अब रुपया लगाएगा नई छलांग
-डा. जयंतीलाल भंडारी-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
देश की नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) एक अप्रैल से लागू की गई है। इससे निर्यात तेजी से बढ़ेंगे। जिस तरह नई विदेश व्यापार नीति से विदेश व्यापार रुपए में किए जाने संबंधी महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, उससे भारत का रुपया दुनिया के मुद्रा बाजार में नई छलांग लगाएगा। डॉलर के मुकाबले रुपए को मजबूती मिलेगी। यह कोई छोटी बात नहीं है कि दुनिया के 18 देशों के साथ रुपए में व्यापार की सहमति बन चुकी है और रूस, श्रीलंका व मारीशस के साथ रुपए में व्यापार शुरू हो गया है। गौरतलब है कि पिछली विदेश व्यापार नीति 1 अप्रैल 2015 को लागू की गई थी और इसके समाप्त होने की तिथि 2020 थी, लेकिन कोरोना वायरस आने के कारण सितंबर 2022 में इसे 31 मार्च 2023 तक बढ़ा दिया गया। अब सरकार ने नई एफटीपी नीति को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नए निर्देशों और नियमों के अनुरूप बनाया है। यदि हम नई विदेश व्यापार नीति की तस्वीर को देखें तो इसमें कई प्रमुख बातें उभरकर दिखाई दे रही हैं। पहले विदेश व्यापार नीति पांच वर्षों के लिए होती थी, लेकिन अब नई नीति की कोई अंतिम तारीख नहीं है। इसमें उपयुक्तता अनुरूप परिवर्तन किए जा सकेंगे। नई विदेश व्यापार नीति के तहत सरकार ने निर्यात के दायरे को बढ़ाने के लिए जिला स्तर पर एक्सपोर्ट हब की स्थापना करने की घोषणा की है और वित्त वर्ष 2023-24 में 75 जिलों में एक्सपोर्ट हब बनाए जा सकते हैं।
इससे निर्यात से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी दूर हो सकेगी। सरकार वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट की पहचान का काम पहले ही पूरा कर चुकी है। जिला स्तर पर निर्यात सुविधा विकसित होने से उस जिले के उत्पाद को आसानी से निर्यात किया जा सकेगा। ऐसे प्रयास से सभी राज्यों को निर्यात में हिस्सेदार बनने का मौका मिलेगा और वहां रोजगार में भी बढ़ोतरी होगी। सरकार ने टाउंस ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस (टीईई) की लिस्ट में चार नए शहर शामिल किए हैं। फरीदाबाद को अपैरल, मुरादाबाद को हैंडीक्राफ्ट, मिर्जापुर को हैंडमेट कार्पेट और वाराणसी को हैंडलूम व हैंडीक्राफ्ट उत्पाद के लिए टीईई का दर्जा दिया गया है। इसके पहले 39 शहरों को टीईई का दर्जा प्राप्त है। ई-कॉमर्स के माध्यम से होने वाले निर्यात के प्रोत्साहन के लिए अलग से ई-कॉमर्स जोन की स्थापना का भी ऐलान किया गया है। कूरियर सेवा के माध्यम से होने वाले निर्यात की वैल्यू लिमिट को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये प्रति खेप कर दिया गया है। ऐसे में ई-कॉमर्स निर्यात 2030 तक 200 से लेकर 300 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। खास बात यह भी है कि नई एफटीपी के तहत आवेदनों का डिजिटलीकरण किया जाएगा तथा आवेदकों को स्वचालन प्रणाली के जरिए मंजूरी दी जाएगी। पहले निर्यात संबंधी विभिन्न मंजूरियों से तीन दिन से लेकर एक महीने का समय लगता था, अब यह मंजूरी एक दिन में मिलेगी।
निर्यातक खुद ही वस्तुओं को सत्यापित कर सकेंगे। निर्यात लाइसेंस शुल्क में कटौती की गई है। पहले शुल्क 1000 से 10000 रुपए देना होता था, अब केवल 100 से 5000 रुपए देने होंगे। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए शुल्क में भी बड़ी कटौती की गई है। मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए जाएंगे। अब निर्यातक उन वस्तुओं का निर्यात भी कर सकेंगे जिनके निर्यात पर भारत में प्रतिबंध होगा। निर्यातक देश में प्रतिबंधित वस्तुओं को किसी एक देश से खरीदकर दूसरे देश में बेच सकेंगे। निर्यातक पुराने सभी बकायों को विशेष रियायत स्कीम के तहत 30 सितंबर तक चुकाकर लाभान्वित हो सकेंगे। निश्चित रूप से इस समय जब नई विदेश व्यापार नीति लागू की गई है, तब वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भी भारत के निर्यात बढऩे की कई अनुकूलताएं भी हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है कि वर्ष 2021-22 में उत्पाद एवं सेवा निर्यात का जो मूल्य करीब 676 अरब डॉलर था, वह चालू वित्त वर्ष 2022-23 में बढक़र 760 अरब डॉलर से भी अधिक हो सकता है। भारतीय उत्पादों की मांग दुनियाभर में बढ़ रही है। देश से उच्च इंजीनियरिंग निर्यातों, परिधान और वस्त्र निर्यात आदि से संकेत मिलते हैं कि यह धारणा धीरे-धीरे बदल रही है कि भारत प्राथमिक जिंसों का ही बड़ा निर्यातक है। अब भारत के द्वारा अधिक से अधिक मूल्यवर्धित और उच्च गुणवत्ता वाले सामानों का निर्यात भी किया जा रहा है। खास बात यह है कि कोविड-19 के कारण भारत के सेवा निर्यात में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। कोविड-19 के बाद दो साल में कुल आईटी सेवाओं के निर्यात में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
यह भी महत्वपूर्ण है कि नई विदेश व्यापार नीति से भारत विश्व पटल पर कृषि निर्यात के बड़े बाजार के रूप में दिखाई दे सकेगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सरकार ने वर्ष 2021-22 में 50 अरब डॉलर से अधिक का कृषि निर्यात किया है। वह वर्ष 2022-23 में 56 अरब डॉलर से अधिक की ऊंचाई पर है तथा अब नई विदेश व्यापार नीति से कृषि निर्यात नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचेगा। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि पिछले वर्ष 2022 में देश से निर्यात बढ़ाने में भारत के द्वारा यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की भी प्रभावी भूमिका रही है। जहां कई उभरते हुए वैश्विक आर्थिक परिदृश्य भारत के निर्यात वृद्धि हित में हैं, वहीं चीन के प्रति वैश्विक नकारात्मकता और अमेरिका और कई अन्य देशों के साथ चीन के व्यापार संबंधों में कड़वाहट का भी भारत से निर्यात बढ़ाने में लाभ होगा। निश्चित रूप से अब नई विदेश व्यापार नीति के तहत महत्वाकांक्षी निर्यात लक्ष्य पाने के लिए हमें कई बातों पर ध्यान देना होगा। हमें देश से निर्यात बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की रफ्तार तेज करने, शोध और नवाचार तथा श्रमशक्ति को नई डिजिटल कौशल योग्यता से सुसज्जित करने की डगर पर तेजी से आगे बढऩा होगा।
देश के उद्योग-कारोबार जगत के द्वारा प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) का अधिकतम लाभ लेते हुए इसके कारगर क्रियान्वयन से चीन से व्यापार असंतुलन कम करने के लिए अधिकतम प्रयास करने होंगे। अब भारत के द्वारा यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजराइल के साथ एफटीए के लिए प्रगतिपूर्ण वार्ताएं तेजी से पूरी करनी होंगी। भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा डिजिटल रुपए की जो प्रायोगिक शुरुआत हुई है, उसे अब शीघ्रता से विस्तारित करना होगा। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के द्वारा निर्यातकों की निर्यात लाभों का दावा रुपए में करने में सक्षम बनाए जाने संबंधी जो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, उनके कारगर क्रियान्वयन से भारत के निर्यात बढ़ते हुए दिखाई देंगे। हमें देश की नई लॉजिस्टिक नीति 2022 और गति शक्ति योजना की अभूतपूर्व रणनीतियों से भारत को आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में तेजी से बढ़ाना होगा। हमें इस वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता की कमान रखते हुए मेक इन इंडिया, मेक फॉर ग्लोबल और मैन्युफैक्चरिंग हब की डगर पर आगे बढक़र निर्यातों को ऊंचाई देनी होगी।
हम उम्मीद करें कि नई विदेश व्यापार नीति के तहत जिस तरह से विदेश व्यापार रुपए में किए जाने संबंधी जो महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, उनसे दुनिया के कई देशों के साथ भारत का विदेश व्यापार रुपए में होने लगेगा। इससे देश का डॉलर संकट कम होगा और पूरी दुनिया में रुपए की अहमियत बढ़ेगी। हम उम्मीद करें कि नई विदेश व्यापार नीति को रणनीतिक प्रयासों से कार्यान्वित करने से भारत वर्ष 2030 तक वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात के लिए निर्धारित किए गए 2 लाख करोड़ डॉलर का महत्वाकांक्षी लक्ष्य अपनी मुठ्ठियों में लेते हुए दिखाई दे सकेगा तथा भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में पहचान बनाते हुए दिखाई देगी, ऐसी आशा है।
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