सशक्त राष्ट्र की बुनियाद युवा शक्ति
-प्रताप सिंह पटियाल-
-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
अंतराष्ट्रीय स्तर पर 12 अगस्त का दिन प्रतिवर्ष ‘युवा दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन् 2000 से इस दिवस को मनाने की शुरुआत की है। हालांकि भारत में सन् 1985 से भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक व प्रखर चिंतक स्वामी विवेकानंद जी की जयंती 12 जनवरी के दिन को भी राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। मगर दोनों दिवस मनाने का मकसद एक ही है कि हमारी शासन व प्रशासन व्यवस्था युवावर्ग के महत्त्व को समझ कर उनके विकास के लिए भविष्य की योजनाओं पर गौर फरमाए। भारत दुनिया में सबसे युवा आबादी वाला देश है। सशक्त राष्ट्र निर्माण में खेल क्षेत्र, आर्थिक जगत, कृषि व्यवसाय, तकनीकी क्षेत्र या सैन्य महाशक्ति बनाने की गतिविधियों में युवा वर्ग का ही योगदान अहम होता है। चीन व पाकिस्तान जैसे शातिर हमशाया मुल्कों से सटी हमारे देश की सरहदें युवा सैन्य शक्ति के दम पर ही महफूज हैं। युवा सैन्य शक्ति के शौर्य-पराक्रम के बल पर हम दुश्मन देशों का भूगोल तब्दील करने का दंभ भरते हैं। टोक्यो ओलंपिक खेल महाकुंभ में खिलाडि़यों ने तिरंगा फहरा कर तस्दीक कर दी कि युवावेग ही राष्ट्र का सबसे बड़ा सरमाया होता है। इस वर्ष के शुरुआत में हिमाचल प्रदेश में संपन्न हुए पंचायत निकाय चुनावों में राज्य के लोगों ने चालीस वर्ष से कम उम्र के 72 प्रतिशत उम्मीदवारों को पंचायती राज सिस्टम की सदारद सौंपी है जिसमें 52.8 फीसदी प्रतिनिधित्व महिलाओं के पास है। कई पंचायतों ने युवाओं को निर्विरोध चुनकर भरोसा जताया है। राज्य की जनता ने युवाओं को खुद निर्णय लेने की प्रक्रिया में एक सक्रिय भूमिका निभाने का सुनहरा अवसर दिया है। मगर लोगों द्वारा चुने हुए नुमाइंदों को तय करना होगा कि वे अपनी नई सोच व उम्दा कार्य प्रणाली से कुशल नेतृत्व करके किस क्षेत्र में अहम फैसले लेकर समाज को प्रभावित करके मिसाल कायम कर सकते हैं। वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण, सड़कों पर धूल फांक रहा हजारों की तादाद में गौवंश, खेत खलिहान के लिए खतरा बन चुके जंगली जानवर, परंपरागत पेयजल स्रोतों का संरक्षण व जीर्णोद्धार तथा ग्रामीण विकास ढांचे को सकारात्मक दिशा देने जैसे बुनियादी सामाजिक मुद्दों पर अपना किरदार निभाकर पंचायतों के युवा सदस्य अपनी काबिलियत का परिचय दे सकते हैं।
हिमाचल धार्मिक स्थलों व पर्यटन के लिए विख्यात है, मगर पर्यटन व पिकनिक की आड़ में कई विदेशी व अन्य राज्यों के ड्रग तस्कर राज्य की हसीन वादियों को महफूज पनाहगाह बना रहे हैं। नशे में धुत बाहरी राज्यों के कई लोग यहां स्थानीय नागरिकों से बदसलूकी व लूटपाट तथा कई अन्य संगीन वारदातों को बेखौफ होकर अंजाम दे रहे हैं। हिमाचल की संस्कृति, सरोकारों व शांत वातावरण को दूषित करने वाली इन घटनाओं में मुल्लविश लोगों पर सख्त एक्शन की जरूरत है। मौजूदा दौर में नशा मुल्क के मुस्तकबिल युवा वर्ग को बर्बाद करके आर्थिक तौर पर भी खोखला कर रहा है। किसी भी क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की कूवत रखने वाली देश की नींव युवापीढ़ी यदि अपनी किशोरावस्था से ही नशे के जानलेवा शौक की गिरफ्त में आकर लक्ष्य से भटक जाए या मौत को दावत देने वाली नशे की अवैध तिजारत में अपना भविष्य तराशने लगे तो बर्बादी का मंजर तय है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से पैर पसार रहे नशा माफिया के अवैध कारोबार पर लगाम लगाने के लिए ‘ड्रग निवारण’ जैसे अभियानों की मुहिम चलाकर तथा ड्रग माफिया को बेनकाब करने में सुरक्षा एजेंसियों का सहयोग जैसी समस्याओं पर नेतृत्व करके पंचायत सरवराह युवावर्ग के लिए आदर्श उदाहरण पेश कर सकते हैं। देश में बढ़ती जनसंख्या के साथ बढ़ती महंगाई तथा चरम पर बेरोजगारी युवावर्ग के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। हमारे देश की 138 करोड़ की आबादी में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, मगर बेहतर भविष्य के लिए अच्छे रोजगार की तलाश में हर वर्ष अत्यधिक कुशल युवा दूसरे देशों का रुख कर लेते हैं। विश्व के कई देशों में भारतीय युवा डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक तथा व्यवसायी के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि कई देशों की राजनीति व प्रशासन में भी भारतीय लोग सक्रिय हैं। विश्व की सबसे प्रतिष्ठित संस्था अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ में भारतीय युवा वैज्ञानिक के रूप में कई सालों से अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। प्रतिभा सम्पन्न युवाओं की विदेशों में ज्यादा कद्र होती है।
इससे भारत का मान जरूर बढ़ता है, मगर देश की प्रतिभाओं का इस कदर पलायन राष्ट्रहित में नहीं है। इसके कारणों पर मंथन व सियासी रायशुमारी होनी चाहिए। देश में नौकरशाही, प्रशासनिक सेवाओं, शिक्षा, चिकित्सा व तकनीकी क्षेत्र तथा सुरक्षा एंजेसियों को हमेशा क्षमताशील युवाओं की जरूरत रहती है, मगर सरकारी संस्थानों में आरक्षण प्रणाली के चलते ‘डिजर्व’ उम्मीदवार पर ‘रिजर्व’ भारी पड़ जाते हैं। नतीजतन ज्यादातर कुशल युवा विदेशों या निजी क्षेत्रों में सेवाएं देने को मजबूर होते हैं। आरक्षण देश की उत्कृष्ट पात्रता के भविष्य पर कुठाराघात है जिससे योग्य प्रतिभागियों के जहन में आक्रोश की भावना बढ़ती है। कड़ी मेहनत के बलबूते योग्यता के शिखर पर पहुंचे मेधावी यदि आरक्षण व्यवस्था की वजह से उपेक्षित हो जाएं तो देश उन्नति के मुकाम पर नहीं पहुंच सकता। देश में जातिवाद, आरक्षण व मुफ्तखोरी की हिमायत हुक्मरानों की सियासी जमीन या वोट बैंक को मजबूत कर सकते हैं। मगर यह नीतियां देश के वर्तमान व भविष्य की बुनियाद प्रतिभाशाली युवाओं के लिए नुकसानदायक हैं। बहरहाल रहनुमाई व्यवस्था को प्रतिभावान युवावर्ग के जज्बातों की कद्र का मिजाज पैदा करना होगा। शारीरिक व मानसिक तौर पर ऊर्जावान तथा जोश से लबरेज युवावर्ग हर क्षेत्र में देश की तकदीर व तस्वीर बदलने की हैसियत रखता है, बशर्ते हमारी सियासी व्यवस्था उभरती युवा प्रतिभाओं के भविष्य को कुचलने वाली नीतियों को रुखसत करके उनकी काबिलियत व क्षमता को अहमियत देकर युवावेग को राष्ट्र निर्माण व विकास कार्यों में उपयोगी बनाने पर तवज्जो दे। यही देशहित में लाभकर होगा।
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