दुनिया का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार
-सनत जैन-
-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-
गुजरात में 27 साल से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। पिछले 21 सालों से मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र भाई मोदी के नेतृत्व में गुजरात सरकार काम कर रही है। मोदी जी की अपनी एक ईमानदार छवि है। ना तो उनका परिवार है, अपने साथ परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं रखते हैं। भ्रष्टाचार करेंगे, तो किसके लिए करेंगे। पिछले 20 सालों से पूरे गुजरात में यही छवि मोदीजी की गुजरात में और देश में बनी हुई है। उसके बाद भी गुजरात में कारपोरेट भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है। गुजरात की जनता यह मानती है, कि उसे हर काम के लिए अलग से पैसे देने पड़ेंगे। गुजरात की जनता पैसे देती भी है। क्योंकि उसने जीवन का इसे आवश्यक लेनदेन मान लिया है।
हाल ही में गुजरात के मोरबी ब्रिज की मरम्मत के लिए ओरेवा कंपनी को 2 करोड रुपए दिए गए। ओरेवा कंपनी ने 12 लाख रुपए में यह ठेका देव प्रकाश सलूशन फर्म को दे दिया। सब ठेकेदार ने 6 महीने में पुल में पेंट करके उसे नया बना दिया। 1 करोड़ 88 लाख रुपए का बंटवारा ओरेवा कंपनी के पास बच गए। इस पैसे का बंटवारा निश्चित रूप से हुआ होगा। कंपनी ने ठेका देने वाले और ठेका दिलाने वालों को भी उपकृत किया होगा। इस घटना से समझा जा सकता है, कि गुजरात में किस तरह से भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है। इसी भ्रष्टाचार की गंगोत्री को बचाने के लिए पूरी सरकार जुटी हुई है। मुख्य ठेकेदार ओरेवा ग्रुप के अध्यक्ष जयसुख पटेल को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। यदि वह फस गए, तो भ्रष्टाचार यह सारा खेल उजागर हो जाएगा।
मोरबी पुल टूटने से 140 लोगों की मौत होने की पुष्टि हो चुकी है। अभी भी कई लोग लापता हैं। इतना बड़ा पाप था, कि अधिकारियों ने अपने स्तर पर जांच अधिकारियों ने पुल के मरम्मत के ठेके की जांच में संबंधित जो कागज बरामद किए हैं। जप्त कागजात में जो जानकारी प्राप्त हुई है। उसके अनुसार सब कांटेक्टर को 12 लाख में ठेका मिला उसने भी इस ठेके में कुछ कमाई की होगी। सरकारी ठेकों में इतना बड़ा भ्रष्टाचार और गड़बड़ी शायद ही भारत में कहीं होती हो। ब्रिज शुरू करने के पहले पूर्व ग्रुप के अध्यक्ष जयसुख पटेल अपने परिवार के साथ पुल को देखने पहुंचे। पूरे परिवार ने अपनी जान जोखिम में डाली। जब उन्हें कुछ नहीं हुआ तो, पब्लिक के लिए सुरक्षित मान लिया गया। 17 रुपए में टिकट बेची। 1 सप्ताह के अंदर हजारों लोगों को पुल पर चढ़ा कर लाखों रुपए कंपनी ने कमा लिए। मोरवी की घटना मोरबी में हुए भ्रष्टाचार और कमाई के मामले में किस हद तक जाकर जोखिम ले लेते हैं। यह इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी जो कहती है, कि हमसे ईमानदार भारत में कोई दूसरा नहीं है। उनके कार्यकाल में इस तरह के भ्रष्टाचार की कल्पना कर पाना भी किसी के लिए संभव नहीं है। भ्रष्टाचार के इस मामले में केन्द्र और गुजरात सरकार की चुप्पी सभी को खल रही है। ईडी और सीबीआई जैसी संस्था कहॉ है। इसको लेकर आम जनता के बीच उक्त जॉच एजेंसियों की निश्पक्ष्ता पर चर्चा होने लगी है। मोरबी पुल दुर्घटना में जो 140 लोग मरे हैं। वह आम लोग थे। आम और खास के लिए सरकार की प्राथमिकता भी शायद अलग – अलग होती है।
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