जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा हड़ताल अवैध करार देने के बाद जूनियर डाक्टरों का सामूहिक इस्तीफा
भोपाल, 04 जून (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। मध्यप्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय द्वारा जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देने और काम पर लौटने के आदेश दिए जाने के बाद जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। राज्य के जूनियर डॉक्टर स्टाइपेंड बढ़ाए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर चल रहे हैं। इससे स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित है और कोरोना के अलावा ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर जबलपुर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी, इस पर सुनवाई करते हुए दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने गुरुवार को हड़ताली डॉक्टरों को 24 घंटे के भीतर लौटने का निर्देश दिया था। साथ ही सरकार से कहा था कि अगर हड़ताली कर्मचारी निर्धारित समय तक ड्यूटी पर नहीं लौटते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना चाहिए। ज्ञात हो कि राज्य में छह चिकित्सा महाविद्यालय है और तीन हजार जूनियर डाक्टर हैं। इन जूनियर डाक्टर के हड़ताल पर जाने का स्वास्थ्य सेवाओं पर खासा असर पड़ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि चिकित्सा महाविद्यालयों के अधीन आने वाले अस्पतालों का बड़ा जिम्मा इन्हीं जूनियर डाक्टर पर है। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद मीणा ने कहा है कि राज्य के सभी जूनियर डॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान राज्य के मुखिया हैं इसलिए उन्हें पहल करनी चाहिए और हड़ताल को खत्म कराने के प्रयास करना चाहिए। जूनियर डॉक्टर सरकार से बातचीत करने के लिए तैयार हैं। जूनियर डाक्टरों के संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मीणा ने सरकार पर अनावश्यक दबाव डालने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अगर यह दबाव की रणनीति आगे जारी रही तो वे सड़कों पर उतर जाएंगे और उन्हें अन्य लोगों का भी समर्थन मिल रहा है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने जो आदेश दिया है उसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय में भी अपील की जाएगी। प्रदेष इन दिनों कोरोना महामारी और ब्लैक फंगस के संकट से गुजर रहा है, ऐसी स्थिति में हड़ताल से मरीजों को परेशानी हो रही है। इस मसले पर मीणा का कहना है कि जुड़ा लगातार सरकार से मांग कर रहा है कि उसकी बात सुने और हड़ताल को खत्म कराने की पहल करें, मगर ऐसा नहीं हो रहा है। समझ में नहीं आ रहा कि सरकार की क्या जिद है। वहीं बता दें कि राज्य सरकार ने स्टायपेंड में 17 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ मूल्य सूचकांक के अनुसार बढ़ोत्तरी का वादा किया हैं। वहीं हडताल को अवैध करार देते हुए हड़ताली जूनियर डाक्टरो का पंजीयन निरस्त करने की बात कही है।
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