Home लेख ये तो होना ही था ! विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल में भाजपा का लहराया परचम
लेख - July 5, 2021

ये तो होना ही था ! विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल में भाजपा का लहराया परचम

-अशोक मधुप-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

उत्तर प्रदेश में बहु प्रतिक्षित जिला पंचायत चुनाव संपन्न हो गया। हर बार की तरह इस चुनाव में सत्ता बल और धनबल विजयी रहा। सिद्धांत और विचार धारा कूड़े में पड़ी नजर आईं। विचारधारा गौण हो गई। प्रदेश की 75 जिला पंचायत सीट में से 67 पर भाजपा विजयी रही। दो सीट पर उसके समर्थक दल का कब्जा रहा। सपा को सिर्फ पांच सीट मिली। एक सीट रालोद को गई। पश्चिमी इलाके में सपा- रालोद और भाकियू का गठबंधन कोई भी करिश्मा नहीं कर सका। अपने गढ़ मुजफ्फर नगर में भारतीय किसान यूनियन का प्रत्याशी मात्र चार वोट पाकर ही घर बैठ गया। रालोद-भाकियू के गढ़ पश्चिम उत्तर प्रदेश की 14 सीट में से 13 पर भाजपा ने विजय पताका फहराई।

चुनाव शुरू होने से ही कुछ लोग इसे राजनैतिक रंग देने में लगे थे। वे इसे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल बता रहे थे। भाकियू के दिल्ली बार्डर पर चल रहे आंदोलन के मद्देनजर कुछ विश्लेषकों का कहना था कि इस चुनाव में भाजपा को भाकियू की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा। वह ये भूल गए कि ये चुनाव सत्ता का चुनाव है। सत्ता में जो दल होता है, उसके ही प्रत्याशी प्रायः विजयी होतें हैं। 2016 में समाजवादी पार्टी की सरकार में सपा के 26 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए थे। जबकि इस बार भाजपा के 21 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध बने। एक सपा का भी जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुना गया। सपा सरकार में 2016 के चुनाव में सपा के 63 जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए थे। इस बार भाजपा और उसके समर्थक दल के दो अध्यक्ष मिला कर कुल 69 चुने गए हैं।

बसपा ने तो पहले ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। सपा- रालोद मिलकर चुनाव लड़ रहे थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारतीय किसान यूनियन भी इनके साथ थी। इसके बावजूद यह शुरूआत से ही बैकफुट पर रहे। इस चुनाव में आम जनता मतदान नहीं करती है बल्कि जनता से चुने गए सदस्य मतदान करते हैं। मीडिया रिपोर्टों में यहां तक कहा गया कि इनकी खुलकर बोली लगती है। निर्धारित राशि तै हो जाने पर सदस्य प्रत्याशी के साथ चले जाते हैं। इस बार सदस्य का रेट 15 से 20 लाख के आसपास रहा। विजेता को पांच- छह करोड़ के आसपास रूपया व्यय करना पड़ा।

चुनाव की विशेष बात यह रही कि इसमें जमकर क्रास वोटिंग हुई। बिजनौर जनपद में भाजपा के आठ सदस्य विजयी हुए थे। अन्य दल के इस प्रकार थे। सपा 20, रालेद चार भाकियू दो,असपा आठ , बसपा पांच अन्य छह। सपा,रालोद और भाकियू के दो सदस्य मिलाकर 26 सदस्य हो रह थे। लग रहा था कि सपा प्रत्याशी विजयी होगा। किंतु 26 की जगह सपा को 25 ही वोट मिले। भाजपा के साकेंद्र चैधरी 30 मत पाकर विजयी रहे।

मुजफ्फरनगर में अकेले भाकियू ने अपना प्रत्याशी लड़ाया। यह भाकियू का गढ़ है। भाकियू को अपने गढ़ में ही बुरी तरह पराजय हाथ लगी। उसके प्रत्याशी सत्येंद्र बालियान को कुल चार मत मिले। इस सीट पर भाजपा के 13 सदस्य ही विजयी हुए थे। भाजपा इन तेरह की बदौलत तीस तक पंहुच गई। भाजपा प्रत्याशी 26 मत से विजयी रहा।आठ में से पांच मुस्लिम सदस्यों ने भी भाजपा प्रत़्याशी को वोट किया। नौ मतदाताओं ने मतदान नही किया। रालोद-भाकियू के गढ़ पश्चिम उत्तर प्रदेश की 14 सीट में से 13 पर भाजपा ने विजय पताका फहराई। अकेले बागपत में ही रालोद का प्रत्याशी विजयी रहा।

चुनाव संपन्न हो गया । अगर इसे विधान सभा चुनाव का सेमीफाइनल माने तो भाजपा पूर्ण बहुमत से भी आगे निकल गई। वैसे इस चुनाव को विधान सभा चुनाव का सेमी फाइनल कहना गलत है। इतना जरुर है कि ये भाजपा के 67 और दो गठबंधन के कुल 69 जिला पंचायत अध्यक्ष विधान सभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को विजय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। आगामी चुनाव में प्रत्याशी के पक्ष में मजबूती के साथ खड़े होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Check Also

टोयोटा की अप्रैल में बिक्री 32 प्रतिशत बढ़कर 20,494 इकाई

नई दिल्ली, 01 मई (ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस)। टोयोटा किर्लोस्कर मोटर की अप्रैल महीने में थोक…