Home खेल शरीफः प्रधानमंत्री या प्रधानभिक्षु?
खेल - लेख - January 18, 2023

शरीफः प्रधानमंत्री या प्रधानभिक्षु?

-डॉ. वेदप्रताप वैदिक-

-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आजकल प्रधानमंत्री कम, प्रधानभिक्षु बनकर देश-विदेश के चक्कर लगा रहे हैं। कुछ दिन पहले उन्हें सउदी अरब जाकर अपना भिक्षा-पात्र फैलाना पड़ा। तीन-चार दिन पहले वे अबू धाबी और दुबई आए हुए थे। संयोग की बात है कि दो-तीन दिन के लिए मैं भी दुबई और अबू धाबी में हूं। यहां के कई अरबी नेताओं से मेरी बात हुई। पाकिस्तान की दुर्दशा से वे बहुत दुखी हैं लेकिन वे पाकिस्तान पर कर्ज लादने के अलावा क्या कर सकते हैं?

उन्होंने 2 बिलियन डाॅलर जो पहले दे रखे थे, उनके भुगतान की तिथि आगे बढ़ा दी है और संकट से लड़ने के लिए 1 बिलियन डाॅलर और दे दिए हैं। शहबाज की झोली को पिछले हफ्ते भरने में सउदी अरब ने भी काफी उदारता दिखाई थी। लेकिन पाकिस्तान की झोली में इतने बड़े-बड़े छेद हैं कि ये पश्चिम एशियाई राष्ट्र तो क्या, उसे चीन और अमेरिका भी नहीं भर सकते। इन छेदों का कारण क्या है? इनका असली कारण है- भारत। भारत के विरुद्ध पाकिस्तान की फौज और सरकार ने इतनी नफरत कूट-कूटकर भर दी है कि उस राष्ट्र का ध्यान खुद को संभालने पर बहुत कम लग पाता है।

इसी नफरत के दम पर पाकिस्तान के नेता चुनावों में अपनी गोटी गरम करते हैं। वे कश्मीर का राग अलापते रहते हैं और फौज को अपने सिर पर चढ़ाए रखते हैं। आम जनता रोटियों को तरसती रहती है लेकिन उसे भी नफरत के गुलाब जामुन कश्मीर की तश्तरी में रखकर पेश कर दिए जाते हैं। पिछले हफ्ते शहबाज शरीफ, कजाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात गए। वहां भी उन्होंने कश्मीर का राग अलापा। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री से बात करने की पहल की, जो कि अच्छी बात है लेकिन साथ में ही यह धमकी भी दे डाली कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध हो गया तो कोई नहीं बचेगा। दोनों के पास परमाणु बम हैं।

शहबाज ने अबू धाबी के शासक से कहा कि भारत से आपके रिश्ते बहुत अच्छे हैं। आप मध्यस्थता क्यों नहीं करते? एक तरफ वे मध्यस्थता की बात करते हैं और दूसरी तरफ, वे भारत से कहते हैं कि आप संयुक्तराष्ट्र संघ के प्रस्ताव के मुताबिक कश्मीर हमारे हवाले कर दो। पाकिस्तान के दो-तीन प्रधानमंत्रियों से मेरी बहुत ही मैत्रीपूर्ण बातचीत में मुझे पता चला कि उन्होंने संयुक्तराष्ट्र के उस प्रस्ताव का मूलपाठ कभी पढ़ा ही नहीं है। उन्हें यह पता ही नहीं है कि उस प्रस्ताव में कहा गया है कि पाकिस्तान पहले तथाकथित ‘आजाद कश्मीर’ को खाली करे।

शहबाज को चाहिए था कि वे आतंकवाद के विरुद्ध भी कुछ बोलें। लेकिन ऐसा लगता है कि अबू धाबी में उन्होंने जो कुछ कहा है, वह यहां के शासकों को खुश करने के लिए कहा है। यह शहबाज शरीफ की ही नहीं, पाकिस्तान के सभी नेताओं की मजबूरी है कि जो लोग उनकी झोली में कुछ जूठन डाल देते हैं, उन्हें कुछ न कुछ महत्व तो देना ही पड़ता है। आखिर में खाली भिक्षा-पात्र को भरा जाना ही है, हर शर्त पर! इसीलिए दोनों नेताओं के संयुक्त वक्तव्य में शहबाज के उक्त बयान का जिक्र तक नहीं है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

गौतम अडानी को मोदी का संरक्षण इसलिए नहीं होते गिरफ्तार : राहुल

नई दिल्ली, 21 नवंबर (ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस)। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं लोकसभा में वि…