यात्राएं कोरोना की वाहक
-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-
हम मान लेते हैं कि कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से मोदी सरकार बौखला उठी है। भाजपा और सरकार घबरा गई हैं। वे डर रही हैं, लिहाजा उनकी नींद उड़ चुकी है। भाजपावाले कंपकंपा रहे हैं और कांग्रेस के खिलाफ षड्यंत्र भी रच सकते हैं। दरअसल ऐसी टिप्पणियां कांग्रेस नेता करते रहे हैं। उनके दावे हैं कि देश में आम आदमी, दलित, पिछड़ा, आदिवासी और गऱीब लाखों की संख्या में कांग्रेस की यात्रा के साथ जुड़ रहे हैं। ऐसे दावे राजनीति में सामान्य हैं, क्योंकि कोई भी हारता पक्ष, अंतत:, अपनी पराजय स्वीकार नहीं करता, लेकिन यह बिल्कुल अलग दौर है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने स्वीकार किया है कि देश में कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ है। कोरोना वायरस हमारी दहलीज़ पर भी मौजूद है, क्योंकि चीन में कोरोना से हाहाकार मचा है।
ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट बीएफ-7 के चार संक्रमित मरीज गुजरात और ओडिशा में पाए गए हैं। वडोदरा में एक एनआरआई महिला में संक्रमण की पुष्टि भी हो चुकी है। संभव है कि सभी संक्रमण सामान्य हों और मरीज जल्द ही स्वस्थ हो जाएं! इसी दौर में एक मुख्यमंत्री कोरोना संक्रमित पाए गए, जिन्हें क्वारंटीन में जाना पड़ा। संक्रमण की जांच से पहले उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी समेत कई कांग्रेसियों से मुलाकात की थी। हालांकि किसी और नेता के संक्रमित होने की कोई ख़बर नहीं है। मुख्यमंत्री ने एबीपी न्यूज चैनल पर भी इंटरव्यू दिया था, जिसमें कई पत्रकारों ने हिस्सा लिया था। हमारी प्रार्थना है कि सभी कुशल रहें, लेकिन सतर्कता, निगरानी, परहेज, जांच की सलाह देशहित में है। यदि विशेषज्ञों के साथ बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राहुल गांधी को पत्र लिखा कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें या कुछ समय के लिए ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को स्थगित कर दें, तो यह अनुरोध भी देशहित में था। किसी के अहंकार अथवा राजनीतिक लामबंदी को चुनौती नहीं दी गई।
यात्रा में एक बड़ी भीड़ सामूहिक तौर पर जुड़ती रही है, राहुल गांधी लोगों से आलिंगनबद्ध भी होते रहे हैं, हाथ भी मिलाते रहे हैं और भीड़ के साथ यात्रा भी जारी रखे हैं। केंद्रीय मंत्री का संवैधानिक दायित्व है कि देश में महामारी का संक्रमण नए सिरे से न फैले, लिहाजा उन्होंने राहुल को पत्र लिखा। इसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए। दरअसल ऐसे ही पत्र प्रशांत किशोर, राजस्थान में ‘जन आक्रोश यात्रा’, कर्नाटक में ‘जन संकल्प यात्रा’ आदि के नेताओं और आयोजकों को लिखे जाने चाहिए थे। इन यात्राओं में भी एक बड़ी भीड़ एक-दूसरे से सटकर चल रही है। संक्रमण कैसे फैलता है? जिस तरह का परामर्श राज्य सरकारों और संघशासित क्षेत्रों को भेजा गया है, वैसे ही निर्देश हवाई अड्डों, बस स्टैंड और बड़ी-घनी मंडियों को भी भेजे जाने चाहिए थे। शायद यह प्रक्रिया शुरू होने को है!
हालांकि भारत में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति ‘समतल’ (फ्लैट) है, लेकिन इतना तय है कि ऐसी सामूहिक यात्राएं ही संक्रमण की वाहक साबित होती हैं। यदि इन यात्राओं में ही लोगों के सैंपल लिए जाएं, तो संक्रमण का प्राप्त आंकड़ा चौंका भी सकता है। हालांकि कोरोना के भारतीय राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ने आश्वस्त किया है कि टीकाकरण और प्राकृतिक संक्रमण के बाद देश की 90 फीसदी से ज्यादा आबादी में हाईब्रिड इम्युनिटी है, लिहाजा भारत अपेक्षाकृत सुरक्षित है। फिर भी हमें विशेषज्ञों के परामर्श को मानना है, क्योंकि वैसा करके हम कोरोना की भयावह तीन लहरों को झेल कर, उन्हें पराजित कर चुके हैं। देश के वरिष्ठ नागरिक और कुछ पुरानी बीमारियों से ग्रस्त लोग, बूस्टर डोज लगवाएं। अलबत्ता घबराने और दहशत में आने की जरूरत नहीं है।
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