चुनावी बिसात बिछी
-सिद्वार्थ शंकर-
-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
अब जबकि चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि यूपी समेत पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव समय पर होंगे, तो माना जाना चाहिए कि अगले कुछ दिनों में सभी राज्यों में राजनीति का पारा सातवें आसमान पर होगा। इन पांचों राज्यों में सभी की नजर उत्तर प्रदेश पर है। चुनाव आयोग के रुख के बाद उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। अगले कुछ दिनों में तारीखों का ऐलान भी हो जाएगा। चुनावी अखाड़े में एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए राजनीतिक दलों ने अभी से खम ठोंकना भी शुरू कर दिया है। सबसे ज्यादा सक्रिय भाजपा दिख रही है। उसके पीछे-पीछे अन्य दल और मुखिया भी अपने-अपने हिसाब से कदमताल करते नजर आने लगे हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो चुका है। कहां किस राज्य में किस पार्टी से हाथ मिलाकर सत्ता के करीब आना है, किन पुराने दुश्मनों को दोस्त बनना है और किसे आखिरी वक्त पर झटका देना है, इन सारे मुद्दों पर पर्दे के पीछे खेल भी शुरू हो गया है। दरअसल, अगले साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को केंद्र सरकार के लिए सेमीफाइनल के तौर पर भी देखा जा रहा है, क्योंकि दो साल बाद 2024 में ही तो लोकसभा चुनाव भी होने हैं। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर, गोवा, उत्तराखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है। केंद्र सरकार से जुड़े भाजपा शासित राज्यों में उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है। दिल्ली की सत्ता की राह उत्तर प्रदेश ही तय करता है। ऐसे में यहां की हार-जीत का सबसे अधिक असर वर्ष 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव पर सबसे ज्यादा पड़ेगा। यही वजह है कि यहां भाजपा समेत जिस किसी भी दल को देखें, वह किसी न किसी रूप में सरकार बनाने और सत्ता पाने की जुगत में लगा है। चाहे उत्तर प्रदेश हो या पंजाब, गोवा, उत्तराखंड या छोटा राज्य मणिपुरज् हर जगह सत्तारूढ़ दल से सत्ता की चाबी छीनने के लिए अन्य पार्टियां लगी हैं। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी सरगर्मियां उफान पर हैं। सत्तारूढ़़ भाजपा सूबे में फिर से वापसी के लिए आत्मविश्वास से लबरेज है, वहीं सपा से लेकर कांग्रेस और बसपा तक अपनी जीत के दावे कर रही हैं। अब उत्तराखंड की यदि बात करें तो यहां सत्तारूढ़ भाजपा एक बार फिर सत्ता में आने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। पार्टी ने इस बार 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 60 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य बनाया है। गोवा विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। 40 विधानसभा वाले गोवा विधानसभा के लिए सत्तारूढ़ भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी अपनी सत्ता के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। देश का सबसे समृद्ध राज्य पंजाब, जहां अभी कांग्रेस सत्तारूढ़ है, वहां भाजपा और आम आदमी पार्टी कांग्रेस से सत्ता छीनने के लिए अपने जोड़-तोड़ में जुटी है। पंजाब में कैप्टन के प्रति मतदाताओं का जो लगाव है, वह भी धीरे-धीरे सामने आने लगा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्होंने भाजपा की नजदीकियों को स्वीकार कर लिया है। इसका लाभ तो भाजपा को मिलेगा ही, लेकिन पंजाब में अब तक भाजपा कहीं भी अकाली दल और कांग्रेस के आसपास नहीं टिक रही थी। ऐसी स्थिति में हो सकता है कि भाजपा को कुछ लाभ उनके जाने से मिल जाए। अब रही आम आदमी पार्टी की बात, तो जो स्थिति आपसी फूट के कारण पंजाब में बनती जा रही है, उसमें इतना तो मानना ही पड़ेगा की आम आदमी पार्टी को इस बंदरबाट का कुछ न कुछ लाभ तो जरूर मिलेगा। 60 सीटों वाली मणिपुर विधानसभा में भाजपा गठबंधन के पास कुल 32 विधायकों का समर्थन था। लेकिन, अब नौ विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिनमें तृणमूल कांग्रेस का एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक शामिल है।
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