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लेख - June 28, 2021

कृषि क्षेत्र का सुकूनभरा परिदृश्य

-डॉ. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

इस समय देश के कृषि क्षेत्र में सुकूनभरे परिदृश्य के चार आधार दिखाई दे रहे हैं। एक, फसल वर्ष 2020-21 के लिए खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमान प्रस्तुत हुए हैं। दो, फसल वर्ष 2021-22 के लिए खरीफ फसलों के लिए लाभप्रद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित हुए हैं। तीन, रबी सीजन में एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीदी हुई है। चार, जून के दूसरे सप्ताह से भारत में मानसून ने अच्छी दस्तक दे दी है। हाल ही में जारी चालू फसल वर्ष 2020-21 के लिए मुख्य फसलों के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक कोरोना की आपदा के बावजूद देश में खाद्यान्न की कुल पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 30.54 करोड़ टन अनुमानित है। यह खाद्यान्न पैदावार पिछले वर्ष की कुल पैदावार 29.75 करोड़ टन के मुकाबले 79.4 लाख टन अधिक है। पिछले वर्ष 2020 में भी कोविड-19 की पहली लहर की चुनौतियों के बीच अर्थव्यवस्था के दूसरे सेक्टरों में भारी गिरावट के बीच कृषि ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा है जिसने सर्वाधिक वृद्धि बताई है। आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान जहां देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बड़ी गिरावट आई और वह ऋणात्मक हो गई, लेकिन कृषि की विकास दर में करीब तीन फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। ऐसे में जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी 17.8 फीसदी से बढ़कर 19.9 फीसदी के स्तर पर पहुंच सकती है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2021-22 के लिए खरीफ फसलों के लाभप्रद एमएसपी का ऐलान किया है। धान का समर्थन मूल्य 72 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। इसका एमएसपी अब 1940 रुपए प्रति क्विंटल होगा। चूंकि देश में खाद्य तेल और दालों की कीमतें बढ़ी हुई हैं, अतएव तिलहन व दलहन के एमएसपी में खासी बढ़ोतरी की गई है। सरकार ने अरहर दाल के एमएसपी में 300 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। अरहर दाल का एमएसपी अब 6300 रुपए प्रति क्विंटल है। उड़द दाल का एमएसपी भी बढ़ कर अब 6300 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। मूंग दाल का एमएसपी बढ़ा कर 7275 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। पिछले साल यह 7196 रुपए प्रति क्विंटल था। तिलहन में तिल के एमएसपी में सबसे ज्यादा 452 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। अब तिल का एमएसपी 7307 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है।

मूंगफली का एमएसपी 275 रुपए बढ़ा है और 5550 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। सूरजमुखी का एमएसपी 130 रुपए बढ़ा कर 6015 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। यदि हम रबी सीजन में हो रही फसलों की खरीदी को देखें तो पाते हैं कि एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीद हुई है। रबी मार्केटिंग सीजन में 25 जून तक रिकॉर्ड 4.32 करोड़ टन से अधिक गेहूं की खरीद हो चुकी है। केंद्रीय व राज्य एजेंसियों ने अपना खरीद लक्ष्य पूरा कर लिया है। रबी मार्केटिंग सीजन के लिए कुल 4.27 करोड़ टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जबकि पिछले रबी खरीद सीजन में कुल 3.89 करोड़ टन गेहूं की खरीद की गई थी। उल्लेखनीय है कि इसी जून माह के दूसरे सप्ताह से मानसून ने देशभर में जोरदार दस्तक दे दी है। भारतीय मौसम विज्ञान और अन्य वैश्विक मौसम एजेंसियों के द्वारा वर्ष 2021 में अच्छे मानसून के जो अनुमान प्रस्तुत किए गए हैं, उससे फसल वर्ष 2021-22 में कृषि उत्पादन के ऊंचाई पर पहुंचने की संभावनाएं निर्मित हुई हैं। मौसम विभाग ने कहा कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 98 फीसदी यानी सामान्य रह सकता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के तहत जून से सितंबर के बीच बारिश होती है। एक खास बात यह भी है कि अब तक मानसून एवं वर्षा का पूर्वानुमान लगाने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा था, वह नियमित अंतराल पर पूर्वानुमान बताने के लिए पर्याप्त नहीं थी। ऐसे में इस वर्ष 2021 में मौसम विभाग के द्वारा जून से सितंबर की अवधि के लिए मासिक आधार पर लॉन्ग रेंज फॉरकास्ट (एलआरएफ) पूर्वानुमान दिए जाने से देश के किसान और देश का संपूर्ण कृषि क्षेत्र अधिक लाभान्वित होगा। ज्ञातव्य है कि देश में अच्छा मानसून आर्थिक-सामाजिक खुशहाली का कारण माना जाता है। अगर देश में मानसून अच्छा रहता है, तो देश की अर्थव्यवस्था में चमक आती है और कोई खराब मानसून अर्थव्यवस्था की मुश्किलें बढ़ा देता है।

देश में करीब 60 फीसदी से ज्यादा खेती सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर होती है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक वर्ष 2021 में जबरदस्त कृषि उत्पादन और अच्छा मानसून देश के आर्थिक-सामाजिक सभी क्षेत्रों की खुशियां बढ़ाते हुए दिखाई देगा। इसमें कोई दोमत नहीं है कि पिछले 5-7 वर्षों में लगातार कृषि के क्षेत्र में एक के बाद एक अनेक ऐसे निर्णय लिए गए हैं, जिससे किसान की आमदनी बढ़ी है, किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित हुए हैं। एमएसपी को उत्पादन लागत के 1.5 गुना के स्तर पर निर्धारित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। एक खास बात यह भी है कि वर्ष 2021 में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन कोरोना की दूसरी घातक लहर की चुनौतियों के बीच गरीब वर्ग की अतिरिक्त खाद्यान्न जरूरतों की पूर्ति में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देगा। भारतीय खाद्य निगम के मुताबिक देश में 1 अप्रैल 2021 को सरकारी गोदामों में करीब 7.72 करोड़ टन खाद्यान्न का सुरक्षित भंडार है, जो बफर आवश्यकता से करीब 3 गुना है। ऐसे में वर्ष 2021 में कोरोना की चुनौतियों के बीच एक बार फिर केंद्र सरकार के द्वारा लागू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लाभार्थियों को नवंबर 2021 तक खाद्यान्न की अतिरिक्त आपूर्ति को भी सरलता से पूरा किया जा सकेगा। खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन के मद्देनजर देश की खाद्यान्न संबंधी विभिन्न जरूरतों की पूर्ति के साथ-साथ उपयुक्त मात्रा में खाद्यान्न का निर्यात भी किया जा सकेगा।

यद्यपि कोरोना की आर्थिक चुनौतियों के बीच इस समय देश के कृषि परिदृश्य पर विभिन्न अनुकूलताएं हैं, लेकिन कृषि क्षेत्र की भरपूर प्रगति और अच्छे मानसून का लाभ लेने के लिए कई बातों पर विशेष ध्यान देना होगा। सरकार के द्वारा कृषि उपज का अच्छा विपणन सुनिश्चित किया जाना होगा। इससे ग्रामीण इलाकों में मांग में वृद्धि की जा सकेगी। ग्रामीण मांग बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग एवं सर्विस सेक्टर बढ़ सकेंगे। खराब होने वाले कृषि उत्पादों जैसे फलों और सब्जियों के लिए लॉजिस्टिक्स सुदृढ़ किया जाना होगा। साथ ही पिछले वर्ष 2020 से शुरू की गई किसान ट्रेनों के माध्यम से कृषि एवं ग्रामीण विकास को नया आयाम देना होगा। सरकार ने एक लाख करोड़ रुपए के जिस कृषि बुनियादी ढांचा कोष का निर्माण किया है, उससे उपयुक्त रूप से शीघ्रतापूर्वक आबंटन किया जाना होगा। चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में कृषि व ग्रामीण विकास के लिए घोषित की गई परियोजनाओं के क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा जाना होगा। हम उम्मीद करें कि वर्ष 2021 में कोरोना की दूसरी घातक लहर से निर्मित आर्थिक चुनौतियों के बीच एक बार फिर कृषि महंगाई को नियंत्रित करने में मदद करेगी। साथ ही देश के आम आदमी और अर्थव्यवस्था को मुस्कुराहट देते हुए दिखाई देगी।

 

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