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लेख - February 10, 2023

51 मिनट बनाम 88 मिनट

-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-

बज़ट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पक्ष-विपक्ष की चर्चा सारे विश्व की हेडलाइंस बनी

वैश्विक स्तरपर भारत की हर गतिविधियों पर दुनिया उत्सुकता से नज़र गड़ाई हुई है कि, इसका परिणाम क्या होगा, आज क्या होगा, हमारा उसमें कौनसा हित होगा, आज भारत क्या करेगा? जैसे अनेक सवाल छिपे होते हैं। हो भी क्यों ना? क्योंकि भारतीय आज ऐसी मज़बूत स्थिति में पहुंच चुका है कि बस! अब विश्वगुरु का औपचारिक मुकुट भर पहनना है, क्योंकि आज छोटे से लेकर बड़े देशों के सत्ताधारी से लेकर विपक्षी नेताओं का भारत के साथ बॉडीलैंग्वेज एसी होती है, मानों भारतीय नेता से मिलने के लिए उतावले हो! वैसे आज 8 फ़रवरी 2022 को देखें तो हमारे पीएम ने इजरायल के समकक्ष पदआसीन नेता से अनेक मुद्दों पर फोन से चर्चा की, वही भीषण भूकंप का दंश झेल रहे देशों तुर्कीया, सीरिया को 30 बेड वाला हॉस्पिटल सहित अनेकों आपातकालीन सहायताएं कैंप भेजकर मदद करने के जुटा हुआ है। वही आज बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पक्ष विपक्ष की चर्चा का जवाब माननीय पीएम ने दिया क़रीब पूरे विश्व ने लगभग देखा, जिसमें विपक्ष के नेता ने करीब 51 मिनट के अपने सवाली संबोधन पर माननीय पीएम ने अपने करीब 88 मिनट के ज़वाब में 2014 से किए गए अपने कार्यों का सिलसिलेवार जवाब सहित 51 मिनट में उठाए गए मुद्दों का पॉइंट टू पॉइंट जवाब दिया जिसपर भारत सहित पूरे दुनिया की नजरें लगी हुई थी। इसलिए आज हम पीआईबी में आई जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि 51 मिनट बनाम 88 मिनट,बजट सत्र में राष्ट्रपति केअभिभाषण पर पक्ष विपक्ष की चर्चाएं चर्चा सारे विश्व की हेडलाइंस बनी।
साथियों बात अगर हम 51 मिनट के विपक्षी युवा नेता द्वारा खड़े किए गए सवालों की करें तो, बीते दिन पीएम और केंद्र सरकार पर कई सवाल खड़े किए थे। उन्होंने आरोप लगाए कि उद्योगपति को भारत में और विदेशों में काम के कॉन्ट्रैक्ट इसलिए मिल जाते हैं, क्योंकि वो पीएम के करीबी हैं। उन्होंने पीएम के विदेशी दौरों पर सवाल दागा था कि पीएम के विदेश दौरे में वो कितनी बार साथ गए? उन्होंने पूछा कि आपके कितने दौरों के दौरान वे गए? आपके कितने दौरे के बाद वे उस देश के दौरे पर गए और कितने देशों में आपके दौरे के बाद उनको को कॉन्ट्रैक्ट मिले? उन्होंने 51 मिनट में 45 मिनट सिर्फ उद्योगपति और उद्योगपति से जुड़े विवादों के बारे में बात की। उन्होंने ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर दिए अपने भाषण को उद्योगपति और पीएम तक सीमित कर दिया और इस दौरान वो अपने साथ एक तस्वीर भी लाए थे, जिसमें उद्योगपति और पीएम एक साथ दिख रहे हैं। बता दें कि मंगलवार को उन्होंने अपने भाषण के दौरान करीब 60 बार उस उद्योगपति का नाम लिया था।इसके अलावा मंगलवार को प्रमुख विपक्षी पार्टी नेता ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र किया था। बता दें कि उन्होंने तमिलनाडु से लेकर कश्मीर के श्रीनगर तक भारत जोड़ो यात्रा की थी।अपनी यात्रा के समापन पर उन्होंने ने श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया था, उन्होंने प्रमुख सवाल पूछे थे (1) उद्योगपति जी आपके साथ कितनी बार विदेश गए? (2)आपके विदेश जाने के बाद वे कितनी बार उस देश गए? (3) जिस देश में उनको कॉन्ट्रैक्ट मिला,वहां आप कब गए?(4) आपके विदेश दौरे के बाद उस देश में उनको कब कॉन्ट्रैक्ट मिला?(5) उद्योगपति जी ने पिछले 20 साल में आपकी पार्टी को कितना पैसा दिया? पीएम के भाषण के बाद उन्होंने कहा- पीएम ने मेरे एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया। उनके बयान से समझ आ गया है कि वे उनको बचा रहे हैं। इसके पीछे कई सारे कारण हैं। मैं संतुष्ट नहीं हूं, लेकिन इससे सच्चाई उजागर हो रही है। उन्होंने ट्वीट भी किया- न जांच कराएंगे, न जवाब देंगे-प्रधानमंत्री जी बस अपने ‘मित्र’ का साथ देंगे।
साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा अपने 88 मिनट के जवाबी संबोधन की करें तो उन्होंने शुरुआत की,मैं चर्चा में शामिल सभी माननीय सदस्यों का ह्दय से आभार व्यक्त करता हूं। लेकिन मैं देख रहा था कल कुछ लोगों के भाषण के बाद पूरा इकोसिस्टम, समर्थक उछल रहा था और कुछ लोग तो खुश होकर के कह रहे थे, ये हुई न बात। बड़ा शायद नींद भी अच्छी आई होगी, शायद आज उठ भी नहीं पाए होंगे। और ऐसे लोगों के लिए कहा गया है, बहुत अच्छे ढंग से कहा गया है। अपने 88 मिनट के भाषण में उन्होंने उनपर पूछे किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। पीएम की पूरी स्पीच में उद्योगपति का जिक्र तक नहीं था। हालांकि पीएम विपक्ष की एकता से लेकर राहुल की भारत जोड़ो यात्रा पर तंज जरूर कसते रहे। मैं चर्चा में शामिल सभी माननीय सदस्यों का ह्दय से आभार व्यक्त करता हूं। लेकिन मैं देख रहा था कल कुछ लोगों के भाषण के बाद पूरा इको सिस्टम, समर्थक उछल रहा था और कुछ लोग तो खुश होकर के कह रहे थे, ये हुई न बात बड़ा, शायद नींद भी अच्छी आई होगी, शायद आज उठ भी नहीं पाए होंगे। और ऐसे लोगों के लिए कहा गया है, बहुत अच्छे ढंग से कहा गया है। जब राष्ट्रपति जी के भाषण पर चर्चा मैं सुन रहा था, तो मुझे लगा कि बहुत सी बातों को मौन रहकर भी स्वीकार किया गया है। यानी एक प्रकार से सबके भाषण में सुनता था, तब लगा कि राष्ट्रपति जी के भाषण के प्रति किसी को एतराज नहीं है, किसी ने उसकी आलोचना नहीं की। भाषण की हर बात, अब देखिए क्या कहा है राष्ट्रपति जी ने मैं उन्हीं के शब्द को क्वोट करता हूं। राष्ट्रपति जी ने अपने भाषण में कहा था, जो भारत कभी अपनी अधिकांश समस्याओं के समाधान के लिए दूसरों पर निर्भर था, वही आज दुनिया की समस्याओं के समाधान का माध्यम बन रहा है। राष्ट्रपति जी ने यह भी कहा था, जिन मूल सुविधाओं के लिए देश की एक बड़ी आबादी ने दशकों तक इंतजार किया, वे इन वर्षों में उसे मिली है। बड़े-बड़े घोटालों, सरकारी योजनाओं में भ्रष्ट्राचार की जिन समस्याओं से देश मुक्ति चाहता था, वह मुक्ति अब देश को मिल रही है। पॉलिसी-पैरालिसिस की चर्चा से बाहर आकर आज देश और देश की पहचान, तेज विकास और दूरगामी दृष्टि से लिए गए फैसलों के लिए हो रही है। किसी भी भारतीय को ऐसी अनेक बातें मैं गिना सकता हूँ। राष्ट्रपति जी ने अपने भाषण में कई बातें कही हैं। देश में हर स्तरपर, हर क्षेत्र में, हर सोच में, आशा ही आशा नजर आ रही है। एक विश्वास से भरा हुआ देश है। सपने और संकल्प लेकर के चलने वाला देश है। लेकिन यहाँ कुछ लोग ऐसे निराशा में डूबे हैं, काका हाथरसी ने एक बड़ी मजेदार बात कही थी। काका हाथरसी ने कहा था-‘आगा-पीछा देखकर क्यों होते गमगीन, जैसी जिसकी भावना वैसा दीखे सीन’। मैं कई बार सुन रहा हूँ, यहां कुछ लोगों को हार्वर्ड स्टडी में का बड़ा क्रेज है। कोरोना काल में ऐसा ही कहा गया था और कांग्रेस ने कहा था कि भारत की बर्बादी पर हार्वर्ड में केस स्टडी होगी, ऐसा कहा था और कल फिर सदन में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में स्टडी की बात कल फिर हुई, लेकिन माननीय अध्यक्ष जी बीते वर्षों में हार्वर्ड में एक बहुत बढ़िया स्टडी हुई है, बहुत महत्वपूर्ण स्टडी हुई है। और वो स्टीडी है, उसका टॉपिक क्यात था मैं जरूर सदन को बताना चाहूंगा और ये स्ट डी हो चुकी है। स्ट डी है द राइज एंड डिक्लाइन ऑफ इंडियन कांग्रेस पार्टीज ये स्टूडी हो चुका है और मुझे विश्वास है भविष्य में कांग्रेस की बर्बादी पर सिर्फ हार्वर्ड नहीं, बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में अध्ययन होना ही होना है और डूबाने वाले लोगों पर भी होने वाला है।
इस प्रकार के लोगों के लिए दुष्यंत कुमार ने बहुत बढ़िया बात कही है और दुष्यंत कुमार ने जो कहा है बहुत फिट बैठता है,तुम्हारे पाँव के नीचे, कोई जमीन नहीं,कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं’। राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, विचारधाराओं में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन ये देश अजर-अमर है। आओ हम चल पड़ें- 2047, आजादी के 100 साल मनाएंगे, एक विकसित भारत बनाकर रहेंगे। एक सपना ले करके चलें, एक संकल्प ले करके चलें, पूरे सामर्थ्य के साथ चलें और जो लोग बार-बार गांधी के नाम पर रोटी सेंकना चाहते हैं- उनको मैं कहना चाहता हूं एक बार गांधी को पढ़ लें। एक बार महात्मा गांधी को पढ़ें, महात्माी गांधी ने कहा था- अगर आप अपने कर्तव्यों का पालन करोगे तो दूसरे के अधिकारों की रक्षा उसमें निहित है। आज कर्तव्य और अधिकार के बीच में भी लड़ाई देख रहे हैं, ऐसी नासमझी शायद देश ने पहली बार देखी होगी। मैं जानता हूं सच सुनने के लिए भी बहुत सामर्थ्यक लगता है। आदरणीय अध्यक्ष जी, झूठे, गंदे आरोपों को सुनने के लिए भी बहुत बड़ा धैर्य लगता है और मैं इन सबका अभिनंदन करता हूं जिन्हों ने धैर्य के साथ गंदी से गंदी बातें सुनने की ताकत दिखाई है, ये अभिनंदन के अधिकारी हैं। लेकिन सच सुनने का सामर्थ्य नहीं रखते हैं वो कितनी निराशा की गर्त में डूब चुके होंगे इसका देश आज सबूत देख रहा है। चुनाव नहीं, ईडी ने पूरे विपक्ष को एकजुट किया पीएम ने कहा- बहुत सारे विपक्षी मिले-सुर मेरा-तुम्हारा कर रहे थे। मुझे लगता था कि देश की जनता, देश के चुनाव के नतीजे ऐसे लोगों को जरूर एक मंच पर लाएंगे। वो तो हुआ नहीं, लेकिन इन लोगों को ईडी का धन्यवाद करना चाहिए। उसके कारण ये एक मंच पर आ गए।
देश के 140 करोड़ लोग मेरा सुरक्षा कवच
पीएम ने कहा- आपकी गालियों-आरोपों को कोटि-कोटि भारतीयों से होकर गुजरना पड़ेगा। 140 करोड़ लोग मेरा सुरक्षा कवच हैं। झूठ के हथियार से आप इस सुरक्षा कवच को नहीं भेद सकते। ये विश्वास का सुरक्षा कवच है। समाज के वंचितों को वरीयता के संकल्प को लेकर हम जी रहे हैं, चल रहे हैं।

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