Home देश-दुनिया महंगे और अत्याधुनिक हथियार जीत की गांरटी नहीं, जज्बा भी उतना ही जरूरी : राजनाथ

महंगे और अत्याधुनिक हथियार जीत की गांरटी नहीं, जज्बा भी उतना ही जरूरी : राजनाथ

नई दिल्ली, 05 मई (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि केवल अत्याधुनिक तथा महंगे हथियार और प्राैद्योगिकी जीत की गारंटी नहीं हो सकते और इनका सटीक इस्तेमाल जितना जरूरी है सेना और उसके नेतृत्व का जज्बा, काबिलियत तथा दृढ इच्छाशक्ति भी उतनी ही जरूरी है।
श्री सिंह ने 1971 की लड़ाई में सफलतापूर्वक वायु सेना की बागडोर संभालने वाले एयर चीफ मार्शल पी.सी लाल की स्मृति में गुरूवार को यहां आयोजित व्याख्यान आयोजन में अपने संबोधन में कहा कि वायु सेना ने 1947, 1971 की लड़ाई तथा अन्य अभियानों में प्रतिकूल परिस्थितियों में दमदार प्रदर्शन कर फतह हासिल की है। इन लड़ाइयों तथा अभियानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “ये सभी उदाहरण क्या दर्शाते हैं? ये दर्शाते हैं कि किसी भी अभियान में जीत हासिल करने के लिए अत्याधुनिक हथियार प्रणाली, उपकरण और प्लेटफार्म तो जरूरी हैं ही, पर उनसे भी कहीं जरूरी है हमारे अंदर का जज़्बा, क़ाबिलियत और दृढ़ इच्छाशक्ति। प्रौद्योगिकी कितनी भी उपलब्ध हो,प्लेटफार्म कितने ही उपलब्ध हों, लेकिन यह किसी लीडर की चतुरता होती है, जो किसी की जीत और हार सुनिश्चित करती है। यही क्वालिटी युद्ध में किसी पक्ष की ओर निर्णायक भूमिका निभाती हैं और इस मामले में भारतीय सेनाएँ, मैं समझता हूँ अत्यंत भाग्यशाली हैं।”
उन्होंने कहा कि केवल महंगे विमान और हथियार प्रणाली एकत्र करने से जीत की गारंटी नहीं मिल सकती इनका सटीक और सही तरीके से इस्तेमाल भी बेहद अधिक जरूरी है। उन्होंने कहा, “मैं दोहराना चाहूँगा,कि अधिक महंगे प्लेटफार्म और हथियार प्रणाली आपको विजय दिला सकें, यह हमेशा आवश्यक नहीं है। दरअसल हम इनका इस्तेमाल किस तरह से होता है उससे भी युद्ध में बढत मिलती है।”
श्री सिंह ने कहा कि प्रौद्योगिकी निश्चित रूप से ताकत को कई गुणा बढाती है लेकिन नये तरीके से यदि इनका इस्तेमाल नहीं किया जाये तो ये केवल दिखावटी सामान बनकर रह जाते हैं। उन्होंने कहा, “नई-नई प्रौद्योगिकी वाले हथियारों को केवल इकट्ठा कर लेना, औरों के लिए ईर्ष्या का कारण भले हो सकता है, पर जरूरी नहीं कि वह किसी को जीत दिलाने की गारंटी बन जाए।”
उन्होंने कहा कि एयर चीफ मार्शल पी सी लाल तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेेल और एकीकरण के हिमायती थे और 1971 की लड़ाई में भारत की जीत इसका बड़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इसी तरह के अनुभवों के आधार पर वायु सेना ने पिछले कुछ दशकों में कई चुनौतियों तथा कठिन अभियानों में विजय हासिल की है।
भविष्य के युद्धों तथा चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सीरिया, इराक, अफगानिस्तान और अभी यूक्रेन में जारी युद्ध को बारीकी से देखने से हमें ऐसे कई विचारणीय बिंदु मिलते हैं जिससे हम भविष्य के युद्ध के स्वरूप का आकलन कर सकते हैं।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी राष्ट्र केवल आयात के आधार पर तेजी से आगे नहीं बढ सकता है। उन्होंने कहा, “उधार ली हुई क्षमता के आधार पर एक सीमा से आगे प्रगति नहीं कर सकता है। श्री सिंह ने कहा, “ऐसे में आत्मनिर्भरता न केवल घरेलू क्षमता निर्माण बल्कि हमारी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। आत्मनिर्भरता की जो राह हमने चुनी है, उस पर चलना आसान नहीं है। हो सकता है शुरुआत में हमें यह किफ़ायती भी न हो। पर इस बात को लेकर हम पूरी तरह स्पष्ट हैं, कि दीर्घावधि में यह न केवल रक्षा क्षेत्र बल्कि उद्योग के हर पहलू में मजबूत औद्योगिक आधार की नींव बनाने में मदद करेगा।”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Check Also

सर्राफा बाजार में कमजोरी से सस्ता हुआ सोना, चांदी की भी घटी चमक

नई दिल्ली, 12 अगस्त (ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस)। घरेलू सर्राफा बाजार में आज मामूली गिरावट नज…