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लेख - January 14, 2022

वार्ता फिर विफल

-सिद्वार्थ शंकर-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष इलाकों से गतिरोध खत्म करने के लिए बुधवार को भारत-चीन के सैन्य कमांडरों के बीच 14वें दौर की वार्ता भी चीन के हठ के चलते बेनतीजा रही। वार्ता में भारत की तरफ से हॉट स्प्रिंग, डेप्सांग और डेमचोक इलाकों में सैनिकों की पूर्ण वापसी पर जोर दिया गया, मगर चीन अपना ही राग अलापने में लगा रहा। इस बातचीत में भारत ने इस बात पर जोर दिया था कि विवाद को खत्म करने के लिए ऐसे समाधान निकाले जाएं जिससे द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत बनाया जा सके। दरअसल, फैक्ट ये है कि चीन सीमा कानून और अनसुलझे एलएसी के अपने हिस्से में तेजी से सैन्य और तकनीकी अपग्रेडेशन के साथ 3,488 किमी लाइन को ‘नियंत्रण रेखा्य में बदल रहा है। भारतीय और चीनी सेनाएं मई 2020 से सीमा विवाद में उलझी हुई हैं। चीन ने एकतरफा प्रयास करते हुए सीमा पर स्थिति बदलने का प्रयास किया। वहीं, अब सीमा पर तनाव को देखते हुए दोनों पक्षों ने सीमा पर मिसाइल, रॉकेट, आर्टिलरी और टैंक रेजिमेंट के साथ हर तरफ सैनिकों के तीन से अधिक डिवीजनों की तैनाती है। इसके अलावा वायुसेना को भी स्टैंडबाय के तौर पर रखा गया है। भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि देपसांग समेत टकराव के सभी बिंदुओं पर लंबित मुद्दों का समाधान दोनों देशों के बीच संबंधों के समग्र सुधार के लिए जरूरी है। दरअसल, जब तक कैलाश रेंज पर भारतीय जवानों का कब्जा रहा, चीन दबा रहा। वार्ता के दौरान चीन ने कई इलाकों में अपनी फौज पीछे हटाने के एवज में भारत से कैलाश रेंज खाली करने की मांग रखी। जब कैलाश रेंज खाली हो गया तो चीन फिर से अपने रंग में लौट गया। अब भारत के सामने चीन को देपसांग इलाके में पीछे धकेलने की चुनौती फिर से मुंह बाए खड़ी है। देपसांग क्षेत्र में कई जगहों पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं। वार्ताओं में सहमति के बावजूद चीनी सेना भारतीय सैनिकों को पिछले साल से ही अपने पारंपरिक पेट्रोलिंग पाइंट पीपी-10, 11, 11ए, 12 और 13 के साथ-साथ देमचोक क्षेत्र सेक्टर में ‘ट्रैक जंक्शन्य चार्डिंग निंगलुंग नाला (सीएनएन) तक जाने नहीं दे रही है। चीनी सैनिकों ने इन इलाकों के रास्ते रोक रखे हैं। भारत चाहता है कि देपसांग पठार में उसे गश्त के पुराने अधिकार मिलें, जहां चीनी सैनिक अभी उसे पीपी 10 से 13 तक जाने नहीं दे रहे। भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि देपसांग समेत टकराव के सभी बिंदुओं पर लंबित मुद्दों का समाधान दोनों देशों के बीच संबंधों के समग्र सुधार के लिए जरूरी है। माना जा रहा है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता के 14वें चरण में देपसांग में तनाव कम करने पर जोर देते हुए अपना रुख पुरजोर तरीके से रखा था। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव के मद्देनजर भारत ने स्पष्ट कह दिया है कि चीन अगर अपने सैनिकों को वापस लौटने को नहीं कहता है, तो उसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर भी पड़ेगा। अगर चीन भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को बरकरार रखना चाहता है, तो उसे सीमा पर तनाव खत्म करना ही होगा। इससे साफ है कि भारत सरकार ने मन बना लिया है कि अगर चीन के रुख में बदलाव नहीं आता है, तो वह कड़े कदम भी उठाने को तैयार है। अब तक दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, पर गलवान, पैंगोग त्सो, गोगरा और देपसांग इलाकों से चीनी सैनिक वापस नहीं गए हैं। गलवान में शुरुआती संघर्ष और फिर सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद चीनी सेना कुछ पीछे जरूर लौटी थी, पर वह अपनी चैकियों में नहीं गई। वह फिंगर आठ तक आगे बढ़ आई, जो भारतीय सेना की निगरानी में आता है।

 

 

 

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