नेतन्याहू का दांव उल्टा पड़ा, इजराइल में सरकार बनाने के लिये विरोधी विचारधारा के दल एकजुट हुए
यरुशलम, 03 जून (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। करीब दो हफ्ते पहले जब इजराइल देश में सबसे बुरे सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहा था, गाजा से रॉकेटों की बौछार हो रही थी, तब कौन सोच सकता था कि वामपंथी, दक्षिणपंथी और मध्यमार्गी जैसी विरोधी विचारधाराओं वाले दल अरब पार्टी के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय एकता की सरकार बनाने के लिए सहमत होंगे जो प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को सत्ता से बेदखल करेगी।
हाल में जब लड़ाई तेज हुई तब सभी यह सोच रहे थे कि इससे इजराइल में सबसे लंबे समय तक पद पर रहे प्रधानमंत्री नेतन्याहू को सत्ता पर काबिज रहने के लिये थोड़ी और मोहलत मिल जाएगी क्योंकि उन्हें सत्ता से दूर करने के लिये बेचैन राजनीतिक दलों ने बातचीत से दूरी बना ली थी।
जब लड़ाई जारी रही तब विपक्षी गठबंधन की सरकार बनाने की जिम्मेदारी उठा रहे येश अतीद पार्टी के नेता याइर लापिद (57) और राष्ट्रपति रुवेन रिवलिन की सरकार बनाने की उम्मीद धूमिल होने लगी। हालांकि, एक बिल्कुल ही अलग अंदाज में जिस व्यक्ति को सरकार बनाने की विपक्षी कवायद के पटरी से उतरने से सबसे ज्यादा फायदा होता दिख रहा था वही इन ताकतों को एकजुट करने में सबसे अहम कड़ी भी बनकर उभरा।
यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि कई लोगों द्वारा इजराइल के “डिवाइडर इन चीफ” के तौर पर देखे जाने वाले 71 वर्षीय नेतन्याहू ही एक अलग अंदाज में अपने विरोधियों को एकजुट करने वाले भी साबित हुए जिनके कारण इजराइल के इतिहास में जिन लोगों के एक साथ आने की कल्पना भी नहीं की गई थी वे राष्ट्रीय एकता की सरकार बनाने के लिये मिल गए।
लापिद द्वारा राष्ट्रपति रिवलिन को गठबंधन को एकजुट रखने में कामयाबी मिलने की खबर देने से घंटों पहले दैनिक ‘हारेट्ज’ के पत्रकार अंशेल प्फेफ्फर ने कहा, “आज रात जो हुआ और विश्वास मत अगर होता है तो उसमें जितने भी दिन बचे हैं उससे पहले, यह एक ऐतिहासिक तस्वीर है। अरब- इजराइली पार्टी के नेता और जूइश-नेशनलिस्ट पार्टी के नेता एक साथ सरकार में शामिल होने के लिये समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं।”
उन्होंने राम पार्टी के प्रमुख मंसूर अब्बास की दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के नेता नफ़्ताली बेनेट और मध्यमार्गी येश अतीद पार्टी के याइर लापिद की समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए एक तस्वीर भी अपने ट्वीट के साथ पोस्ट की।
यह तस्वीर बृहस्पतिवार को हर किसी के बीच चर्चा का विषय थी और आने वाले दिनों में क्या होगा इस पर ज्यादा तवज्जो दिये बगैर सभी मीडिया संस्थान इस “ऐतिहासिक पल” के बारे में बात तर रहे थे।
देश की 120 सदस्यीय संसद नेसेट में लापिद के पास 61 सांसदों के समर्थन के साथ बेहद मामूली बहुमत है जबकि सामने चुनौतियां कई हैं लेकिन उसे उम्मीद है कि यह बहुमत मजबूती के साथ कायम रहेगा क्योंकि इसके पीछे 2009 से लगातार 12 सालों से देश की निर्बाध रूप से कमान संभाल रहे नेतन्याहू को हटाने का “एकजुटता का उद्देश्य” है।
नेतन्याहू इजराइल के इतिहास में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री के पद पर बने रहने वाले नेता हैं जिन्होंने देश के संस्थापक डेविड बेन गुरियन के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया।
रोचक बात यह है कि नेतन्याहू को पद से हटाने के लिये एकजुट हुए लोगों में से एक तिहाई वैचारिक तौर पर उनके “प्राकृतिक सहयोगी” हैं और पूर्व में उनके करीबी सहयोगियों के तौर पर काम भी कर चुके हैं।
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