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स्वास्थ्य - June 23, 2021

दवा के बिना इलाज की विधि फिजियोथैरेपी

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

प्राचीनकाल से दवाओं के बिना ही शरीर के रोगों की चिकित्सा का प्रचलन है। राजा.महाराजाओं के यहां युध्द के बाद आयी शिथिलताए चोटों व शरीर के अन्य रोगों को ठीक करने हेतु वैद्य व अन्य चिकित्सक रहते थे जो हड्डी बैठाने व अंगों को पुनः कार्य करने योग्य बनाते थे।

रामायण व महाभारत काल में
इस थैरेपी का प्रचलन गांवों व कस्बे में पहले से ही था। जहां जोड़ों में दर्दए घुटनोंए कमरए पीठए कंधेए जांघोंए छाती इत्यादि अंगों में दर्द काए मालिश एवं व्यायाम के जरिये उपचार किया जाता था। महाभारत व रामायण काल में भी बड़े.बड़े ऋषि व मुनि भी इस चिकित्सा में पारंगत थे। अंजनी पुत्र हनुमान व विश्वमित्र भी इस विद्या में पारंगत थेए जो युध्द में हुए घायलों को अपने स्पर्श मात्र से ठीक करते थे। श्री हनुमान ने शनि को युध्द में हराने के बाद उसकी फिजियोथैरेपी की थी तथा इसी प्रकार विश्वमित्र ने भी अपने यज्ञ की रक्षा के बाद श्रीराम की फिजियोथैरेपी के बाद उन्हें दिव्य शस्त्रों का ज्ञान दिया था। लंका के सुषेण वैद्य व अन्य राक्षस भी फिजियोथैरेपी के ज्ञान में पारंगत थे। जैसे.जैसे समय बीतता गयाए इस विद्या का ह्रास होता चला गया। आधुनिक काल में इस विद्या ने वैज्ञानिक रूप ले लिया हैए जिससे युवाओं व युवतियों का रूझान इस ओर बढ़ता जा रहा है।

खेलकूद से जुड़ी समस्याएं खेलकूद से जुड़ी समस्याओं की फिजियोथैरेपी करने वाले विशेषज्ञ इस क्षेत्र में पूरी तरह से सफल होते जा रहे हैं। शरीर को अनेक जटिल बीमारियों जैसे स्पांडिलाइटिसए अर्थराइटिसए साइटिक पेनए स्लिप डिस्क इत्यादि की फिजियोथैरेपिस्ट बड़ी आसानी से सफल चिकित्सा कर रहे हैं। आज इस पध्दति की बढ़ती उपयोगिता के कारण ही हृदय रोग से जुड़ी समस्याओं की चिकित्सा व्यायामए खान.पान नियंत्रण आदि से की जाने लगी है। बच्चों की बीमारियों में भी फिजियोथैरेपी का पूरी सफलता के साथ प्रयोग किया जा रहा है। फिजियोथैरेपी की उपयोगिता सबसे अधिक आर्थोपैडिक व न्यूरोलॉजी में पड़ती है। इस संबंध में सण् भगवान सिंह इंस्टीच्यूट के फिजियोथैरेपिस्ट विभाग के अध्यक्ष डाण् मनीष अरोड़ा ने बताया कि आर्थोपैडिक के अन्तर्गत हड्डी की सभी बमारियोंए अर्थराइटिसए गठियाए स्पांडलाइटिसए लो बैकपेनए स्लिपडिस्कए टेनिस एल्बोए पोस्ट सर्जिकल व प्री.सर्जिकल में भी फिजियोथैरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्तमान में स्पांडिलाइटिस व स्लिप डिस्कए लो बैकपेन की शिकायत अधिक बढ़ रही हैं। इनमें दर्द अधिक होता हैए लेकिन जनता में भी जागरूकता बढ़ रही है इसलिए लोग पेन किलर खाने के बजाय फिजियोथैरेपी करना अधिक उचित समझने लगे हैं। वहीं न्यूरोलॉजी में भी इसकी एहमियत कुछ कम नहीं है।

नशे पर कंट्रोल
अब फिजियोथैरेपी के जरिये नशे पर कंट्रोल पाना भी आसान हो जायेगा। वैज्ञानिकों ने खासकर सिगरेट के नशेड़ी व्यक्ति को मामूली ट्रीटमेंट से नशे की आदतों को छुड़ाने के लिये टेक्नोलॉजी विकसित की है। लेजर थैरफ्यूटिक प्रणाली के जरिये अमेरिका ने एक स्टाप स्मोकिंग जस्ट 30 मिनट मशीन का आविष्कार किया है। एक्यूपंचर वेस्ट मशीन से मनुष्य के शरीर पर स्पर्श होते ही महज छह मिनट में असर होना शुरू हो जाता है। मशीन की नोव 10 सेण्मीण् त्वचा के अंदर जाकर व्यक्ति के अंदर इंडोरफीनए केमिकल को अप कर देता हैए जिससे मनुष्य को लगने वाली सिगरेट की तलब जीरो हो जाती है। चिकित्सा शिक्षा का क्षेत्र रोजगारपरक होने के साथ.साथ एक संतोष भी प्रदान करता है। जिन युवाओं को चिकित्सा क्षेत्र में कार्य करने की अभिलाषा हैए उनके लिये फिजियोथैरेपिस्ट एक अच्छा कैरियर हो सकता है। क्योंकि आजकल मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेना ही काफी दुष्कर होता जा रहा है। प्रवेश परीक्षाओं में बढ़ती प्रतियोगिता के कारण कई उत्साहित युवाध्युवतियां चिकित्सा क्षेत्र में जाने से वंचित रह जाते हैं। ऐसी स्थिति में फिजियोथैरेपिस्ट एक अच्छा कैरियर हो सकता है। वैसे भी आजकल लोगों का फिजियोथैरेपी के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा है।

भविष्य में ऐसी आशा की जा रही है कि फिजियोथैरेपी का क्षेत्र और अधिक व्यापक हो जायेगा। अन्य चिकित्सा पाठ्यक्रमों की अपेक्षा अभी भी फिजियोथेरेपिस्ट पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना काफी सुविधाजनक और कम खर्चीला है। बीण्पीण्टीण् फिजियोथैरेपिस्ट की उपाधि प्राप्त करने के लिये अभ्यर्थी कोचार वर्ष तक परिश्रम लगन के साथ प्रशिक्षण प्राप्त करना होता है। इसके बाद दो वर्ष की पढ़ाई के बाद एमण्पीण्टीण् की डिग्री प्राप्त होती है। यह दोनों पढ़ाई उत्तराखण्ड प्रदेश के जिला देहरादून में सण् भगवान सिंह मेडिकल इंस्टीच्यूट बालावाला से भी की जा सकती है। इस प्रशिक्षण के उपरांत सफल अभ्यर्थियों को किसी सरकारी या मान्यता प्राप्त चिकित्सालय में छह माह की इंटर्नशिप भी करनी होती है। देहरादून में गत वर्ष आयोजित आईण्एण्पीण् के राष्ट्रीय सम्मेलन में फिजियोथैरेपी पर नवीन तकनीकियों को फोकस किया गया। देश.विदेश से आये विशेषज्ञों ने इन क्षेत्र की आधुनिक चिकित्सा पध्दति से 35 मेडिकल कॉलेजों के छात्र व छात्राओं को अवगत कराया।

 

 

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