पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर कमी से माल ढुलाई से कोई राहत नहीं
नई दिल्ली, 22 मई (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी से रोजमर्रा के जीवन में निजी वाहन का इस्तेमाल करने वाले लोगों को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन अभी वस्तुओं की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अधिकांश ट्रांसपोर्ट यूनियन अभी माल ढुलाई में किसी भी तरह की कटौती के मूड में नहीं है। उनका तर्क है कि पहले से वे नुकसान में हैं, जिसकी भरपाई करने में समय लगेगा। पेट्रोल-डीजल के अतिरिक्त वाहनों की सर्विस और टायरों की कीमतों में भी 10 से 20 फीसदी का उछाल आ चुका है, इसलिए निकट भविष्य में मालभाड़े में किसी तरह का परिवर्तन होने की संभावना नहीं है।
सरकार ने शनिवार को एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी, जिसके बाद पेट्रोल 105.71 रुपये से घटकर 96.71 रुपये प्रति लीटर हो गया है। वहीं, डीजल की कीमतें भी 96.72 रुपये से गिरकर 89.62 रुपये प्रति लीटर हो गई है। इसके बाद माना जा रहा था कि ट्रांसपोर्ट लागत में कमी आएगी, क्योंकि डीजल एक रुपये प्रति लीटर महंगा होता है तो उसे प्रति क्विंटल मालभाड़ा 50 पैसे महंगा हो जाता है। अब डीजल की कीमतों में सीधे तौर पर सात रुपये की कमी आई है, तो मालभाड़े में प्रति क्विंटल करीब तीन रुपये सस्ता होना था, लेकिन अभी इसमें कोई बदलाव की संभावना दिखाई नहीं देती है।
ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की तरफ से कहा जा रहा है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से काम घट गया था, जिससे नुकसान हो रहा था। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन के सीईओ जय प्रकाश का कहना है कि माल ढुलाई को अकेले डीजल खर्च से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि बीते एक वर्ष में ड्राइवर-हेल्पर का खर्च बढ़ा है। साथ ही टायरों की कीमतों में करीब पांच से 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सर्विस चार्ज भी 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं। साथ ही दिल्ली-एनसीआर में डीजल वाहनों के साथ दूसरी आफत 10 साल की है। जब ट्रांसपोर्टर को 10 साल में ट्रक बेचना पड़ेगा तो सभी उसकी कीमतों के आधार पर माल भाड़ा तय करते हैं। अगर लगेगा कि नुकसान नहीं हो रहा है, तो भविष्य में कीमत घटाने पर भी विचार किया जा सकता है।
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