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लेख - January 30, 2023

सरकार के वादे और-अदालत के हुकुम के बाद भी क्या नफरत का माहौल थम रहा है?

-विजय कुमार तिवारी-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

सुप्रीम कोर्ट की खंड पीठ के जुस्टिस जोसेफ और उनके साथी के साफ निर्देशों के बाद-की पुलिस को नफरत फैलाने वाले भाषण का “संज्ञान” खुद लेना चाहिए और कारवाई करनी चाहिए के बाद भी देश में धरम और जातीय उन्माद को फैलाने वाले भाषण और नारे माहौल में गूंज रहे हैं। आज भी हरिद्वार की संसद में हिन्दुओ से हथियार उठा कर विधर्मियों का नाश करने वाले लोगो के को हिरासत में लेकर अदालत में पेश नहीं किया। उत्तरा खंड की सरकार बस अदालत को आश्वशन देती रही हैं। इस मामले में एक व्यक्ति को बंदी बने गया जिसने इस्लाम धरम त्याग कर हिन्दू धरम अपनाया था। धरम परिवर्तन पर हल्ला मचने वाले खुद के कर्मो को नहीं देखते हैं। लोकसभा चुनावो की तारीख के निकट आने की ध्वनि जगह-जगह कथाओ और धार्मिक प्रवचनों में जिस प्रकार के उत्तेजक और भड़काऊ भाषण और घोषनाए की जा रही हैं वे हमारे प्रजातांत्रिक ढांचे के लिए खतरे की घंटी हैं!

इन कथाओ और प्रवचनों में बस एक बात पर ज़ोर हैं की राम और कृष्ण की धरती में किसी अन्य धरम के अनुयायियों को दोयम दर्जा ही लेना होगा। जय जय श्री राम के नारे धरम से ज्यादा भीड़ की दूषित मानसिकता को ही प्रदर्शित कर रहे हैं। क्यूंकी सिखो का “जो बोले सो निहाल-सत श्री अकाल “केवल गुरुद्वारो में या संगत में ही गूँजते हैं। पर उनके नारे किसी को निशाने पर नहीं रखते। अथवा जैन मंदिरो में “जय जिनेन्द्र” पूरी तरह से धरम भीरु भक्तो की वाणी ही होती है। परंतु आटो में लाउड स्पीकर लगा कर घूम घूम कर जय जय श्री राम का नारा तो धरम का जय घोष से ज्यादा आतंकित करने वाला लगता हैं। जिन लोगो को मस्जिद की अज़ान से आपति हैं-वे खुद जब जय जय श्री राम का नारा लगते है तब वे अपनी आपति के आधार कारण को खो देते हैं।

तथाकथित हिन्दू धरम की संसद के प्रयाग में होने वाली बैठक के पूर्व-लीव इन रिलेशनशिप गे मैरिज पर तुरंत अदालती फैसलो पर रोक लगाने की मांग की गयी थी। परंतु वह टांय टांय फिस्स हो गयी। बीजेपी के एक केंद्रीय मंत्री जो बिहार से संबंध रखते हैं-उन्होने तो एक सार्वजनिक बयान में सेम सेक्स मैरिज पर टिप्पणी करते हुए कहा की सुप्रीम कोर्ट के दो या तीन जज ऐसे मामलो पर फैसला नहीं देसकते हैं क्यूंकी यह हमारी आस्थाओ के विपरीत हैं! जबकि ऐसे विवाह को सुप्रीम कोर्ट ने “नाजायज” नहीं माना हैं। वनही बीजेपी के सांसद सुशील मोदी ने अदालतों में गरमियो और सरदियों के अवकाश को प्रतिबंधित किये जाने की मांग की। उनसे एक सवाल हैं की संसद के 500 से अधिक सदस्य साल में मात्र 40 से-50 दिन ही काम करते हैं—-परंतु वे वेतन और भत्ता तो 12 माह का लेते हैं! जो खुद अपना काम ठीक से नहीं कर पाते—उन्हे दूसरे निकाय को उपदेश देने का क्या अधिकार है?

राज्य सरकारो द्वरा आजकल अपने नागरिकों को धार्मिक यात्रा कराना लगता हैं प्रथम दायित्व हो गया हैं। मध्य प्रदेश सरकार हो या दिल्ली की केजरीवाल की सरकार हो सभी सरकार के पैसे से”पुण्य”” कमाने में लग गए हैं! ऐसे ही माहौल में सत्तारूद दल ने उत्तर भारत में लोकसभा चुनावो की घंटी बजने के कारण आजकल एक नए” बाबा का अवतार हुआ हैं— बागेश्वर महराज़ ! इनहोने नागपूर में अपने प्रवचन में घोषणा की थी की वे भक्तो के मन की बात बता सकते हैं इतना ही नहीं उनकी समस्याओ का भी समाधान वे बजरंगबली की कृपा से हल कर सकते हैं। भारत ऐसे देश में जनहा लोग चमत्कार को नमसकर करते हैं वागेश्वर जी के प्रवचनों को काहीनलों और गोदी मीडिया के प्रचार के कारण खूब भीड़ हुई। परंतु महाराष्ट्र की अंधश्रद्धा निर्मूलन संस्था ने बागेस्वर जी पर अंधश्रद्धा फैलाने का आरोप लगाया और पुलिस में रिपोर्ट भी लिखाई। जिसके बाद बागेश्वर जी रातो रात उसी तरह निकले जैसा कभी दिल्ली के रामलीला मैदान से भगवधारी व्यापारी रामदेव भागे थे! परंतु इस कांड के बाद सत्तरूद संगठन के समर्थको ने बाबा को चमत्कारिक सिद्ध करने के लिए गोलबंदी की और सोशल मीडिया पर व्हात्सप्प पर प्रचार शुरू हो गया। परंतु उनके चमत्कार की पोल राजस्थान की एक लड़की सुहानी शाह ने चैनल पर आ कर दिखाया की वह भी किसी के मन की बात बता सकति है। उसने इस काम को ईश्वरीय चमत्कार नहीं वरन एक टेक्निक साबित किया। फिर बदरिका आश्रम के शंकारचार्या अविमुक्तनन्द जी ने कहा की बागेश्वर जी अपने चमत्कार से जोशिमठ के मंदिर के आसपास की दरारे भर दे –तो वे उनका फूलमालाओ से स्वागत करेंगे। उधर बागेश्वर जी के समर्थन में उनके गुरु रामभद्रचर्या जी आ गाये दिव्यङ्ग स्वामी ने दावा किया की उनका शिष्य गलत हो ही नहीं सकता उसके चमत्कारो की शक्ति हैं। समाज में अवैज्ञानिक माहौल फैला कर धरम भीरु हिन्दू लोगो को भयभीत कर समर्थन प्राप्त करना है।

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