खांसी जुकाम और साइनस की समस्या में फायदेमंद है भस्त्रिका प्राणायाम
-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
सर्दी के मौसम में खांसी-जुकाम, बुखार और साइनस के दर्द की समस्या आम है। इस मौसम में वातावरण का तापमान कम होने के कारण आपका मेटाबॉलिज्म कमजोर हो जाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) भी घट जाती है। ऐसे में अगर आप रोजाना कुछ समय योग करते हैं, तो स्वस्थ और प्रसन्न रह सकते हैं। योगासनों द्वारा न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक परेशानियों से भी जल्द छुटकारा मिल जाता है। ऐसा ही एक आसन है भस्त्रिका आसन, जिसके अभ्यास से आप सर्दी-जुकाम, बुखार, वायरल इंफेक्शन, साइनस का दर्द, अस्थमा और डायबिटीज में आराम पा सकते हैं।
कितना फायदेमंद है भस्त्रिका प्राणायामः भस्त्रिका प्राणायाम से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है इसलिए ये प्राणायाम पूरे शरीर के लिए फायदेमंद होता है। इसके नियमित अभ्यास से अस्थमा, कफ, एलर्जी, सर्दी-जुकाम और खांसी जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं क्योंकि ये प्राणायाम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इस आसन के अभ्यास से मधुमेह की समस्या नियंत्रित रहती है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से चेहरे और शरीर पर ग्लो बढ़ जाता है।
बढ़ता है रक्त संचारः भस्त्रिका प्राणायाम से धमनियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलता है। इससे धमनियों में किसी तरह का ब्लॉकेज नहीं होता। इसके साथ ही फेफड़ों की कार्यक्षमता भी बढ़ती है। भस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर में रक्त संचार सुचारू होता है। इससे शरीर के अवयव सही प्रकार काम करने लगते हैं।
कैसे करें भस्त्रिका प्राणायामः सबसे पहले सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अपनी गर्दन और रीढ़ को बिल्कुल सीधा रखें और ज्ञान मुद्रा लगाएं। पूरी शक्ति के साथ गहरी सांस फेफड़े में भरें। जितना दबाव सांस लेते समय हो, उतने ही दबाव के साथ सांस बाहर निकलने दें। सांस लेने-छोड़ने में ढाई-ढाई सेकंड का समय लगाएं। सांस भरते समय हल्का पीछे झुकें और सांस छोड़ते हुए हल्का आगे झुकें।
किन लोगों को नहीं करना चाहिए अभ्यासः भस्त्रिका प्राणायाम शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है, लेकिन कुछ खास स्थितियों में इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए या किसी एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही करना चाहिए। जैसे- कमर में दर्द, हर्निया के रोगी, अपेंडिक्स और आंत के रोगों के मरीज इसे न करें। साथ ही इस आसन को रोजाना पांच मिनट से ज्यादा न करें। कैंसर जैसे गंभीर रोग में इसे 10 मिनट तक किया जा सकता है।
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