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लेख - June 29, 2021

धर्मान्तरण पर कठोर कानून की आवश्यकता

-डॉ. रामकिशोर उपाध्याय-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

हमारे संविधान ने सभी धर्मावलम्बियों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया है किन्तु धार्मिक स्वतंत्रता की आड़ में जिस प्रकार धर्मान्तरण किये जा रहे हैं उससे पुनः इस धारा की व्याख्या करने की आवश्यकता उपस्थित कर दी है। नोएडा डेफ सोसायटी के मूक-बधिर बच्चों के धर्मान्तरण की घटना ने पूरे देश को चैंका दिया है। यद्यपि देश के भिन्न-भिन्न राज्यों में धर्मान्तरण रोकने के लिए अलग-अलग कानून हैं किन्तु कोई भी राज्य इस बात का विश्वास नहीं दिला सकता कि उसके यहाँ धर्मान्तरण पूर्णतः रुक गया है। अभी इस अपराध में दो वर्ष से लेकर अधिकतम सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। जुर्माने की राशि भी जो कुछ राज्यों में पहले पाँच हजार थी उसे भी अलग-अलग राज्यों ने थोड़ी बहुत वृद्धि करके खानापूर्ति कर दी है। एक अनुमान के अनुसार धर्मान्तरण कराने वाले गिरोहों को इस कार्य के लिए हवाला आदि माध्यमों से जो फंड मिलता है. वह करोड़ों में होता है। यह पैसा अरब देशों तक से यहाँ पहुँचाया जाता है। प्रश्न यह है कि जिस कार्य को करने के लिए करोड़ों रुपये मिलते हों और पकड़े जाने पर जुर्माना मात्र कुछ हजार रुपये हो तो भला ऐसा कानून इस कुकृत्य को कैसे रोक पाएगा ?
भारत जिसे हिन्दू बहुसंख्यक देश कहा जाता है वहाँ कश्मीर, लद्दाख, मिजोरम, नागालैंड, लक्ष्यद्वीप, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय आदि कई राज्यों में हिन्दू जनसंख्या घटते-घटते अल्प संख्यक हो गई है। देश के नौ राज्यों में हिन्दुओं का अल्पसंख्यक हो जाना निस्संदेह चिन्ता का विषय है। इस बात में कोई सन्देह नहीं कि हिन्दू आवादी घटने का सबसे बड़ा कारण धर्मान्तरण ही है। आश्चर्य की बात यह है कि इतनी बड़ी संख्या में धर्मान्तरण के पश्चात् भी देश में इसे रोकने के लिए प्रभावी कानून नहीं बन सका है।
भारत में धर्मान्तरण की विवशता और छल का इतिहास बहुत पुराना है। ब्रिटिश काल में इसाई मिशनरियों ने सहानुभूति और सेवा की आड़ में धर्मान्तरण का जो घिनौना खेल आरंभ किया था वह आज तक अनवरत चल रहा है। मिशनरियाँ सुदूर वनों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के लोगों को अभी भी बहला फुसलाकर ईसाई बना देती हैं। मध्यकाल में इस्लामिक आक्रान्ता गर्दन पर तलवार रखकर या जजिया कर लगाकर धर्मान्तरण कराते रहे। किन्तु उत्तर प्रदेश में मुफ्ती काजी जहांगीर आलम और मुहम्मद उमर के धर्मान्तरण गैंग ने इन सबसे हटकर जिस क्रूरता और निर्लज्जता से धर्मान्तरण कराने का कुकृत्य किया है वैसे उदहारण कम ही देखने को मिलते हैं। दिव्यांग बच्चों को देख सज्जन नागरिकों के मन में स्वाभाविक रूप से सहानुभूति उमड़ती है। वे बिना किसी भेदभाव के इनकी सेवा और सहयोग करने लगते हैं। किन्तु यह एक ऐसा गिरोह बताया जा रहा है जो उन मासूम हिन्दू बच्चों के खतने कर उन्हें मुसलमान बना देता है जो न बोल सकते हैं न सुन सकते हैं, जिन्हें समाज से अतिरक्त सहानुभूति की आवश्यकता थी। यदि डेफ सोसायटी इन मूक-बधिरों को बिना धर्मान्तरण के ही उनका जीवन सँवार देती तो संभव था कि पूरी दुनिया उनके कार्यों की सराहना करती।
भारत के प्रबुद्ध नागरिकों और मानवता वादियों को आशा थी कि लगभग एक हजार हिन्हुओं (जिनमें मूक-बधिर बच्चे और लड़कियाँ भी शामिल हैं) को लोभ-लालच देकर, गुमराह करके जबरन मुसलमान बनाए जाने की इस क्रूर और घृणित घटना का देश के सभी इस्लामिक इदारेध्धार्मिक संस्थाएँ एक सुर में निंदा करेंगीं किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ द्य कुछ लोग बड़ी चतुराई के साथ धार्मिक स्वतंत्रता की दुहाई देने में जुट गए हैं। मैं पूछता हूँ कि यदि यही काम किसी हिन्दू संगठन ने मुसलमान बच्चों के साथ कर दिया होता तो क्या तब भी देश में ऐसी ही शांति और भाईचारा बना रहता ?
एक मुसलमान युवक की लड़ाई-झगड़े में हत्या हो जाने पर पूरा देश असहिष्णु हो गया था, यूपी से मुंबई तक तथाकथित प्रगतिशील लोग (इस्लामिस्ट और कम्युनिस्ट लॉबी ) सड़कों पर उतर आई थी। पुरस्कार वापस किये जाने लगे थे और बड़े-बड़े कलाकारों का मन देश छोड़ देने का हो रहा था। किन्तु अब जबकि एक हजार लाचार बच्चों के धर्मान्तरण की घटना सामने आ रही है तब तथाकथित बुद्धिजीवी समूह लीपापोती कर रहा है क्यों ? संसार के सभी देशों में अल्पसंख्यक समूह सरकारों से निवेदन करते हैं कि धर्मान्तरण रोकिए और धर्मान्तरण कराने वालों को कठोर दंड दीजिए किन्तु भारत में उल्टी गंगा बह रही है यहाँ अल्पसंख्यक कह रहे हैं कि धर्मान्तरण पर आँखें मूँद लो और बहुसंख्यक हिन्दू कह रहे हैं कि धर्मातरण को रोकने के लिए कठोर कानून बनाइये। भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ तथाकथित अल्पसंख्यक मुसलमान और ईसाई, बहुसंख्यक हिन्दुओं का जबरन धर्मान्तरण करा देते हैं और उन्हें इस काम के लिए सजा के स्थान पर देश विदेश से अपार धन मिलता है। अब समय अगाया है जबकि बलात धर्मान्तरण को रोकने के लिए संविधान में कठोर प्रावधान करने ही होंगें नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पूरे देश में हिन्दू अल्पसंख्यक बन कर रह जाएँगे। आज समग्र देश में धर्मान्तरण रोकने के लिए एक कठोर कानून की आवश्यकता है।

 

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