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लेख - June 7, 2021

अनलॉक की प्रभावी रणनीति हो

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

इन दिनों वैश्विक स्तर पर दुनिया के विभिन्न देशों में कोरोना संक्रमण के नियंत्रण हेतु लगाए गए लॉकडाउन के बाद अनलॉक किए जाने संबंधी विभिन्न शोध अध्ययन रिपोर्टों में कहा गया है कि अनलॉक की हड़बड़ी और कठोर नियंत्रण की कमी फिर से भारी पड़ सकती है। जर्मनी, ब्रिटेन, इटली समेत कई देश इस बात की नजीर हैं कि संक्रमण के पूर्ण काबू में आने से पहले प्रतिबंध हटाना घातक साबित हुआ है। गौरतलब है कि देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना की दूसरी घातक लहर के बीच संक्रमण को रोकने के लिए अप्रैल और मई 2021 में स्थानीय स्तर पर उपयुक्तता के अनुरूप लॉकडाउन लगाए गए हैं। अब विभिन्न प्रदेशों के विभिन्न क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खोला जाना सुनिश्चित किया जा रहा है। ऐसे में अब अनलॉक करने की प्रक्रिया बहुत सावधानी के साथ आगे बढ़ाई जानी होगी। चूंकि अभी कोरोना का खतरा बना हुआ है, अतएव अनलॉक की ऐसी रणनीति जरूरी है जिससे कोरोना को पूरी तरह मात दी जा सके और इस बहुरूपिए वायरस की वापसी के दरवाजे पूरी तरह बंद किए जा सकें। दुनिया में लॉकडाउन के बाद अनलॉक की प्रक्रिया के तहत वैज्ञानिकों और अर्थविशेषज्ञों के द्वारा आदर्श माने जा रहे अमरीकी राज्य न्यू हैंपशायर सहित विभिन्न देशों में जो रणनीतियां अपनाई हैं, उन्हें देश के विभिन्न राज्यों में अनलॉक करते समय स्थानीय जरूरतों के साथ-साथ ध्यान में अवश्य रखा जाना लाभप्रद हो सकता है। अब देश के विभिन्न राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया में उद्योग-कारोबार और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए रणनीतिपूर्वक बाजार खोले जाने होंगे। उद्योग-कारोबार को अनलॉक करने के पहले चरण में जहां एक ओर बंद पड़े कारखानों और निर्माण गतिविधियों को चालू करने की छूट दी जानी होगी, वहीं आगामी दो माह तक दुकानें और कारोबार 6 से 8 घंटे के लिए खोले जाने उपयुक्त रहेंगे। शनिवार और रविवार को पूर्णतया जनता कर्फ्यू रहे। होटल और रेस्टोरेंट को सिर्फ अग्रिम बुकिंग पर खुली जगह में सीमित संख्या में ग्राहकों को खाना परोसने की इजाजत दी जाए।

अभी जिम, सिनेमा और पर्यटन जैसे कारोबारों को अनलॉक नहीं किया जाए। निःसंदेह उद्यमियों और कारोबारियों को यह ध्यान रखना होगा कि शहर खुलते ही बाजारों में भीड़ बढ़ेगी, अतएव दुकानों पर आने वाले ग्राहकों के लिए मास्क पहनने के साथ-साथ दो गज की दूरी बनाकर रखे जाने की अनिवार्यता हो। साथ ही जहां दुकानदार के लिए मास्क पहनने के साथ-साथ वैक्सीन का प्रमाणपत्र अनिवार्य हो। उद्योग-कारोबार संगठनों के द्वारा कर्मचारियों को टीका लगवाने के लिए विशेष प्रबंध सुनिश्चित करने होंगे। श्रमिकों को रोजगार के साथ टीकाकरण की सुविधा सुनिश्चित की जानी होगी। एक बार फिर कोरोना महामारी नियंत्रण के लिए सेंपलिंग पर जोर दिया जाना होगा। पांच फीसदी से कम संक्रमण दर वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक महामारी तभी नियंत्रित मानी जाएगी, जब दो सप्ताह से ज्यादा वक्त तक संक्रमण दर पांच फीसदी से कम रहे। माइक्रो कंटेनमेंट की रणनीति अपनाकर लोगों को किसी नए लॉकडाउन से बचाया जा सकेगा। वार्ड मैनेजमेंट के जरिए हर संक्रमित की निगरानी रखी जानी होगी। स्कूलों-कॉलेजों में टीचर-स्टाफ को कोरोना वैक्सीन लगाए जाने सुनिश्चित किए जाएं, ताकि स्कूल-कॉलेज खोलने की तैयारी शुरू की जाए। स्कूल-कॉलेजों को दो माह बाद शुरू किया जाए और शुरुआत में स्टूडेंट को 50 फीसदी क्षमता के आधार पर बुलाया जाए। चूंकि अभी भी लोग टीकाकरण से हिचक रहे हैं, अतएव सरकार के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बन गई है कि वे वैक्सीन के लिए लोगों को प्रेरित करें और वैक्सीनेशन प्रक्रिया में हरसंभव मदद करें। कमजोर समूहों का हरसंभव टीकाकरण हो तथा प्रतिबंधों व लॉकडाउन में ढील देते समय यह महत्वपूर्ण आधार रहे। सबसे कमजोर आबादी समूह में तेज टीकाकरण की जरूरत है ताकि संक्रमण की रफ्तार बढ़ने के बावजूद मौतें कम से कम हों। जीवन बचाने और कोरोना महामारी को हराने में वैक्सीन की भूमिका महत्वपूर्ण है।

टीकाकरण को और अधिक सुनियोजित ढंग से किया जाना होगा। संक्रमण खत्म करने से आशय शत-प्रतिशत लोगों के टीकाकरण से नहीं है, बल्कि एक लक्ष्य के साथ लोगों में प्रतिरोधी क्षमता विकसित करना भी है। टीकाकरण की सफलता के मद्देनजर दुनिया में ब्राजील के सेराना शहर की भी मिसाल दी जा रही है। सेराना में 75 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज दिए जाने पर कोविड-19 से होने वाली मौतें 95 फीसदी कम हो गईं। अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या में 86 फीसदी की कमी आई और मरीजों की संख्या में 80 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। कोविड-19 के मद्देनजर डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ के लिए विशेष वेकैंसी निकाली जाए और शीघ्र नियुक्ति सुनिश्चित की जानी होगी। सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को वेतन तभी दिया जाए, जब वे वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट उपलब्ध करवाएं। जब तक विभिन्न प्रदेश ‘हर्ड इम्युनिटी’ हासिल करने के करीब नहीं पहुंच जाते, तब तक सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनना, दो मीटर की सामाजिक दूरी बनाना, समय-समय पर साबुन से हाथ धोते रहना और भीड़ जुटाने से बचने जैसी जरूरतों के लिए लगातार जन जागरण करना होगा। साथ ही कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर प्रभावी रूप से जुर्माना लगाना होगा। विभिन्न राज्यों में सार्वजनिक परिवहन के तहत कोविड-19 दिशा निर्देशों का पालन कठोरतापूर्वक कराना होगा। सरकार के द्वारा टीकाकरण की पूरी सुविधा उपलब्ध कराए जाने के बाद सिर्फ उन्हीं लोगों को सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल होने की छूट दी जानी होगी जिन्होंने टीका लगवा लिया है। पार्टी में शामिल होने के लिए कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट या वैक्सीनेशन कार्ड दिखाना अनिवार्य किया जाना होगा। चूंकि लॉकडाउन हटने के बाद लोग अपने कामों के लिए बड़ी संख्या में सरकारी दफ्तरों की ओर जाते हुए दिखाई देंगे, ऐसे में लोगों की यह भीड़ कोरोना संक्रमण की बड़ी वजह बन सकती है।

इसलिए अब ई-गवर्नेंस की व्यवस्था को और प्रभावी बनाना होगा। अधिक सरकारी कार्यों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लाना होगा। चूंक अभी भी देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर आने की आशंका जाहिर की जा रही है, अतएव कोरोना प्रभावित राज्यों के साथ-साथ अन्य सभी राज्यों में कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के लिए स्वास्थ्य ढांचे की बुनियादी तैयारियों के साथ-साथ जीवन में योग एवं अच्छी जीवनशैली को आत्मसात किए जाने की रणनीति पर ध्यान दिया जाना होगा। वस्तुतः हवा में विभिन्न सूक्ष्म जीवाणुओं का वास रहता है। जब हम खुले मुंह सांस लेते हैं और एक-दूसरे के संपर्क में आकर बात करते हैं तो उस समय वातावरण में फैले अति सूक्ष्म जीवाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इसलिए इनसे बचने के लिए मास्क लगाए जाने एवं सामाजिक दूरी के मंत्र को जीवन का अभिन्न अंग बनाया जाना होगा। साथ ही कोरोना काल में अब अभिवादन के लिए हाथ मिलाने और गले मिलने की बजाय हाथ जोड़ने के तरीके को जीवन का अंग बनाना होगा। हम उम्मीद करें कि विभिन्न राज्य सरकारों के द्वारा लॉकडाउन को खोलने की प्रक्रिया में स्थानीय जरूरतों के साथ-साथ इन विभिन्न रणनीतिक सुझावों पर अवश्य ध्यान दिया जाएगा। इससे जहां अर्थव्यवस्था को बड़ी गिरावट से रोका जा सकेगा, वहीं कोरोना से प्रभावित वर्गों के दुख-दर्द कम किए जा सकेंगे।

 

 

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