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लेख - July 12, 2021

तबाही का कारण बढ़ती जनसंख्या!

-डॉ. भरत मिश्र प्राची-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

आज दिन पर दिन विष्व स्तर पर जनसंख्या बढ़ती जा रही है। जनसंख्या का बढ़ना हर दिषा में विकट समस्या उभरने के साथ – साथ आज की तबाही का भी मुख्य कारण है। कोरोना फैलने एवं। वष्वभर में तबाही मचाने में अपनी भूमिका निभा चुका है। जगह – जगह गंदगी का जमावड़ा एवं नई – नई बीमारियों का आगमन होना बढ़ती जनसंख्या का मुख्य कारण है। बढ़ती जनसंख्या से बेरोजगारी एवं महंगाई की भी समस्या जटिल हो जाती है। विष्व भर में ंजनसंख्या बढाने के मामलें में चीन देष का नाम सर्वोपरि रहा है पर आज हमारा देष इस मामले में चीन के करीब आ़ चुका है। अभी हाल ही में कोरोना के मामले को लेकर विष्व स्वास्थ्य संगठन से प्राप्त आकड़े में जहां वर्तमान में चीन की जनसंख्या 1.43 करोड़ है वहीं 1.39 करोड़ की जनसंख्या वाला देष भारत है।ये तो सरकारी आकड़े है जब की वास्तविक जनसंख्या के आकड़े इससे अधिक हीं मिलेंगे। भले कोरोना के मामले में प्रभावित आकड़े भारत में चीन से कई गुणा ज्यादा मामले उभर कर सामने आये।
पोपुलेषन एवं पॉलूषन एक दूसरे के पूरक है। पोपुलेषन बढ़ने से पॉलूषन का बढ़ना स्वाभाविक है। पॉलूषन बढ़ेगा तो तरह तरह की बीमारियां भी पैदा होगी। इस तरह के परिवेष में महाविनाषक महामारी का आना स्वाभाविक है जहां न दाम काम आता है न दुआ। कोरोना काल इस तरह के परिवेष का ताजा उदाहरण है जहां विष्व में अनगिनत मौत हुई। एक से बढ़कर एक चर्चित एवं धनवान लोग इसके षिकार हुये एवं काल के गाल में समा गये।
जनसंख्या बढ़ने से हर तरह की मुष्बितों का सामना करना पड़ता है। महामारी आने पर इसके फैलने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। रहने एवं भोजन की समस्या ज्यादा जटिल हो जाती है। आपसी कलह बढ़ जाते है। हर जगह लापरवाही पग पसारने लग जाती है जिससे दुर्घटना एवं असमय मौत दर बढ़ जाती है। सीमित परिवार को चलाना जितना आसान होता है उससे ज्यादा जछिल हो जाता वृहद परिवार को संभालना। जनयंख्या बढ़ने का ही प्रतिकुल प्रभाव है आज का बढ़ता प्रदूशण एवं विगड़ता वातावरण। कोरोना वायरस को पसरने में भी काफी हद तक मदद की है आज की बढ़ती जनसंख्या।
हमारे देष भारत की बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिये ही आपात काल में तत्कालीन सरकार ने परिवार योजना षुरू की जिसका तत्कालीन विपक्ष ने जोरदार विरोध किया। इस मुद्दे परचुनाव में तत्कालीन विपक्ष को राजनीतिक लाभ भी मिला एवं देष में सरकार भी बदल गई। बाद में इस जरूरत को आम लोगों ने हित में समझा एव ंहम दो हमारे दो के नारे को अपने जीवन में ढ़ालने लगे। तभी हमारे देष की आबादी करोड तक पहुंची है वरना यह अरबों में होती। अभी भी देष के मुस्लिम कौम में परिवार नियोजन धार्मिक पहलू बना हुआ है जहां परिवार में सदस्यों की संख्या का बढ़ना बना हुआ है जो हमारे देष की जनसंख्या को प्रभावित करता है।
जनसंख्या का विकास से काफी हद तक जुड़ाव है। जहां जनसंख्या नियंत्रण में है वहां लोगों को आवष्यक चिकित्सा , षिक्षा, रोजगार, आवास, पानी, सहित अन्य सारी आम सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार के लिये आसान होता है। आज जनसंख्या बढ़ने के प्रतिकुल प्रभाव सामने है जहां रहने को घर नहीं अनगिनत रोड एवं झुग्गी झोपड़ियों में अपना समय व्यतीत करते है। अनगिनत कुपोशण एवं इलाज के अभाव में मौत के षिकार हो रहे है। इस तरह का उभरता परिवेष इस बात का साफ संकेत देता है कि बढ़ती जनसंख्या कुपोशण एवं गरीबी का मूल कारण है। यह आतंकवाद , लूट – पाट एवं असमाजिक गतिविधियों को हर पैमाने पर बढ़ावा देता है।
विकास की जगह विनाष का प्रमुख कारण आज की बढ़ती जनसंख्या ही है। इस विशय पर गंभीरता से सभी को विचार करना चाहिए एवं इसके सकरात्मक पहलू हम दो हमारे दो के सिधान्त को हर कौम के लोगों को अपने जीवन में उतारकर जनसंख्या नियंत्रित करने की दिषा में आगे बढ़ना चाहिए।

 

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