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लेख - June 10, 2021

भाजपा के जितिन

-सिद्वार्थ शंकर-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

यूपी में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के कद्दावर नेता और राहुल गांधी के करीबी जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए। दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इससे पहले जितिन प्रसाद ने गृहमंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात भी की। पार्टी की सदस्यता लेने के बाद जितिन ने कांग्रेस पर तंज कसा। कहा, अब केवल भाजपा ही देशहित में काम करने वाली पार्टी है। बाकी दल व्यक्ति विशेष और क्षेत्र के हो गए हैं। राष्ट्रीय दल के नाम पर देश में अगर कोई पार्टी है तो वह सिर्फ भाजपा है। कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद का नाम उत्तर प्रदेश के बड़े नेताओं में शुमार है। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भी कयास लगाए जा रहे थे कि जितिन कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम सकते हैं, लेकिन तब ऐसा नहीं हो पाया था। जितिन प्रसाद धौरहरा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा उनके पास केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री की जिम्मेदारी थी। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि यूपी में प्रियंका गांधी के आने के बाद से जितिन प्रसाद को साइड लाइन कर दिया गया। पार्टी के कार्यक्रमों में भी उनको कम तवज्जो मिलती थी। हालांकि जितिन ने कभी खुलकर इसको जाहिर नहीं किया। कारण उन्हें प्रियंका का करीबी बताकर प्रचारित किया जाता रहा। बीते काफी समय से जितिन प्रसाद ब्राह्मणों के हक में आवाज उठा रहे हैं। हालांकि, प्रदेश नेतृत्व से उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा था। यही वजह थी कि जब जितिन ने ब्रह्म चेतना संवाद कार्यक्रम की घोषणा की तो पार्टी ने इससे किनारा कर लिया। कई नेताओं ने यह तक कहा कि वह उनका अपना निजी मसला है, इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। जितिन प्रसाद के भाजपा खेमे में आने की अटकलें बहुत पहले से लगाई जा रही थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले भी वे भाजपा के संपर्क में थे और पार्टी ज्वाइन करने के बहुत करीब पहुंच चुके थे। लेकिन इस बात की खबर मीडिया में आ जाने के बाद प्रियंका गांधी ने उन्हें संभाला और पार्टी में जरूरी भूमिका देने की बात कहकर उनको भाजपा में जाने से रोका था। मगर लगातार उपेक्षा के बाद जितिन का धैर्य जवाब दे गया और वे भाजपा के पाले में आ ही गए। जितिन प्रसाद को चंद दिनों पहले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन जितिन प्रसाद वहां भी कोई करिश्मा नहीं दिखा सके। उनके नेतृत्व में पार्टी की सीटें न केवल शून्य हो गईं, कांग्रेस के वोट प्रतिशत में भी लगभग 10 फीसदी की रिकॉर्ड कमी हुई थी। छह दिनों पहले जी-23 के नेताओं का पत्र मीडिया की सुर्खियां बन गया था। कांग्रेस के शीर्ष 23 नेताओं ने पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में चुनाव कराए जाने की मांग की थी। इन नेताओं में भी जितिन प्रसाद शामिल थे और इस पत्र पर उन्होंने भी हस्ताक्षर किया था। यानी कांग्रेस आलाकमान से उनकी नाराजगी पहले से सामने आ रही थी। अब यूपी चुनाव पास हैं तो भाजपा को जितिन जैसे नेता की सख्त जरूरत थी। उत्तर प्रदेश में 14 फीसदी आबादी वाले वोटर ब्राह्मण भाजपा से नाराज हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार के कई फैसलों से उत्तर प्रदेश के ब्राह्मणों की भाजपा से नाराजगी बनी हुई है और इस विधानसभा चुनाव में पार्टी से अलग वोट कर सकते हैं। भाजपा अपने इस कोर वोट बैंक को किसी भी हालत में संभालना चाहती है। इधर, कांग्रेस में रहते हुए जितिन प्रसाद ब्राह्मण चेतना मंच नाम से एक संगठन बनाकर ब्राह्मणों की राजनीति करते रहे हैं। वे उत्तर प्रदेश के बड़े ब्राह्मण चेहरे भले न हों, लेकिन शाहजहांपुर, ललितपुर और आसपास के इलाके में उनका आंशिक प्रभाव है और वे वहां भाजपा को लाभ पहुंचा सकते हैं। यही कारण है कि ब्राह्मणों की नाराजगी को कम करने के लिए भाजपा उन्हें अपने साथ लाना चाहती है। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह ही भाजपा जितिन को भी राज्यसभा भेजे सकती है। लेकिन एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में महत्वपूर्ण जगह देकर चुनाव में उतारा जाए, जिससे वे अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए अहम साबित हों। इस बात में दम इसलिए भी है क्योंकि बहुप्रतीक्षित मंत्री मंडल विस्तार हाल ही में घटी कुछ घटनाओं के बाद रोक दिया गया था। अब नई परिस्थितियों में उन्हें योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल विस्तार में जगह देने की संभावना बन सकती है।

 

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