कभी सेंट्रल विस्टा… कभी राम मंदिर… बाधाएं खड़ी करने वाली ताकतों का असल मकसद समझिये
-नीरज कुमार दुबे-
-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
वर्षों से राम मंदिर के निर्माण की राह में अनेकों बाधाएं डाली गयीं हैं इसलिए अब मंदिर निर्माण ट्रस्ट पर जो अनियमितता के आरोप लगाये गये हैं उसे भी श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण की राह में बाधा डालने के ही एक सुनियोजित प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद जब राममंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ था और सभी वर्गों के लोगों ने इसे शांतिपूर्वक स्वीकार किया था तो लगा था कि अब कोई अड़चन सामने नहीं आयेगी और इस विषय को लेकर कोई राजनीति नहीं होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाजपा को घेरने का अवसर मिला तो जो लोग कल तक श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठाते थे आज उनके श्रीमुख से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम शब्द निकलने लगा। जो लोग कल तक अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि विवाद पर न्यायालय से फैसला टालते रहने की अपील करते थे और धर्म शब्द से परहेज करते हुए खुद को सेकुलर बताते नहीं थकते थे वह आज धर्म के मामले में कूदते हुए कह रहे हैं कि बड़ा अधर्म हो गया है।
आरोप के पीछे की राजनीति क्या है?
दरअसल भाजपा ने राम मंदिर निर्माण का अपना बड़ा वादा पूरा किया है और योजना के अनुसार 2024 से पहले अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य श्रीराम मंदिर बन भी जायेगा। जाहिर-सी बात है कि इसका राजनीतिक लाभ भाजपा को मिलेगा ही। इसके साथ ही छह-सात महीने बाद जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होंगे तब भी भाजपा राम मंदिर बनाने का अपना वादा पूरा करने की बात मतदाताओं को याद दिलायेगी, ऐसे में इस मुद्दे का भाजपा को जरा-सा भी राजनीतिक लाभ नहीं हो इसलिए इस तरह के आरोप गढ़ दिये गये हैं। इसके साथ ही देश में कुछ ऐसी ताकतें भी सक्रिय हैं जोकि नहीं चाहतीं कि देश में चल रही बड़ी योजनाएं साकार हों। यह ताकतें नहीं चाहतीं कि देश में सैंकड़ों वर्षों तक अनसुलझे रहे मुद्दे कभी सुलझें। इसलिए कभी सेंट्रल विस्टा के निर्माण की राह में बाधाएं खड़ी करने के प्रयास किये जाते हैं तो कभी श्रीराम मंदिर निर्माण से जुड़े ट्रस्ट को संदेह के घेरे में लाकर मंदिर निर्माण की राह में बाधा खड़ी करने का प्रयास किया जाता है। आरोप लगाने वालों की माँग है कि इस मामले की सीबीआई और ईडी से जाँच हो और एजेंसियां भूमि खरीद के सभी मामलों के साथ ही जनता से मिले चंदे की राशि का भी ऑडिट करें। यानि आरोप लगाने वालों की चाहत है कि मंदिर निर्माण पर स्थगन लग जाये और चुनावों तक जाँच ही चलती रहे और जिससे कि भाजपा को नहीं उन्हें इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ मिल जाये।
ट्रस्ट से जुड़े लोगों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना गलत
आरोप लगाने वाले चाहे जितने भी आरोप लगायें लेकिन यहां हमें यह याद रखना चाहिए कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष कौन हैं। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा हैं जोकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रह चुके हैं और उनके सबसे विश्वासपात्र अधिकारियों में से एक हैं। नृपेंद्र मिश्रा अपनी ईमानदारी के लिए विख्यात हैं और ऐसे में उनके नेतृत्व वाले ट्रस्ट में कोई वित्तीय गड़बड़ी हो जाये इसकी रत्ती भर भी संभावना नहीं दिखती है। इसके साथ ही ट्रस्ट के अन्य सभी सदस्यों की छवि भी एकदम बेदाग रही है।
आरोप लगाने वालों का इतिहास भी देखिये
देश में एक नयी तरह की राजनीति शुरू करने के मकसद से गठित हुई आम आदमी पार्टी ने वाकई भारत को एक अलग तरह की राजनीति के दर्शन कराये हैं। यह है- ‘आरोप लगाओ और भाग जाओ’ की राजनीति। जब भी कोई चुनाव आता है आम आदमी पार्टी के छोटे से लेकर बड़े नेता एक ही रणनीति पर काम करते हैं कि सत्ताधारी दल से जुड़े बड़े से बड़े व्यक्ति पर घोटाले या भ्रष्टाचार के आरोप लगा दो, कुछ ऐसे दस्तावेज प्रस्तुत कर दो जिससे मामला दूर से संदिग्ध नजर आये। कुछ बुद्धिजीवियों से अपने आरोपों के पक्ष में बयान जारी करवा दो या ट्वीट करवा दो। सोशल मीडिया पर उस आरोप के पक्ष में अभियान चलवा दो और जैसे ही अपने राजनीतिक हित सध जायें आरोप लगाने के लिए माफी माँग लो। आम आदमी पार्टी को आरोप लगाने और फिर माफी मांग लेने के खेल में हमेशा सफलता मिली है इसीलिए इस बार राम मंदिर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करने का प्रयास किया गया है। यहाँ ट्रस्ट को चाहिए कि वह आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा तो दायर करे ही साथ ही सिर्फ माफी माँगने पर ही उन्हें नहीं बख्शे। आरोप भले राजनीतिक हों लेकिन इससे आम श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुँची है क्योंकि अब वह किसी भी सूरत में श्रीराम मंदिर निर्माण की राह में कोई बाधा नहीं चाहता और जल्द से जल्द श्रीअयोध्या जी में बनाये जा रहे भव्य राम मंदिर में प्रभु के अलौकिक दर्शन करना चाहता है।
आरोप लगाने वालों का लक्ष्य क्या है?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए आम आदमी पार्टी काफी समय से मेहनत कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया उत्तर प्रदेश का दौरा भी कर चुके हैं। सिसोदिया लखनऊ आकर राज्य सरकार के मंत्रियों को अपनी उपलब्धियां बताने की चुनौती दे गये तो केजरीवाल ने किसानों के समर्थन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रैलियां कीं। हालिया पंचायत चुनावों में भी आम आदमी पार्टी को ठीकठाक सफलता मिली है। इस सबसे उत्साहित आम आदमी पार्टी का प्रयास है कि विधानसभा चुनावों में अपनी शक्ति बढ़ाई जाये, इसके लिए उसे किसी ऐसे मुद्दे की तलाश है जो उसे तो फायदा पहुँचाए ही साथ ही भाजपा को बड़ा नुकसान भी पहुँचाये। साथ ही जनता को यह भी लगे कि सपा, बसपा या कांग्रेस से ज्यादा अच्छी विपक्ष की भूमिका तो आम आदमी पार्टी निभा रही है। इसीलिए काफी खोजबीन कर एक ऐसा मामला गढ़ा गया जो प्रथम दृष्टया ही निराधार नजर आता है। अगर आम आदमी पार्टी के लोगों को लगता है कि भूमि खरीद में कुछ अनियमितता हुई है तो जाँच की माँग ही क्यों की जा रही है, मामला दर्ज कराने की पहल क्यों नहीं की जा रही? जहाँ तक आप नेता संजय सिंह की बात है तो वह वही शख्स हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के संबंध में कथित रूप से विवादास्पद टिप्पणी कर बखेड़ा खड़ा किया था और उनके खिलाफ पुलिस में मामला भी दर्ज है।
विपक्ष की खुशी तो देखिये
आप जरा ट्रस्ट पर लगाये गये आरोप के बाद से विपक्ष की एकजुटता और चेहरे की खुशी तो देखिये। कैसे एक-एक कर सबने हमला बोल दिया है। कांग्रेस, शिवसेना, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी सहित तमाम विपक्षी दलों ने भाजपा और संघ परिवार के खिलाफ अपनी-अपनी राजनीतिक तलवारें म्यान से बाहर निकाल ली हैं। दरअसल सभी दल जानते हैं कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश होते हुए जाता है इसीलिए भाजपा को उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने से रोकने के लिए अभी इससे भी बड़े हथकंडे अपनाये जाएंगे।
आरोप इसलिए निराधार है
विपक्ष का आरोप है कि दो करोड़ रुपए की जमीन दस मिनट में साढ़े 18 करोड़ रुपए की कर दी गयी। तो इस बारे में उन्हें पता होना चाहिए कि दो करोड़ रुपए वाली रजिस्ट्री 4 साल पहले हुए एग्रीमेंट पर आधारित थी। राम मंदिर विवाद पर अदालत का फैसला आने के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने अयोध्या नगरी के कायाकल्प की जो योजना बनाई उससे यहाँ जमीन के भाव आसमान पर पहुँच गये और इसके तहत जिस भूमि की खरीद पर सवाल उठाये जा रहे हैं उसका बाजार भाव 20 करोड़ रुपए का हो गया। लेकिन ट्रस्ट के प्रयासों से यह जमीन डेढ़ करोड़ रुपए कम कीमत पर यानि साढ़े अठारह करोड़ रुपए में मिली। आरोप लगाने वाले जरा खरीदी गयी जमीन के बाजार भाव के बारे में पता कर लें तो उन्हें अपने आरोपों के भाव भी पता चल जाएंगे। उल्लेखनीय है कि बाग बिजैसी मोहल्ले में ट्रस्ट की ओर से खरीदा गया यह भूखंड ठीक उस स्थान पर है, जहां नयी योजना के मुताबिक श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मॉडल जैसे बन रहे अयोध्या रेलवे स्टेशन का मुख्य द्वार प्रस्तावित है।
बहरहाल, जहाँ तक इस मामले में श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की प्रतिक्रिया की बात है तो उसने भूमि खरीद मामले में लगाये गये आरोप को बेबुनियाद बताया है और लोगों से दुष्प्रचार में नहीं फँसने को कहा है। आम जनमानस को भी यह समझना होगा कि देश में भ्रम और भय का माहौल बनाने के प्रयासों के तहत ही कभी सेंट्रल विस्टा तो कभी राम मंदिर तो कभी अन्य कार्यों में अड़चन लगाने के प्रयास किये जाते हैं तो कभी पीएम केयर्स फंड तो कभी राम मंदिर के चंदे के ऑडिट की माँग उठाई जाती है।
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