नए राहत पैकेज का सहारा
-डा. जयंतीलाल भंडारी-
-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
विगत 28 जून को केंद्र सरकार ने कोविड-19 की दूसरी लहर से गिरती हुई अर्थव्यवस्था को गीतिशील करने और समाज के विभिन्न वर्गों को राहत देने के लिए 6.29 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक प्रोत्साहन का ऐलान किया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा घोषित इस राहत पैकेज में स्वास्थ्य, पर्यटन और छोटे कर्जदारों के लिए ऋण गारंटी योजना की घोषणा के अलावा आपात ऋण सुविधा योजना (ईसीएलजीएस) की रकम बढ़ाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का दायरा भी बढ़ाया गया है। गौरतलब है कि नए राहत पैकेज में अर्थव्यवस्था के लिए आठ विभिन्न प्रकार के राहत उपायों की घोषणा की गई है। निश्चित रूप से राहत के कदम बेहतर तरीके से लक्षित हैं। राहत उपाय विभिन्न क्षेत्रों को महामारी के कारण मची उथल-पुथल से निपटने में मददगार होंगे। ताजा घोषणाएं प्रमुख रूप से दूसरी लहर से विशेष रूप से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों को पटरी पर लाने और कारोबारों को ऋण की उपलब्धता सुधारने पर केंद्रित हैं। ईसीएलजीएस राशि बढ़ाए जाने से नकदी प्रवाह को अहम समर्थन मिल सकेगा। चूंकि पर्यटन और होटल क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में हैं, अतएव इस क्षेत्र के लिए राहत पैकेज से संपूर्ण अर्थव्यवस्था लाभान्वित होगी। यदि हम नए राहत पैकेज के प्रमुख प्रावधानों को देखें तो पाते हैं कि सरकार कोविड से प्रभावित क्षेत्रों को 1.1 लाख करोड़ रुपए की ऋण गारंटी बढ़ाएगी। ब्याज दर के कारण अस्पतालों तथा अन्य सेवा प्रदाताओं को क्षमता बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार पर्यटन से जुड़े लोगों के ऋण की भी गारंटी देगी। स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार चालू वित्त वर्ष में बच्चों की देखभाल पर बड़ी राशि व्यय करेगी। इससे बच्चों की स्वास्थ्य की समस्याओं के निराकरण के लिए क्षमता बढ़ाने में योगदान मिलेगा। गत वर्ष 2020 में घोषित इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना की कुल सीमा में 1.5 लाख करोड़ रुपए का इजाफा किया गया है।
इससे छोटे उद्यमियों और कारोबारियों को कार्यशील पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी। सरकार के द्वारा सूक्ष्म वित्त संस्थानों द्वारा करीब 25 लाख लोगों को प्रदत्त 1.25 लाख रुपए तक के ऋण को गारंटी प्रदान किए जाने और ऋण कम ब्याज दर पर उपलब्ध होने से छोटे कारोबारियों और उद्यमियों को कारोबारी गतिविधियां दोबारा शुरू करने में सहायता मिलेगी। गौरतलब है कि जिस तरह कोविड-19 की दूसरी घातक लहर से अर्थव्यवस्था में गिरावट के साथ-साथ आर्थिक-सामाजिक मुश्किलें तेजी से बढ़ने का परिदृश्य दिखाई दे रहा है, उसके मद्देनजर नए राहत पैकेज की जरूरत अनुभव की जा रही थी। यदि हम वैश्विक वित्तीय संगठनों व क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की अध्ययन रिपोर्टों को देखें तो पाते हैं कि इन रिपोर्टों में विकास दर में बड़ी कमी आने की बात कही जा रही है। 23 जून को मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत के वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 9.6 प्रतिशत कर दिया है, जो पिछले अनुमान में 13.9 प्रतिशत था। रिपोर्ट में कहा कि उच्च आवृत्ति वाले आर्थिक संकेतक बताते हैं कि कोविड की दूसरी लहर ने अप्रैल और मई में भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया। वायरस के फिर से उभरने के कारण भारत की 2021 की वृद्धि अनुमान को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है। रिपोर्ट में कोविड टीकाकरण की निम्न दर को लेकर चिंता जताई गई है। इसमें कहा गया है कि तेजी से टीकाकरण कर आर्थिक नुकसान घटाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि अभी जहां कोविड-19 महामारी की पहली लहर से मिली भारी गिरावट से देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह उबर नहीं पाई है, वहीं अब उसके सामने कोरोना की दूसरी घातक लहर के नुकसान दिखाई देने लगे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार, विभिन्न राज्य सरकारों और आरबीआई ने महामारी की दूसरी लहर के बीच अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों तथा महामारी से पीडि़त लोगों की मदद के लिए कई कदम आगे बढ़ाए हैं।
यदि हम केंद्र सरकार के द्वारा 28 जून को घोषित राहत पैकेज के अलावा पिछले दो महीनों में घोषित किए गए आर्थिक-सामाजिक राहत के प्रावधानों को देखें तो पाते हैं कि केंद्र सरकार ने गरीब परिवारों के लिए एक बार फिर मई 2021 से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की है। इससे 80 करोड़ लाभार्थी लाभान्वित होंगे। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना पर 26000 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होंगे। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि आरबीआई ने व्यक्तिगत कर्जदारों एवं छोटे कारोबारों के लिए कर्ज पुनर्गठन की जो सुविधा बढ़ाई है और कर्ज का विस्तार किया है, उससे छोटे उद्योग-कारोबार को लाभ होगा। इस नई सुविधा के तहत 50 करोड़ रुपए तक के बकाये वाले वे कर्जदार अपना ऋण दो साल के लिए पुनर्गठित करा सकते हैं जिन्होंने पहले मॉरेटोरियम या पुनर्गठन का लाभ नहीं लिया है। स्वास्थ्य क्षेत्र की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए आरबीआई ने 50000 करोड़ रुपए की नकदी की व्यवस्था की है। इसके अलावा आरबीआई ने 4 जून को पर्यटन, होटल और विमानन जैसे उन क्षेत्रों के लिए 15000 करोड़ रुपए के नकदी समर्थन की घोषणा की जो कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से ज्यादा प्रभावित हुए हैं। देश की अर्थव्यवस्था को गिरावट से रोकने व गतिशील करने के लिए टीकाकरण की सफलता जरूरी है। केंद्र की सबके लिए निःशुल्क टीकाकरण नीति लागू होने के पहले दिन 21 जून को 85 लाख से अधिक टीके लगाए गए हैं। यह पिछले दिनों लगाए जा रहे औसतन 20.30 लाख टीकों की तुलना में बहुत अधिक हैं। निश्चित तौर पर टीकाकरण में बढ़ोतरी के लिए केंद्र द्वारा जून 2021 में टीकाकरण की नीति में किया गया बदलाव बड़ी वजह है। इसके तहत अब 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए भी निशुल्क टीके लगाए जा रहे हैं।
लेकिन इस वर्ष दिसंबर तक सबके लिए टीकाकरण का लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रतिदिन करीब 90 लाख टीके लगाने होंगे। अब तक देश में जनसंख्या के पांचवें हिस्से को टीका लग चुका है। इनमें बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है जिन्हें केवल एक टीका लगा है। टीकाकरण के मामले में हम अभी ब्राजील से बहुत पीछे हैं। ब्राजील ने अपनी आबादी के 40 फीसदी हिस्से को टीका लगा दिया है। चीन में आबादी के करीब 90 फीसदी और अमरीका में करीब 95 फीसदी हिस्से का कोरोना टीकाकरण हो चुका है। इस बात पर ध्यान दिया जाना होगा कि पिछले वर्ष 2020 में कोविड-19 की भीषण चपेट में आए कई पश्चिमी देशों ने अपने उद्योग-कारोबार को सामान्य बनाने और अर्थव्यवस्था को गतिशील करने में टीकाकरण पर व्यय को बेहतर विकल्प माना है। ऐसे में टीकाकरण की गति आने वाले समय में और तेज करने से जहां कोरोना चिंताओं को कम किया जा सकेगा, वहीं अर्थव्यवस्था को गतिशील किया जा सकेगा। हम उम्मीद करें कि सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर से निर्मित मानवीय पीड़ाओं और आर्थिक-सामाजिक मुश्किलों को कम करने के साथ-साथ विकास दर बढ़ाने हेतु 28 जून को जिस राहत पैकेज का ऐलान किया है, उसका शीघ्रतापूर्वक क्रियान्यवन किया जाएगा। हम उम्मीद करें कि अब सरकार राहत पैकेज के अलावा नई मांग के निर्माण हेतु लोगों की क्रयशक्ति बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर कर में कटौती सहित आर्थिक प्रोत्साहनों के लिए भी रणनीतिक रूप से आगे बढ़ेगी।
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