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लेख - April 10, 2023

विदेश व्यापार बढऩे का परिदृश्य

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-

यकीनन इस समय वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भी देश के निर्यात और विदेश व्यापार बढऩे का परिदृश्य दिखाई दे रहा है। भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में गुड्स एंड सर्विस एक्सपोर्ट में 676 अरब डॉलर मूल्य का रिकार्ड निर्यात किया है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत से निर्यात 767 अरब डॉलर मूल्य की ऊंचाई पर है। नि:संदेह देश निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस समय भारत के तेजी से बढ़ते निर्यातों का ग्राफ इस बात का प्रतीक है कि भारतीय उत्पादों की मांग दुनियाभर में बढ़ रही है। यदि हम उत्पाद निर्यात के नए आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पाते हैं कि प्रमुख रूप से निर्यात अमेरिका, यूएई, चीन, बांग्लादेश व नीदरलैंड को भी बड़े पैमाने पर निर्यात किए गए हैं। निर्यात उत्पादों के मद्देनजर पेट्रोलियम उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, चमड़ा, कॉफी, प्लास्टिक, रेडीमेड परिधान, मांस एवं दुग्ध उत्पाद, समुद्री उत्पाद और तंबाकू की निर्यात वृद्धि में अहम भूमिका रही है। साथ ही उच्च इंजीनियरिंग निर्यातों, परिधान और वस्त्र निर्यात आदि से संकेत मिलते हैं कि यह धारणा धीरे-धीरे बदल रही है कि भारत प्राथमिक जिंसों का ही बड़ा निर्यातक है। अब भारत के द्वारा अधिक से अधिक मूल्यवर्धित और उच्च गुणवत्ता वाले सामानों का निर्यात भी किया जा रहा है।

यह भी महत्त्वपूर्ण है कि भारत विश्व पटल पर कृषि निर्यात के नए उभरते हुए देश के रूप में उपस्थिति दर्ज करते हुए मानवता के आधार पर दुनिया के जरूरतमंद देशों के लिए खाद्यान्न की आपूर्ति भी सुनिश्चित कर रहा है। भारत से खाद्य पदार्थों अनाज, गैर बासमती चावल, गेहूं, बाजरा, मक्का और अन्य मोटे अनाज के अलावा फलों एवं सब्जियों के निर्यात में भारी वृद्धि देखी गई है। कृषि एवं प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में खाद्य उत्पादों का निर्यात 25 अरब डॉलर था, यह वर्ष 2022-23 से 30 अरब डॉलर के पार पहुंच जाएगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सरकार के द्वारा कृषि क्षेत्र में ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया गया है।

गहराई से कृषि निर्यात परिदृश्य का अध्ययन करने के बाद कृषि निर्यात से सुधार के लिए रणनीतिक कदम उठाए गए हैं। ऐसे में वित्तीय वर्ष 2022-23 में कृषि रिकॉर्ड स्तर पर दिखाई दे रहा है। वल्र्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा प्रकाशित वैश्विक कृषि व्यापार में रुझान रिपोर्ट 2021 के मुताबिक दुनिया में कृषि निर्यात में भारत ने नौवां स्थान हासिल किया है। देश के कुल निर्यात में कृषि की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत से अधिक हो गयी। संयुक्त राष्ट्र के कृषि विभाग की रिपोर्ट को देखें तो पाते हैं कि वर्ष 2018-19 में वैश्विक चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 22 फीसदी थी, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 40 फीसदी हो गई। इसी तरह वित्त वर्ष 2019-20 में वैश्विक गेहूं निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 0.3 फीसदी थी जो वर्ष 2021-22 में पांच फीसदी तक पहुँच गई। खास बात यह है कि कोविड-19 के कारण भारत के सेवा निर्यात में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई हैं। कोविड-19 के बाद दो साल में कुल आईटी सेवाओं के निर्यात में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

कोविड-19 ने अधिकांश उद्योगों को डिजिटल निवेश और मल्टी-चैनल व्यवसाय में तेजी लाने के लिए प्रेरित किया और कंपनियों के बैक-एंड प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे को ज्यादा बेहतर और अनुकूल बनाने के लिए प्रवृत्त किया है। आईटी सेवाओं की कुल सेवा निर्यात में लगभग 70 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इसमें कंप्यूटर सेवाओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। फिर पेशेवर और प्रबंधन परामर्श सेवाएं, तकनीकी और व्यापार से संबंधित सेवाएं और अनुसंधान और विकास क्षेत्रों में भी सेवा निर्यात में प्रभावी वृद्धि हुई है। उल्लेखनीय है कि जिस तेजी से देश में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) की संख्या बढ़ी है, उतनी ही तेजी से आईटी सेवाओं के निर्यात में भी वृद्धि हुई है। ज्ञातव्य है कि भारत के नवाचार दुनिया में सबसे प्रतियोगी, किफायती, टिकाऊ, सुरक्षित और बड़े स्तर पर लागू होने वाले समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं। भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध और विकास और जबरजस्त स्टार्टअप माहौल के चलते ख्याति प्राप्त वैश्विक फार्मेसी कंपनियाँ, वैश्विक फायनेंस और कॉमर्स कंपनियाँ अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में जीसीसी स्थापित किए हैं। यह संख्या वित्त वर्ष 2015-16 में करीब 1000 से अधिक थी, वहीं यह बढक़र वित्त वर्ष 2022-23 में 1500 से अधिक हो गई है। वास्तव में भारत में लगभग 40 प्रतिशत वैश्विक जीसीसी हैं। इसमें कोई दोमत नहीं है कि पिछले वर्ष 2022 में देश से निर्यात बढ़ाने में भारत के द्वारा यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की भी प्रभावी भूमिका रही है।

ह भी भारत की बढ़ती हुई वैश्विक निर्यात साख की सफलता है कि रिजर्व बैंक आरबीआई ने जुलाई 2022 में डॉलर पर निर्भरता कम करने और निर्यात बढ़ाने के लिए विदेशी व्यापार का लेन-देन रुपये में करने का प्रस्ताव किया था। 15 मार्च तक रूस, मारीशस व श्रीलंका के द्वारा भारतीय रुपये में विदेश व्यापार शुरू करने के बाद अब तक 18 देशों के बैंकों ने रुपए में व्यापार करने के लिए विशेष वोस्ट्रो खाते खोले हैं। दुनिया के 35 से अधिक देशों ने रुपये में व्यापार करने में रुचि दिखाई है। इससे भारत को निर्यात के मोर्चे पर बड़ा लाभ मिलेगा। हमें विभिन्न उद्योगों से निर्यात बढ़ाने के वैसे ही प्रयत्न करने होंगे जैसे पिछले तीन-चार वर्षों में खिलौना उद्योग के लिए किए गए हैं। देश में खिलौना उद्योग के रणनीतिक विकास से भारत में पिछले तीन वर्षों में खिलौने के आयात में 70 फीसदी की कमी आई है। साथ ही भारत का खिलौना निर्यात करीब 300 करोड़ रुपए से तेजी से बढक़र करीब 2600 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है। भारत से अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों को खिलौने निर्यात किए जा रहे हैं।

अब देश को निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हमें कई बातों पर ध्यान देना होगा। भारत के द्वारा बाद अब यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजराइल के साथ एफटीए के लिए प्रगतिपूर्ण वार्ताएं तेजी से पूरी करनी होंगी। भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा डिजिटल रुपए की जो प्रायोगिक शुरुआत हुई है, उसे अब शीघ्रता से विस्तारित करना होगा। निर्यात बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान में मैन्युफैक्चरिंग के तहत चिन्हित 24 सेक्टर को प्राथमिकता के साथ तेजी से आगे बढ़ाया जाना होगा। विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की भूमिका निर्यात बढ़ाने में अहम बनाई जानी होगी। ऐसे रणनीतिक प्रयासों और नई विदेश व्यापार नीति के उपयुक्त कार्यान्वयन से भारत निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था बनने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगा अब यह उम्मीद की जा रही है कि सरकार के द्वारा एक अप्रैल 2023 से लागू की गई नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 से निर्यात तेजी से बढ़ेंगे और वर्ष 2030 तक 2000 अरब डॉलर निर्यात का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा। ऐसे में बढ़ते हुए निर्यात के कारण देश की विकास दर भी लगातार बढ़ेगी और भारत 2047 तक दुनिया का विकसित देश बनने की संभावनाओं को मुठ्ठियों में लेते हुए दिखाई दे सकेगा।

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