Home लेख ऑपरेशन गंगा – सुलगते सवाल
लेख - March 9, 2022

ऑपरेशन गंगा – सुलगते सवाल

-निर्मल रानी-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

रूस द्वारा यूक्रेन के विरुद्ध छेड़े गये सैन्य अभियान के बाद भारत सरकार ने यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को भारत वापस बुलाने के लिये जो कथित ‘बचाव अभियान ‘ छेड़ा उसे ‘ऑपरेरशन गंगा ‘ का नाम दिया गया है। परन्तु यह ‘बचाव अभियान’ यूक्रेन में नहीं चलाया जा रहा बल्कि भारत अपने नागरिकों को यूक्रेन के सीमावर्ती देशों रोमानिया, पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया और मॉल्डोवा आदि देशों से वायुसेना के विमानों से भारत वापस ला रहा है। इसलिये कुछ लोग कह रहे हैं कि इसे ‘बचाव अभियान’ कहने के बजाये ‘मुफ़्त वापसी हवाई यात्रा अभियान ‘ कहना ज़्यादा मुनासिब होगा। क्योंकि यूक्रेन में बसे भारतीय विशेषकर वहां भारतीय बच्चे किन अभूतपूर्व संकटकालीन परिस्थितियों में भारत सरकार तथा भारतीय दूतावास की किसी भी सहायता के बिना भूखे प्यासे,बीमार अवस्था में ट्रेन,बसों अथवा पैदल मार्ग से भीषण बंबारी व धमाकों के बीच चलते हुए पड़ोसी रोमानिया, पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया व मॉल्डोवा देशों में पहुँच रहे हैं यह सोशल मीडिया पर उनके द्वारा भेजे जा रहे वीडिओ क्लिप से पता चलता है। जबकि हमारे देश का अधिकांश मीडिया यूक्रेन में फंसे भारतीयों के दुःख दर्द बयान करने वाले ऐसे वीडिओज़ को दिखाकर सत्ता के प्रति अपनी वफ़ादारी पर ‘दाग़ ‘ नहीं लगाना चाहता।
बहरहाल ख़बरों के मुताबिक़ इस स्वदेश वापसी अथवा ऑपरेशन गंगा के तहत गत 8 मार्च तक भारतीय वायुसेना व अन्य भारतीय एयरलाइंस के द्वारा 76 विमानों से 16,000 से अधिक नागरिकों को भारत वापस लाया जा चुका है। जबकि संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद को मंगलवार( 8 मार्च) को बताया कि भारत अब तक यूक्रेन से 20 हज़ार भारतीयों को सुरक्षित तरीक़े से बाहर निकालने में कामयाब रहा। ग़ौरतलब है कि युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीयों को स्वदेश वापस लाने वाली पहली उड़ान 26 फ़रवरी को बुखारेस्ट से भारत पहुंची थी। कहा जा रहा है कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से लोगों का पलायन द्वितीय विश्वयुद्द के बाद के दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी संकट की चुनौती के रूप में सामने आ सकता है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि 11 दिनों के युद्ध के दौरान ही तक़रीबन 17 लाख लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं।
‘ऑपरेशन गंगा’ के दौरान सरकारी प्रतिनिधि के रूप में अनेक मंत्रियों द्वारा अपने सहयोगी ‘गोदी मीडिया ‘ की जुगलबंदी के साथ फिर वही शर्मनाक हरकतें की जा रही हैं जिन्हें मानवीय व नैतिकता के दृष्टिकोण से हरगिज़ सही नहीं ठहराया जा सकता। गोदी मीडिया की इतनी हिम्मत नहीं कि वह सत्ता से यह सवाल करे कि बावजूद इसके कि रूस व यूक्रेन दोनों ही देशों में भारतीय दूतावास होने के बावजूद क्यों और किन परिस्थितियों में भारतीय दूतावास को समय रहते इस बात की जानकारी नहीं हो सकी कि रूस यूक्रेन पर आक्रमण करेगा ? और इस आक्रमण से पहले भारत समय रहते अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने की एडवाइज़री क्यों नहीं जारी कर सका ? बजाय इसके मीडिया यह ज़रूर दिखाता फिर रहा है कि कैसे मोदी सरकार के मंत्री हवाई जहाज़ में घुसकर वापस आये भारतीयों का स्वागत करते हैं और प्रधानमंत्री मोदी का गुणगान करते हैं और उनसे हवाई जहाज़ में मोदी के ज़िंदाबाद के नारे भी लगवाये जाते हैं।
परन्तु यही घटनाक्रम आप सोशल मीडिया पर देखें जिन्हें स्वयं यूक्रेन के भुक्तभोगी भारतीय छात्रों व अन्य भारतीय नागरिकों ने रिकॉर्ड व अपलोड किया है तो ऑपरेशन गंगा के लिये सरकार व मीडिया के जुगलबंदी से सत्ता की पीठ थपथपाने के सभी प्रयास खोखले नज़र आते हैं। उदाहरण के तौर पर एक भारतीय छात्रा ने बताया कि जब वे भारतीय छात्रों के एक दल के साथ किसी तरह रोमानिया पहुंची तो ‘रोमानिया के लोगों ने उनकी पूरी सहायता की। उन्हें ठहरने की जगह दी और नाश्ता भोजन व पानी जैसी सभी बुनियादी सहूलियतें मुहैय्या कराईं। जबकि ठीक इसके विपरीत रोमानिया में स्थित भारतीय दूतावास के लोगों ने उन भारतीय बच्चों के साथ अत्यंत आपत्तिजनक व गंदा व्यवहार किया। भारतीय छात्रों के अनुसार भारतीय दूतावास के लोगों ने उनसे कहा कि जो छात्र दूतावास के बाथरूम साफ़ करेंगे पहले उन्हीं छात्रों को भारत ले जाया जायेगा,शेष लोगों को बाद में भेजा जायेगा। छात्रों के अनुसार वे इतने अधिक थके हुए थे कि बाथरूम साफ़ करने का उनमें साहस था। इसके बावजूद कई लोग जो यथाशीघ्र संभव भारत वापस जाना चाहते थे उन्होंने बाथरूम व टॉयलेट साफ़ करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और भारतीय दूतावास के कर्मचारियों के सामने ही उन्हें यह सब करना पड़ा।
इसी रोमानिया का एक वीडीओ सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुआ जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया व रोमानिया के मेयर के बीच नोक झोंक होती देखी गयी। प्राप्त समाचारों अनुसार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सरकार के प्रतिनधि मंत्री के रूप में रोमानिया में ठहराए गए भारतीय बच्चों से मिलने पहुंचे और बच्चों को संबोधित करते हुए भारत सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों का बखान करने लगे। तभी वहां मौजूद शहर के मेयर ने सख़्त लहजे में सिंधिया को टोक दिया और तीखी बहस करने लगा । मेयर ने ऊँची आवाज़ में पूरे ग़ुस्से में सिंधिया से कहा कि ‘आप अपनी बात कीजिए, हम इन बच्चों के रहने और खाने का प्रबंध कर रहे हैं, आप नहीं कर रहे। आप इन्हें ये बतायें कि इन्हें घर कब ले जा रहे हैं? कई वीडियो ऐसे देखने को मिले जिसमें सरकारी प्रतिनधि यूक्रेन से वापस आने वाले नागरिकों को विमान से उतारते समय फूल भेंट करना चाहते हैं परन्तु कई ग़ुस्साए लोग इस फूल को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
यूक्रेन के पड़ोसी देशों में सैकड़ों मील का सफ़र बसों,ट्रेन्स अथवा पैदल तय कर स्वदेश पहुंचे भारतीय नागरिकों लोगों को भारत सरकार द्वारा अपनी सामर्थ्य और विदेश नीति के तहत, वापस लेन का जो काम किया है उसकी सराहना ज़रूर की जानी चाहिये परन्तु इसकी आड़ में उनकी परेशानियों पर पर्दा डालने की कोशिश करना और उसी समय अपने प्रयासों की वाहवाही लूटने के लिये तरह तरह के हथकंडे अपनाना,अपनी पीठ थपथपाना और इसका राजनैतिक लाभ उठाना, यह नैतिकता के बिल्कुल विपरीत है। पहले भी सरकार ने इराक़ सहित अनेक युद्धग्रस्त देशों से भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी के लिये बचाव एवं वापसी के कई सफल अभियान चलाये हैं परन्तु किसी सरकार ने ऐसा ढिंढोरा नहीं पीटा। परन्तु सरकार के लाख ढिंढोरों के बावजूद भुक्तभोगी लोगों के वीडिओ व उनके बयान ‘ऑपरेशन गंगा’ को लेकर कई सुलगते सवालों को जन्म ज़रूर देते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

झारखंड, महाराष्ट्र विस चुनाव के साथ रिक्त विस सीटों के चुनाव की घोषणा

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस)। चुनाव आयोग ने 15 राज्यों में रिक्त विधानस…