्ट तो थीं, पर हेमा को वे पसंद नहीं आ रही थीं। तब हेमा ने प्रेमजी से कहा कि अगर आप मीरा के ऊपर फिल्म बनाने के इच्छुक हों तो मैं उसका हिस्सा बनना पसंद करूंगी। अगले ही दिन प्रेमजी ने गुलजार को लेखक और निर्देशक के रूप में अनुबंधित कर लिया।

 

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