Home लेख हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से भारत की स्वतंत्रता और अखंडता पर खतरा
लेख - January 30, 2023

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से भारत की स्वतंत्रता और अखंडता पर खतरा

-सनत जैन-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

हिंडन बर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से भारत के शेयर बाजार में हड़कंप मचा हुआ है। इस रिपोर्ट ने भारत के आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में भूचाल मचा दिया है। भारत की वित्तीय संस्थान चिंता में डूब गए हैं। अडानी समूह ने दावा किया है कि अमेरिकी वित्तीय शोध फर्म की यह रिपोर्ट पूरी तरह से झूठी है। अडानी समूह ने 413 पन्नों में इसका जवाब तैयार कर वित्तीय शोध फर्म को झूठा साबित करने की कोशिश की है। अडानी समूह का कहना है कि अमेरिकी वित्तीय शोध फर्म की रिपोर्ट पूरी तरह से अडानी समूह को नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार की गई है। समूह के शेयरों के दाम गिरे हैं। अमेरिका की वित्तीय फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर सुनियोजित रूप से रिपोर्ट को प्रकाशित किया गया है।

अडानी समूह ने अपने प्रतिवाद में यह भी कहा रिपोर्ट से भारत की स्वतंत्रता पर अवांछित हमला किया गया है। इससे भारत की अखंडता भारतीय संस्थानों की गुणवत्ता और उसकी महत्वाकांक्षाओं पर सुनियोजित हमला करने का आरोप लगाते हुए अपना बचाव किया गया है। स्वतंत्रता और राष्ट्रीय अखंडता के नाम पर भारत के अंदर सहानुभूति अर्जित करने का प्रयास माना जा रहा है। अडानी समूह ने कहा कि रिपोर्ट चुनिंदा गलत जानकारी और छिपाए गए तथ्यों का संयोजन है। इसके कई गुप्त मकसद हो सकते हैं। अमेरिकी फर्म की विश्वसनीयता और नैतिकता पर भी अडानी समूह ने सवाल उठाए हैं। यह रिपोर्ट ऐसे समय पर पेश की गई जब अडानी इंटरप्राइजेज का एफपीओ आने वाला था। अडानी समूह ने यह भी कहा कि जो 88 सवाल उससे पूछे गए थे। उनमें 65 ऐसे मामलों से संबंधित हैं। जिनका अडानी पोर्टफोलियो की कंपनियां जवाब पहले ही दे चुकी हैं। 23 प्रश्नों में से 18 सार्वजनिक शेयरधारकों और तीसरे पक्षों से संबंधित हैं तथा 5 प्रश्न काल्पनिक हैं।

फर्जीवाड़े से संबंधित इस रिपोर्ट को लेकर पहली बार किसी कंपनी ने भारत की अखंडता पर इसे हमला बताते हुए भारत की स्वतंत्रता को खंडित करने का आरोप अमेरिकी कंपनी पर लगाया है। फर्जीवाड़े को यदि राष्ट्रीय एकता अखंडता और स्वतंत्रता से जोड़ा जाएगातो भविष्य में हर अपराधी इसी तरीके से अपने अपराधों को छुपाने का प्रयास करेगा। अडानी समूह को यह भी समझना होगा कि जिस तरीके से वह पूरी दुनिया के खरब पतियों को पीछे छोड़कर बहुत कम समय में उनसे आगे निकलने की होड़ में लगे हुए थे। पिछले 2 वर्षों में उन्होंने दर्जनों खरबपतियों को इस दौड़ में पीछे छोड़ दिया था। वह विश्व के तीसरे नंबर के सबसे बड़े धन कुबेर बन गए थे। जिसके कारण एक स्वाभाविक जंग में उनके प्रतिस्पर्धी भी उनके पीछे पड़ गए थे।

सारे उद्योगपतियों ने अडानी समूह की इस दौड़ की सफलता का कारण कौन सा है यह जानने का प्रयास किया। इस प्रयास में जब उन्हें यह पता लगा कि सारा फर्जीवाड़ा गलत जानकारी देकर और गलत तरीके से इस दौड़ में वह आगे निकल रहे हैं। निश्चित रूप से उन्होंने इसका उपयोग अपनी रक्षा के लिए किया है। इसे गलत कैसे माना जा सकता है। 2 साल अडानी समूह की सफलता के सबसे बड़े साल थे। इन्हीं 2 सालों की उनके ही प्रतिस्पर्धयों ने अदानी समूह के तौर-तरीकों और उन्हें मिलने वाली सफलता की गहन जांच के बाद हिंडन वर्ग की रिपोर्ट के रूप में सामने आई है। इसे आसानी से झुठला पाना या भारत की स्वतंत्रता और अखंडता के नाम पर अपने आप को सुरक्षित बनाने का प्रयास अडानी समूह का सफल नहीं हो सकता है।

वैश्विक व्यापार संधि के बाद जिस तरह से दुनिया भर के उद्योगपतियों और व्यापार के लिए एक नया बाजार खुला था। इसी तरीके से अब अपने बचाव के लिए सारी दुनिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरी तरह से सक्षम हैं। हिंडनबर्ग और दुनिया भर के उद्योगपतियों को मालूम था कि इसकी बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया होगी। भारत की संवैधानिक संस्थाएं और भारत सरकार अडानी समूह के पक्ष में खड़ी होगी। ऐसी स्थिति में इस लड़ाई का भारत में कोई फायदा नहीं होगा। यही समझते हुए कंपनी ने अडानी समूह के लिए रिपोर्ट प्रकाशित कर यह बाध्यता पैदा कर दी है। अडानी समूह कोई भी कानूनी कार्यवाही करेवह अमेरिका में ही होगी।

अमेरिका की संस्थाओं को प्रभावित कर पाना अडानी समूह के लिए संभव नहि होगा। इसी तरीके से विश्व भर के जिन कुबेर पतियों को पीछे छोड़कर वह तेजी के साथ आगे बढ़ रहे थे। उन उद्योगपतियों से भी मुकाबला अडानी समूह को करना ही होगा। इसके लिए उनको खुलकर लड़ाई लड़नी होगी। वह भारत की स्वतंत्रता और अखंडता की आड़ लेकरअब बचाव करने की स्थिति में नहीं रहे। यह उन्हें समझना होगा। भारत सरकार भारत के वित्तीय संस्थान और भारत की संवैधानिक संस्थाओं को रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद जिस तरीके की चुनौती मिली है। उससे सभी को सबक लेने की जरूरत है। भारत यदि अपनी विश्व स्तरीय मानकों पर विश्वसनीयता को बनाकर नहीं रखेगा तो इसके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूरगामी परिणाम होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Check Also

यूक्रेन के ड्रोन हमले से रूस के ईंधन टर्मिनल पर लगी आग

मॉस्को, 24 अप्रैल (ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस)। रूस के स्मोलेंस्क क्षेत्र में यूक्रेनी सशस्त्…