Home अंतरराष्ट्रीय भारत-यूएस संबंधों पर क्या होगा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का असर? विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया जवाब

भारत-यूएस संबंधों पर क्या होगा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का असर? विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया जवाब

कैनबरा, 05 नवंबर (ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को उम्मीद जताई अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम चाहे जो भी हो, भारत-अमेरिका संबंध लगातार बढ़ते रहेंगे। कैनबरा में संसद भवन में ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए, जयशंकर ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 2017 में क्वाड गठबंधन को पुनर्जीवित करने का क्रेडिट दिया, जो भारत-पैसिफिक सहयोग में एक महत्वपूर्ण डेवलपमेंट था।

जयशंकर ने यह पूछे जाने पर कि यूएस प्रेसिडेंशियल इलेक्शन के बाद भारत-अमेरिका संबंध किस प्रकार विकसित होंगे, उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले पांच राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में अमेरिका के साथ अपने संबंधों में स्थिर प्रगति देखी है, जिसमें ट्रंप का पिछला कार्यकाल भी शामिल है।” उन्होंने कहा, “इसलिए, जब हम अमेरिकी चुनाव को देखते हैं, तो हमें विश्वास है कि परिणाम चाहे जो भी हो, अमेरिका के साथ हमारे संबंध बढ़ते रहेंगे।”

बता दें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए 5 नवंबर को वोट डाले जाने हैं। चुनाव परिणाम बुधवार सुबह तक घोषित किया जा सकता है। हालांकि देरी संभव है, कभी-कभी परिणामों को अंतिम रूप देने में कई दिन, सप्ताह या एक महीने भी लग सकते हैं।

विदेश मंत्री जयशंकर वर्तमान में दो देशों की यात्रा पर हैं, 7 नवंबर तक ऑस्ट्रेलिया में रहेंगे और 8 नवंबर को सिंगापुर का दौरा करेंगे। वह रविवार को ब्रिस्बेन पहुंचे, जिसके बाद उन्होंने भारतीय प्रवासियों को संबोधित किया और एक नए वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया।

अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने आस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ 15वें विदेश मंत्रियों की फ्रेमवर्क डायलॉग (एफएमएफडी) की सह-अध्यक्षता की। बैठक के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने पोस्ट किया, “आज कैनबरा में विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ 15वीं भारत-ऑस्ट्रेलिया विदेश मंत्रियों की फ्रेमवर्क डायलॉग संपन्न हुआ। हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी लगातार बढ़ रही है। यह मजबूत राजनीतिक संबंधों, मजबूत रक्षा और सुरक्षा सहयोग, विस्तारित व्यापार, अधिक गतिशीलता और गहन शैक्षिक संबंधों में परिलक्षित होती है। हमारे संबंधित पड़ोस, इंडो-पैसिफिक, पश्चिम एशिया, यूक्रेन और वैश्विक रणनीतिक परिदृश्य पर चर्चा की।”

 

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