अमेरिका में बाजों की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट
वाशिंगटन, 20 फरवरी (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। अमेरिका में वन्यजीवों का शिकार करने के लिए बंदूक में इस्तेमाल की जा रही गोली में उपस्थित सीसा के कारण गंजे और सुनहरे बाजों की जनसंख्या वृद्धि दर में तेजी से गिरावट हो रही है। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के एक नए अध्ययन के अनुसार, गंजे और सुनहरे बाज व्यापक स्तर पर और लगातार लेड विषाक्तता से पीड़ित हो रहे हैं। इस अध्ययन के निष्कर्ष साइंस जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। अपनी तरह का पहला, आठ साल का अध्ययन, 2010 और 2018 के बीच अलास्का सहित 38 अमेरिकी राज्यों के माध्यम से 1,210 ईगल से रक्त के नमूने लेने वाले विशेषज्ञ शामिल थे। अध्ययनकर्ताओं ने बताया, गंजे और सुनहरे बाज उन हिरणों या अन्य जीवों के बचे अंगो को खाते हैं, जिन्हें शिकारियों गोली मारी जाती है। इन मरे हुए जीवों के शरीर में गोलियों माध्यम से सीसा प्रवेश कर जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, अध्ययन में पाए गए स्तरों पर जहर के कारण गंजे बाजों की जनसंख्या वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत और ,सुनहरे गंजे बाजों की जनसंख्या वृद्धि दर 0.8 प्रतिशत सालाना धीमी हो रही है। पारिस्थितिक तंत्र के एसोसिएट डायरेक्टर ऐनी किन्सिंगर ने कहा, अध्ययन ने अलग-अलग पक्षियों पर इसका घातक प्रभाव दिखाया है, लेकिन इन राजसी प्रजातियों में सीसा विषाक्तता से जनसंख्या स्तर के परिणामों को इतने व्यापक पैमाने पर दिखाने वाला यह पहला अध्ययन है। शोधकर्ताओं के अनुसार, गंजा बाज 1782 से अमेरिका का राष्ट्रीय प्रतीक रहा है, और हाल के वर्षों में इसकी संख्या में वृद्धि हुई है, फिर भी यह जोखिम में है। शिकारियों द्वारा गोली मारे जाने के बाद साइट पर छोड़े गए अन्य जानवरों के अंगों में बंदूक की गोली खाने वाले पक्षियों के कारण पूर्वोत्तर में उनकी जनसंख्या वृद्धि छह प्रतिशत तक घट रही है। यूएसजीएस के एक वन्यजीव जीवविज्ञानी, प्रमुख लेखक डॉ टॉड कैटजनर ने कहा, ‘यह राष्ट्रव्यापी स्तर पर वन्यजीवों के सीसा विषाक्तता का पहला अध्ययन है। गौरतलब है कि गंजे और सुनहरे बाज की प्रजातियां साल भर मृत जानवरों का उपयोग भोजन स्रोत के रूप में करते हैं, खासकर सर्दियों के महीनों के दौरान जब शिकार को खोजना मुश्किल होता है।
क्या होता है सीसा विषाक्तता: सीसा विषाक्तता आमतौर पर तब होती है जब कोई जीव दूसरे जीव के शव के अंदर या आंत के ढेर में फंसे गोला, बारूद के टुकड़े खाता है। विशेषज्ञों को डर है कि जल्द ही शिकारियों की गोलियों से सीसे के जहर के कारण पक्षियों की आबादी में भारी गिरावट हो सकती है।
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