देश में कोयला संकट
-डॉ. हनुमन्त यादव-
-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
सरकार द्वारा अक्टूबर 2021 माह में बिजली संकट और कोयले की ढुलाई पर उच्च स्तरीय कार्रवाई करने के बावजूद समस्या बरकरार है और यात्री रेलगाड़ियों के निरस्त होने के कारण यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। यही मीडिया में चर्चा का सबब बन गया है। सरकार द्वारा समस्या के समाधान के लिए सभी बिजली कंपनियों को सम्मिश्रण के लिए 10 प्रतिशत कोयला को आयात करने की सलाह दी गई है।
देश में कोयले की कमी की वजह से अनेक यात्री गाड़ियों का कैंसिल किया जाना निरंतर जारी है। भारतीय रेलवे के अनुसार 31 मई तक यात्री गाड़ियों के ट्रिप और ट्रेनें कैंसिल रहेंगी जिससे कोयला प्राथमिकता के आधार पर गंतव्य सिल तक पहुंचाया जा सके। अभी तक 40 यात्री गाड़ियों को कैंसिल कर दिया गया है, इसके साथ ही यात्री गाड़ियों के 1081 ट्रिप भी कम कर दिए गए हैं। रेलवे द्वारा कोयला की ढुलाई सुनिश्चित करने के लिए यात्री गाड़ियों के फेरे कम करने के लिए ये कदम उठाये गए हैं। देश में इस साल भयंकर गर्मी पड़ रही है। इस कारण अप्रैल के महीने से ही बिजली की मांग बहुत बढ़ी हुई है। बिजली की मांग बढ़ने से कोयले की खपत भी बढ़ गई है। यही कारण है कि अब पावर संयंत्रों के पास कुछ ही दिन का कोयला रह गया है। इसकी वजह से लोगों को बिजली संकट की आषका सता रही है। इस स्थिति से बचने के लिए ही रेलवे द्वारा विभिन्न नगरों के ताप संयंत्रों में कोयला पहुंचाने के लिए माल गाड़ियां प्राथमिकता के आधार पर चलाई जा रही हैं।
देश में कोयला ढुलाई का सबसे अधिक काम रेलवे द्वारा ही किया जाता है। कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए भारतीय रेल के विभिन्न जोनों में यात्री ट्रेनों को कैंसिल किया गया है। दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे की 11 जोड़ी मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों को कैंसिल करने के साथ ही कुल 8 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों को भी कैंसिल किया गया है। जबकि उत्तर रेलवे की 499 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें तथा 582 पैसेंजर ट्रेनें भी निरस्त की गई हैं। बिहार, झारखंड, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराप्ट्र, आंध्रप्रदेश, हरियाणा और पंजाब में बिजली उत्पादन के लिए कोयले की आपूर्ति काफी कम हो गई है। ये ऐसे राज्य हैं जो बिजली उत्पादन के लिए कोयले से चलने वाले संयंत्रों पर काफी निर्भर हैं। भारतीय रेल की विज्ञप्ति के अनुसार 26 मई को विभिन्न रेलवे जोनों में कुल मिलाकर 349 यात्री गाड़ियां निरस्त रहीं थीं। आयातित कोयले के महंगा होने के कारण भी कोयला संकट निर्मित हुआ है। मार्च 2021 में आयातित कोयले की कीमत 4,200 रुपये टन थी जो सितंबर में बढ़कर 11,520 रुपया प्रति टन हो गई।
बिजली और कोयला परिवहन का संकट कोई नई बात नहीं है। 10 अक्टूबर, 2021 को ही कोयला मंत्रालय ने कहा था कि बिजली संयंत्रों के पास 72 लाख टन कोयला है जो चार दिन के लिए पर्याप्त है। 11 अक्टूबर को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यों में बिजली की कमी व कोयले की आपूर्ति पर मुख्यमंत्रियों के पत्रों के सन्दर्भ में अपने कार्यालय में बिजली मंत्री आर.के सिंह और कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी से चर्चा की थी। 12 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ राज्यों में बिजली संकट और कोयले की कमी पर समीक्षा बैठक की जिसमें राज्यों के मुख्यमंत्रीगण एवं केन्द्रीय बिजली मंत्री और कोयला मंत्री अपने अधिकारियों के साथ बैठक में शामिल हुए। बैठक में यह बात भी निकलकर आई कि देश में कोयले की कमी नहीं है। मुख्य समस्या यह थी कि राज्यों द्वारा उन पर कोल इंडिया की बकाया राशि 21 हजार करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया जा रहा है। कुछ राज्य अपने हिस्से के कोयले को भी नहीं उठा रहे हैं।
सितंबर-अक्टूबर 2021 में कोयले की आपूर्ति में विलम्ब के प्रमुख कारण बारिश के दिनों में कुछ राज्यों में जबरदस्त बारिश तथा बाढ़ कोयले की ढुलाई में आई रुकावट थे। कोयला मंत्रालय ने रेलवे से बिजली घरों तक कोयले की ढुलाई के लिए समय पर रैक उपलब्ध कराने के लिए कहा है। कोयला मंत्रालय के अनुसार राज्यों के पास कोल इंडिया का लगभग 20 हजार करोड़ रुपया बकाया है। महाराप्ट्र, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु व मध्यप्रदेश कोल इंडिया के बड़े डिफाल्टर राज्य हैं। इन राज्यों पर चालू साल में भुगतान के लिए बकाया राशि इस प्रकार है- महाराप्ट्र 3,176.1 करोड़ रुपये, उत्तरप्रदेश 2743.1 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल 1958.6 करोड़ रुपये, तमिलनाडु, 1281.7 करोड़ रुपये, मध्यप्रदेश 1,000 करोड़ रुपये, राजस्थान 774 करोड़ रुपये तथा कर्नाटक 23 करोड़ रुपए।
सरकार द्वारा अक्टूबर 2021 माह में बिजली संकट और कोयले की ढुलाई पर उच्च स्तरीय कार्रवाई करने के बावजूद समस्या बरकरार है और यात्री रेलगाड़ियों के निरस्त होने के कारण यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। यही मीडिया में चर्चा का सबब बन गया है। सरकार द्वारा समस्या के समाधान के लिए सभी बिजली कंपनियों को सम्मिश्रण के लिए 10 प्रतिशत कोयला को आयात करने की सलाह दी गई है। सूत्रों के अनुसार वर्तमान में बिजली संयंत्रों के पास 220.2 लाख टन कोयला का स्टॉक उपलब्ध है। भारतीय रेलवे इस कोयला स्टॉक को देश भर में बिजली उत्पादन कंपनियों को स्थानांतरित करने के लिए पूरी तरह तैयार है किंतु इसके बावजूद पिछले तीन सप्ताह से अनेक राज्यों में लगभग नियमित रूप से शाम और रात में कुल मिलाकर चार से छ: घंटे बिजली कटौती हो रही है। आंध्र प्रदेश में उद्योगों के लिए दो दिन का बिजली अवकाश करने के साथ ही बाकी पांच दिनों के लिए कुल जरूरत में से 50 प्रतिशत की कटौती हो रही है। गुजरात, महाराप्ट्र और पंजाब सरीखे औद्योगिक राज्यों को सामंजस्य बिठाना पड़ रहा है।
गुजरात में 26 अप्रैल को सबसे ज्यादा 20,535 मेगावाट की बिजली की मांग दर्ज की गई थी। थर्मल संयंत्र 45 प्रतिशत की क्षमता से चल रहे थे। मजबूरन राज्य को 12 रुपये प्रति यूनिट की बिजली महंगी दर से ओपन मार्केट से पावर खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। कई राज्यों में अप्रैल से ही तापक्रम 41 डिग्री पार कर गया है। इससे सभी के घरों के बिजली बिल भी बढ़े हैं। पंजाब में राज्य की बिजली कंपनी पीएसपीसीएल को बाजार से 10.7 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदनी पड़ रही है क्योंकि कोयले की कमी के कारण से उसे अपने थर्मल इकाइयोंं को बंद करना पड़ा था। यात्री रेलगाड़ियों के निरस्त किए जाने से लोगों की परेशानी बढ़ी है, खासकर छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश और झारखंड सरीखे कोयला उत्पादक राज्यों से आने-जाने वाले लोगों को बहुत असुविधा हो रही है।
सभी बिजली कंपनियों को सम्मिश्रण के लिए 10 प्रतिशत कोयला को आयात करने की सलाह दी गई है। सूत्रों के अनुसार वर्तमान में बिजली संयंत्रों के पास 220.2 लाख टन कोयला का स्टॉक उपलब्ध है। आश्चर्य की बात है कि सरकार द्वारा अक्टूबर 2021 माह में बिजली संकट और कोयले की ढुलाई पर उच्च स्तरीय कार्रवाई करने के बावजूद समस्या बरकरार है। जून महीने में भी इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। सरकार द्वारा विश्वास व्यक्त किया गया है कि रेलवे द्वारा समय पर कोयला के परिवहन के कारण उच्च ताप संयंत्रों को कोयले की कमी नहीं हो पाएगी।
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