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लेख - February 10, 2023

पीएम का चुनावी जवाब

-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-

प्रधानमंत्री मोदी ने न तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिया और न ही अडानी-अंबानी सरीखे ‘मित्र’ उद्योगपतियों को लेकर कुछ कहा। प्रधानमंत्री ने इशारों में व्यंग्य जरूर किए। बल्कि यह कहा जाए कि उन्होंने तमाम ‘दाग़दार’ आरोपों की परवाह ही नहीं की। उन्हें एक तरफ सरका दिया और अपनी सरकार की प्रमुख उपलब्धियों का ही बखान किया। प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार का ठीकरा कांग्रेस पर ही फोड़ा और 2004-मई, 2014 तक यूपीए सरकार के कालखंड को ‘घोटालों का दशक’ करार दिया। यदि प्रधानमंत्री मोदी राहुल गांधी के सवालिया आरोपों के जवाब देते, तो उससे आरोपों को ही वैधता मिलती। नतीजतन राहुल और कांग्रेस की राजनीति का एक चरण कामयाब हो सकता था। उससे आरोपों का सिलसिला भी बन सकता था और वे चुनावी मुद्दों में तबदील हो सकते थे। उस संभावित दुष्प्रचार का जवाब देते रहना, राजनीतिक तौर पर, मुश्किल होता।

अब न केवल स्पीकर ओम बिरला ने, नियमों के तहत और सबूत पेश न करने के मद्देनजर, राहुल द्वारा चस्पा किए गए आरोपों को लोकसभा के रिकॉर्ड से निकलवा दिया, बल्कि प्रधानमंत्री के भाषण को जस का तस रिकॉर्ड में दर्ज करा दिया। बहरहाल राष्ट्रपति अभिभाषण पर सदन ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित कर दिया, लेकिन विपक्ष की राजनीति में अडानी-अंबानी को लेकर प्रधानमंत्री पर जो सवाल थोपे जाते थे, वह अध्याय भी समाप्त हो गया। विपक्ष की राजनीति का एक अहम पटाक्षेप भी हो गया, क्योंकि इस मुद्दे पर विपक्ष सर्वसम्मत नहीं हो पाया। सिर्फ राहुल गांधी और कांग्रेस 2024 के आम चुनाव तक ‘अडानी अध्याय’ को खींचते रहेंगे। 2019 के आम चुनाव में राफेल लड़ाकू विमान सौदे के संदर्भ में, कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर, राहुल गांधी ने जमकर प्रचार किया था-‘चौकीदार चोर है।’ प्रचार और चुनाव बेहद नाकाम रहे।

संसद में इस बहस के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी ने राजनीति के दो कालखंड तय कर दिए हैं। 2004-14 के 10 साल यूपीए सरकार बनाम 2014-24 के 10 साल मोदी सरकार…। इस तरह प्रधानमंत्री ने 2024 के चुनाव की आधार-भूमि भी तैयार कर दी है। उन्होंने पार्टी सांसदों, काडर और मंत्रियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि चुनाव प्रचार का फोकस सरकार के कामों और उपलब्धियों पर ही रहना चाहिए। उससे सत्ता-विरोधी लहर नहीं बनेगी। प्रधानमंत्री ने संसद में भी भरपूर विश्वास के साथ दावा किया है कि देश के 140 करोड़ लोगों के 25 करोड़ परिवार उनका सुरक्षा-कवच हैं। उसे कोई नहीं भेद सकता। जिन 81 करोड़ से ज्यादा गरीबों को मुफ्त राशन मिल रहा है, जिन्हें 3 करोड़ से अधिक पक्के घरों की छत नसीब हुई है, जिन महिलाओं के परिवारों में 11 करोड़ से ज्यादा शौचालयों के रूप में ‘इज्जत घर’ बनाए गए हैं, जिन करोड़ों घरों में नल से जल पहुंचना शुरू हो गया है, जिन गरीबों, पिछड़ों, आदिवासियों के गांवों में बिजली रोशन हुई है, वे मोदी पर भरोसा करेंगे या कांग्रेस पर…? इसी से स्पष्ट है कि मोदी और भाजपा का चुनावी जवाब क्या है?

 

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