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लेख - August 27, 2021

राशन तो मिल रहा था, वो फोटो से डर गया

-निर्मल रानी-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

सत्ता व ‘सत्ता भक्तों’ द्वारा एक आभासी धारणा का प्रचार किया जाता रहा है कि देश में गत 70 वर्षों में कुछ नहीं हुआ। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता संभालने के मात्र एक वर्ष बाद दक्षिण कोरिया में रह रहे अप्रवासी भारतीयों के एक कार्यक्रम में यह कहा था कि, ष्पहले लोग भारतीय होने पर शर्म करते थे लेकिन अब आपको देश का प्रतिनिधित्व करते हुए गर्व होता है।’ प्रधानमंत्री के ‘राष्ट्रवाद से परिपूर्ण इस उदगार’ की जमकर आलोचना हुई थी। कई लोगों ने ट्वीट कर अपना विरोध जताते हुए इस आशय के ट्वीट किये थे कि ष्मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो विदेशी धरती पर भारतीय होते हुए शर्म महसूस कर रहे हैं. जो भारतीय हैं उन्हें हमेशा भारतीय होने पर गर्व होता है।ष् 2014 से लेकर अब तक देश बहुत कुछ बदल भी चुका है। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, खाद्य तेल, रिफाइंड तेल, सब्जियां आदि सभी जरूरी चीजें इतनी मंहगी हो गयी हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। रेल से लेकर हवाई अड्डे, बंदरगाह, सड़कें, ट्रांसपोर्ट, बी एस एन एल, वेयर हॉउस, विद्युत् उत्पादन केंद्र जैसे तमाम बड़े से बड़े सरकारी उपक्रमों को चंद सत्ता समर्थक उद्योगपतियों के हाथों में सौंपे जाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। कहा जा सकता है कि जब यह व इस तरह के और अनेक उपक्रम सरकार व जनता के हाथों में थे उस समय प्रधानमंत्री के अनुसार ‘पहले लोग भारतीय होने पर शर्म करते थे’ परन्तु अब जब यह सब मुट्ठी भर निजी हाथों में सौंपे जा रहे हैं उस समय प्रधानमंत्री के ही अनुसार ‘अब आपको देश का प्रतिनिधित्व करते हुए गर्व होता है।’ गर्व करने लायक और भी बहुत कुछ है। करोड़ों लोगों का इसी ‘गर्व काल ‘ में बेरोजगार हो जाना, रोजगार के नये अवसर मुहैय्या न होना, नोटबंदी व जी एस टी जैसी नीतियों का फेल होना, उसके पश्चात् प्रथम लॉकडाउन के दौरान पूरे देश में करोड़ों लोगों का हजारों कलोमीटर की पैदल यात्रा करना, इसी दौरान हजारों लोगों का रास्ते में मौत की आगोश में समा जाना, फिर कोरोना संकट में अस्पतालों से लेकर शमशान घाटों तक में मची ऐतिहासिक अफरा तफरी और फिर देश की विभिन्न नदियों के किनारे मृतकों की लाशों के तिरस्कार के वीभत्स दृश्य इनमें ऐसी कौन सी बात है जिसपर यह कहा जा सके कि-अब भारतवासियों को देश का प्रतिनिधित्व करते हुए गर्व हो रहा है?

परन्तु ऐसा नहीं है। अब भी गर्व करने वाले कर रहे हैं। कश्मीर से धारा 370 हटने पर गर्व, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर गर्व, मुसलमानों को दबा कर रखने व अपमानित करने की खुली छूट मिलने पर गर्व, मुस्लिम व मुगल कालीन तथा उर्दू शब्दों वाले तमाम शहरों, स्टेशन, व सड़कों आदि के नाम बदलने पर गर्व, देश में प्रधानमंत्री ने अपना निजी हाईटेक विमान इंडिया वन खरीद लिया, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया प्रधानमंत्री निवास व सचिवालय आदि बनने पर, दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा कांग्रेस नेता सरदार बल्लभ की लगाई गयी, बुलेट ट्रेन चलने जा रही है… आदि यह सभी गौरवपूर्ण हैं। परन्तु इन सभी ‘गौरव शाली’ फैसलों व योजनाओं से आखिर आम भारतवासी के जीवन यापन, उसकी रोजमर्रा की जिन्दिगी पर क्या प्रभाव पड़ने वाला ? हाँ सरकार द्वारा भूख बेरोजगारी व मंहगाई तथा कोरोना दुष्प्रभावों से त्रस्त जनता को ऊंट के मुंह में जीरे सरीखी राहत पहुँचाने का जो निर्णय ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ के रूप में लिया गया उसकी सराहना जरूर की जा सकती है। परन्तु यह योजना भी देशी विदेशी मीडिया में आलोचना के निशाने पर रही क्योंकि जैसे कोरोना टीका प्रमाणपत्र पर पर प्रधानमंत्री के व कुछ राज्यों के मुख्य मंत्रियों के चित्र छपे थे ठीक उसी तरह ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ में जो राशन वितरित किया गया उसपर भी प्रधानमंत्री का बड़ा चित्र छापा गया जबकि जिन राज्यों में यह थैले भेजे गये वहां के मुख्यमंत्रियों के चित्र भी प्रिंट किये गये।अफसोस तो यह कि देश के कई राज्यों से शिकायतें आईं कि इन थैलों में जो ‘मुफ्त ‘राशन वितरित किया गया वह बेहद घटिया और कहीं कहीं तो सड़ा हुआ और प्रयोग न कर सकने जैसा भी था।

गोया थैले में बंटने वाला राशन घटिया और राजनेताओं के चित्र से ‘सुसज्जित’ थैला बेहतर किस्म का। मकसद साफ प्रतीत होता है कि उपभोक्ता उस थैले को बाजार में खरीदारी करने के लिये बार बार ला सके ताकि ‘करम फरमाँ राजनेताओं की सह्रदयता’ का मुफ्त में प्रचार हो सके। और साथ साथ उपभोक्ता की भी शिनाख्त हो सके कि यह वही थैला धारी है जिसने सरकार का मुफ्त राशन हासिल किया है। क्या अब भी ‘आपको देश का प्रतिनिधित्व करते हुए गर्व नहीं होता है।’ अन्न महोत्सव के दौरान हरियाणा में कुछ लोगों ने इन सरकारी थैलों में आग लगा दी। कृषि बिल का विरोध करने वाले किसान राशन के थैलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चैटाला की फोटो छपी देखकर भड़क गये थे। किसानों का कहना था कि उन्हें गरीबों के राशन वितरण में कोई आपत्ति नहीं है परन्तु मुफ्त राशन वितरण की आड़ में किसानों पर कुठाराघात करने वाली सरकार के प्रमुखों के चित्र किसी दशा में सहन नहीं किए जाएंगे। इसलिए वितरित हो रहा राशन इन फोटो वाले थैलों में ना दिया जाए । किसानों ने डिपू पर लगे प्रधानमंत्री मोदी के पोस्टर भी हटवा दिए । जरा सोचिये जश्न के रूप में देश की जनता के पैसों का राशन गरीबों को उत्सव के रूप में वितरित करना और जनता के पैसों से ही करोड़ों रूपये के थैलों पर नेताओं के चित्र छपवाना यह सब उपलब्धियां निश्चित रूप से 70 सालों में नहीं देखी गयी थीं शायद तभी प्रधानमंत्री के अनुसार ‘पहले लोग भारतीय होने पर शर्म करते थे’ और अब वे जब और जहाँ भी यह राशन बैग लेकर जाएंगे वहां उनकी पहचान एक ‘गर्व’ करने वाले स्वाभिमानी, आत्म सम्मान वाले खुद्दार भारतवासी के रूप में होगी। इसमें कोई शक नहीं कि हमारा देश स्वाभिमानियों का देश है। यहां घटिया किस्म के राशन के साथ थैला रुपी प्रचार सामग्री थमाना राशन बांटते समय उनके चित्र लेना, उनके साथ नेताओं का सेल्फी उतारना तथा वीडीओ आदि बनाना उन स्वाभिमानी गरीब देशवासियों की तौहीन है। शायद इन्हीं गरीब परन्तु खुद्दार भारतवासियों के लिये शायर ने कहा है कि –

खुद्दार मेरे शहर में फाके से मर गया।

राशन तो मिल रहा था, वो फोटो से डर गया।।

खाना थमा रहे थे उसे, सेल्फी के साथ साथ।

मरना था जिसको भूख से, गैरत से मर गया ।।

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