राजनीति की बलि चढ़ती जनहित और सुप्रीम कोर्ट की नसीहत
-विजय तिवारी-
-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-
सुप्रीम कोर्ट के बार -बार इंगित करने पर कि धर्म को राजनीति से अलग रखा जाये, तभी समुदायों में तनाव खत्म होगा वोट की राजनीति के लिए धर्म का इस्तेमाल देश की एकता के लिए खतरनाक है परंतु भोपाल में आरएसएस के सरसंघचालक भागवत जी ने सिंधी समुदाय के सम्मेलन मे कहा कि अखंड भारत के लिए प्रयास समझदार लोग करेंगे। वैसे संघ समर्थित अनेक संगठन अखंड भारत की बात करते है पर वे यह नहीं साफ साफ बताते की ब्रिटिश शासन का भारत अखंड था अथवा सम्राट अशोक का या चोला राजा का। क्यूंकि उस भारत या तो उत्तर भारत नहीं होगा या दक्षिण भारत के भाग नहीं होंगे, शायद मांग करने वाले जानबूझ कर इस मसले को साफ नहीं करना चाहते, क्यूंकि तब बहस होगी – जो ये लोग नहीं चाहते।
यह सर्व विदित है कि संघ भारतीय जनता पार्टी का मूल या मातृ संस्था है – या उसके क्षत्र नेता अखंड हिन्दू राष्ट्र की बात करते हैं तब वारिस पंजाब दे का स्वयंभू नेता अमरत पाल सिंह का यह कथन वज़न रखता हैं कि वो हिंदु राष्ट्र की मांग कर सकते हैं फिर सिखों के लिए अलग राष्ट्र क्यूं नहीं। अब इसका कोई उत्तर तो नहीं हो सकता, क्यूंकि दोनों ही मांगें एक ही धरातल पर हैं पर सत्ता तो यही कहेगी कि हिन्दू राष्ट्र सांस्कृतिक संभावना है जबकि सीखिस्थान देशद्रोह है। अब कोई तार्किक और तथ्यों का सम्मान करने वाला सत्ता के इस जवाब को सिरे से खारिज कर देगा पर संघ के संगठन तो हिन्दू राष्ट्र के नारे के बिना निर्जीव हो जाएँगे।
यूं तो देश में दलीय राजनीति के अनेक विवाद चल रहे हैं और सभी पक्ष अपने अपने तर्क सार्वजनिक क्षेत्र में रख रहे है| परंतु सरकार या सत्ता पक्ष आज की तारीख में तो मोदी सरकार और उसके सहयोगी संगठन आरएसएस तथा विश्व हिन्दू परिषद और सड़क पर हिंसक विरोध के लिए बजरंग दल और कर्नाटक में राम सेना आदि जैसे मैदान में है। हाल ही में रामनवमी के जुलूस को लेकर बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली और कई स्थानों पर तनाव हुआ और पुलिस से झड़प भी हुई जैसा की उम्मीद थी सत्ता पक्ष ने बंगाल में जुलूस के दौरान हिंसा के लिए झट से वहां की तराणमूल सरकार को हिन्दू विरोधी लेबल करने में देर नहीं किया। देश की राजधानी दिल्ली में जहांगिरपुरी में जुलूस की नेताओं की हठधर्मिता को बीजेपी और आरएसएस के प्रवक्ता टीवी चैनलों पर आकर सहज राम भक्ति के प्रदर्शन को जायज बता रहे थे जबकि पुलिस (उनकी ही) ने जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी थी, फिर भी बालकों और युवाओं की भीड़ भगवा झंडे हाथों में लिए उत्तेजक नारे लगा रहे थे ऐसे दृश्य टीवी चैनल में दिखाई पद रहे थे।
बंगाल के जुलूस में एक आदमी के हाथ में पिस्तौल थी और वह जीप पर खाड़ा था बीजेपी की महिला प्रवक्ता ने बड़ी मासूमियत के साथ कह दिया की जिसके पास हथियार थे उनके खिलाफ पुलिस कारवाई करे! परंतु देखा गया है कि जब कार्रवाई होगी, तब भारत में हिन्दुओं या सनतानियों की श्रद्धा पर रोक के आरोप गैर बीजेपी सरकारों पर लगा दिये जाएँगे।
बीजेपी शासित मध्यप्रदेश में रामनवमी के दिन इंदौर में एक मंदिर में बावड़ी की छत धंस जाने से 31 बालक बच्चे और युवा तथा लोग की दुखद मौत हो गयी ! तब इन धरम भीरु नेताओं को अपने गिरेबान में झाँकने की जरूरत नहीं हुई। किस प्रकार मंदिर ऐसे सार्वजनिक स्थलों पर भक्तों की जान की सुरक्षा का इंतेजाम होने चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री चौहान ने मारे गए लोगों के परिवारों को आर्थिक सहायता घोषित की है, अब देखना होगा की यह राशि उनको कब मिलती है।
संघ के एक प्रवक्ता टीवी की बहस में आकर कहते है की काँग्रेस ने लोगों को बाँट रखा था, वे हिन्दुओं के जुलूस को उन इलाकों से नहीं निकलने देते थे, जहां मस्जिद और मुसलमानों की आबादी होती थी हम क्यूं नहीं राम भगवान के जुलूस को आज़ादी से सदको से क्यूं नहीं निकाल सकते ! अब यह बयान यह इशारा करता हैं कि बजरंग दल के लोगों को मस्जिद के सामने जाकर उत्तेजित नारे लगाने और उकसावे की कार्रवाई करने का अवसर मिले क्यूंकि पुलिस तो सत्ता के अधीन हैं ही और विगत पाँच सालों से देखा ही जा रहा हैं, मुसलमान जानवर के व्यापारियों को सामूहिक रूप से परेशान करने और उनकी हत्या किए जाने की घटनाएं रूक नहीं रही अभी राजस्थान के दो मुस्लिम व्यापारियों को हरियाणा में गाड़ी के अंदर जिंदा जला दिया सबसे दुखद बात तो यह हैं कि दोषी लोगों के ज़ाति वालों ने गिरफ्तारी के खिलाफ हड़ताल की और आरोपियों के समर्थन में जुलूस निकाला।
अब इसमें दलीय और जातीय राजनीति साफ साफ देखी जा सकती है – परंतु हरियाणा पुलिस बयानबाज़ी में तो अपने को निर्दोष बता रही है, पर दोषियों को गिरफ्तार नहीं कर पा रही है।
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