Home देश-दुनिया न्यायालय ने सहकारी समितियों संबंधी संविधान के 97वें संशोधन के जरिए जोड़े गए प्रावधान का एक हिस्सा निरस्त किया

न्यायालय ने सहकारी समितियों संबंधी संविधान के 97वें संशोधन के जरिए जोड़े गए प्रावधान का एक हिस्सा निरस्त किया

नई दिल्ली, 20 जुलाई (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक के मुकाबले दो के बहुमत से फैसला सुनाते हुए सहकारी समितियों के प्रभावी प्रबंधन संबंधी मामलों से निपटने वाले संविधान के 97वें संशोधन की वैधता बरकरार रखी, लेकिन इसके जरिए जोड़े गए उस हिस्से को खारिज कर दिया, जो संविधान एवं सहकारी समितियों के कामकाज से संबंधित है। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति के एम जोसफ और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘हमने सहकारी समितियों से संबंधित संविधान के भाग नौ बी को हटा दिया है लेकिन हमने संशोधन को बचा लिया है।’’ न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति जोसफ ने आंशिक असहमति वाला फैसला दिया है और पूरे 97वें संविधान संशोधन को रद्द कर दिया है।’’ संसद ने दिसंबर 2011 में देश में सहकारी समितियों के प्रभावी प्रबंधन से संबंधित 97वां संविधान संशोधन पारित किया था। यह 15 फरवरी, 2012 से लागू हुआ था। संविधान में परिवर्तन के तहत सहकारिता को संरक्षण देने के लिए अनुच्छेद 19(1)(सी) में संशोधन किया गया और उनसे संबंधित अनुच्छेद 43 बी और भाग नौ बी को सम्मिलित किया गया। केंद्र ने दलील दी कि यह प्रावधान राज्यों को सहकारी समितियों के संबंध में कानून बनाने की उनकी शक्ति से वंचित नहीं करता है। केंद्र ने 2013 में 97वें संविधान संशोधन के कुछ प्रावधानों को निष्प्रभावी करने के गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि सहकारी समितियों के संबंध में संसद कानून नहीं बना सकती क्योंकि यह राज्य का विषय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

मुकेश पटेल ऑडिटोरियम में मिथिबाई क्षितिज का कोंटिन्जेंट लीडर्स ghar 2024

मुंबई l( अशोका एक्सप्रेस) मुकेश पटेल ऑडिटोरियम में अपने बहुप्रतीक्षित कोंटिन्जेंट लीडर्स म…