सूडान : बुरहान की यूएन से मांग- दारफुर में हथियारों के प्रवाह को रोकने के लिए करें कार्रवाई
खार्तूम, 24 दिसंबर (ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस)। सूडान की ट्रांजिशनल संप्रभु परिषद के अध्यक्ष अब्देल फत्ताह अल-बुरहान ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) से देश के पश्चिम में स्थित दारफुर इलाके में हथियारों के प्रवेश और एल फशर शहर पर हमलों को रोकने के लिए कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की अपील की।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, संप्रभु परिषद ने एक बयान में कहा कि सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) के जनरल कमांडर बुरहान ने सोमवार को देश के पूर्वी पोर्ट सूडान शहर में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के दूत रामताने लामामरा से मुलाकात के दौरान यह टिप्पणी की।
अल-बुरहान ने भविष्य में सभी इलाकों में काम करने के लिए एक साझा दृष्टिकोण तैयार करके संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करने और देश के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की सूडान की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अर्धसैनिक रेपिड सहायता बलों (आरएसएफ) पर दबाव डालने तथा उसके उल्लंघनों की निंदा करने की भी अपील की।
संयुक्त राष्ट्र के दूत ने बताया कि बैठक में सूडान की स्थिति पर चर्चा की गई।
लामामरा ने कहा, “बैठक के दौरान मैंने पुष्टि की कि संयुक्त राष्ट्र सूडान में बातचीत के माध्यम से समाधान की दिशा में प्रयासरत है तथा उसे प्रोत्साहित करता है।”
राजदूत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और उसकी संस्थाएं सूडानी संकट का समाधान निकालने तथा सूडानी लोगों की पीड़ा को समाप्त करने के लिए सूडान के साथ और अधिक सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
इसी साल 13 जून को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मांग की गई कि आरएसएफ उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी एल फशर की घेराबंदी बंद करे। आरएसएफ 10 मई से एल फशर की घेराबंदी कर रहा है।
11 सितंबर को, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से सूडान प्रतिबंध व्यवस्था को 12 सितंबर, 2025 तक बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें संपत्ति फ्रीज, यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध शामिल हैं।
सूडान अप्रैल 2023 के मध्य से एसएएफ और आरएसएफ के बीच विनाशकारी संघर्ष की चपेट में है।
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के नवीनतम अनुमानों के अनुसार, इस घातक संघर्ष के परिणामस्वरूप 28,700 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 14 मिलियन से अधिक लोग सूडान के अंदर या बाहर विस्थापित हुए हैं।
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