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व्यापार - July 1, 2021

यूपी में दूध का कारोबार ग्रामीणों को मुहैया करा रहा रोजगार

लखनऊ, 01 जुलाई (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। उत्तर प्रदेश में दूध के कारोबार के माध्यम से लोगों को भी रोजगार मिल रहा है। दूध उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश अब देश में पहले स्थान पर है। दूध का कारोबार करने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियां यूपी में अपनी डेयरी स्थापित करने में रूचि दिखा रहीं हैं।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के प्रयासों से सूबे में दूध के कारोबार में तेजी आयी है। बीते चार वर्षों में 172 करोड़ का निवेश कर अमूल सहित छह निवेशकों ने अपने डेयरी प्लांट स्थापित किए हैं। सात डेयरी प्लांट लगाए जाने की कार्रवाई की जा रही हैं। इसके अलावा 15 निवेशकों ने अपनी यूनिट लगाने के लिए प्रस्ताव दिया। दूध उत्पादन के क्षेत्र में बड़े निवेशकों द्वारा लगाए जा रहे उद्यमों के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजागर मिला हैं। अब गांव-गांव में गाय तथा भैस पालकर दूध का कारोबार करने वाले ग्रामीणों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं। यूपी में दूध का कारोबार ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करा रहा है।

यूपी का भारत में कुल दूध उत्पादन में 17 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा है। प्रदेश सरकार के प्रयासों से दुग्ध उत्पादन में यूपी पूरे देश में अव्वल है। वर्ष 2016-17 में यूपी में 277.697 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पादन हुआ था, जो 2020-21 में बढ़कर 318.630 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। दूध उत्पादन में हुआ यह इजाफा सरकार की नीतियों का नतीजा बताया जा रहा।

दुग्ध विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने ग्रीनफील्ड डेयरियों की स्थापना करने की शुरूआत की। यह ग्रीन फील्ड डेयरियां कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, बरेली, कन्नौज, गोरखपुर, फिरोजाबाद, अयोध्या और मुरादाबाद में स्थापित की जा रही हैं। इस योजना को सहयोग देने के लिए झांसी, नोएडा, अलीगढ़ और प्रयागराज की चार पुरानी डेयरियों के उच्चीकरण का कार्य भी कराया जा रहा है। सरकार के ऐसे प्रयासों के बीच ही देश के बड़े निवेशकों ने राज्य में अपनी डेयरी यूनिट लगाने की पहल की। देखते ही देखते गाजीपुर में पूर्वांचल अग्रिको, बिजनौर में श्रेष्ठा फूड, मेरठ में देसी डेयरी, गोंडा में न्यू अमित फूड , बुलंदशहर में क्रीमी फूड और लखनऊ में सीपी मिल्क फूड की डेयरी यूनिट लग गई है और अन्य लोगों की डेयरी यूनिट लग रही हैं।

दूसरी तरफ राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार गोवंश संरक्षण केंद्र एवं गोवंश वन्य बिहार का निर्माण करा रही है। इनमें से 118 केंद्र का निर्माण कार्य पूरा भी हो चुका है। इसके अलावा मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के अंतर्गत 66 हजार से अधिक गोवंश, इच्छुक पशु पालकों की सुपुर्दगी में दिए गए हैं। गोवंश पालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने गोकुल पुरस्कार और देशी गोवंश की गाय से सर्वाधिक दूध उत्पादक को नंदबाबा पुरस्कार देने शुरू किया है। गांवों में ग्रामीण दूध कारोबार से जुड़े इसके लिए सरकार प्रदेश में पंजीकृत 12 लाख से अधिक दूध किसानों का क्रेडिट कार्ड दे रही है। सरकार के इन प्रयासों के चलते राज्य में दुधारू पशुओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।

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