मात दें पेट के भारीपन को
-; ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
क्या डिनर में भारी खाना खाए बिना अक्सर आपका पेट असुविधाजनक रूप से भारी लगता है? यहां बताए गए सुझाव आपको राहत दे सकते हैंः
क्या आप इस समस्या से परेशान हैं कि आपका पेट आपको हॉट एयर बलून जैसा दिखाता है, तो आप अकेली नहीं हैं। न्यूट्रिशनिस्ट के पास लोगों की जो सबसे आम शिकायतें आती हैं, वो हैं बदहजमी, गैस की तकलीफ, हार्ट बर्न, एसिडिटी और ब्लॉटिंग यानी पेट का भारीपन। हमने एक्सपर्ट्स से बात की और जाना कि क्या हमारी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव इस परेशानी को कम कर सकते हैं। मसलन, शुगर फ्री गम को बार-बार चबाने से बचना। इसलिए अगली बार जब आप अपनी न्यूट्रिशनिस्ट या डॉक्टर के पास जाएं, तो इन छोटे-मोटे सुधारों के साथ पहुंचे लेकिन इससे पहले हम जानते हैं कि हमें पेट का भारीपन क्यों महसूस होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है?
सही तरीके से चबाएं
पेट के भारीपन का सबसे आम कारण बदहजमी है। एक ऐसी समस्या, जिसकी शुरुआत भोजन को निगलने से होती है। बचपन में हमें कहा जाता है कि हमें अपने भोजन को कम से कम 32 बार चबाना चाहिए। इसका मकसद था कि हमारा भोजन उन रसों के साथ ठीक तरह से मिल जाए, जो हमारी पचान क्रिया में सहायक हैं। लेकिन आजकल हम जल्दबाजी में भोजन को निगलते हैं, बताती हैं न्यूट्रिशनिस्ट निलांजना सिंह। वह कहती हैं, खाते समय बात करते या गम चबाने से हम हवा निगल जाते हैं, जिससे स्थिति और खराब हो सकती है। धीरे धीरे खाएं और अपने दिमाग को कम से कम 20 मिनट का समय दें यह महसूस करने के लिए कि आपने पर्याप्त भोजन कर लिया है और अब आपको जायकेदार मटन करी के तीसरे चम्मच की जरूरत नहीं है।
भूख से ज्यादा न खाएं
अगर आप बार-बार खाती हैं, तो एसिड रीफ्लक्स (उतार-चढ़ाव) की संभावनाएं रहती हैं। यह वह स्थिति है, जहां भोजन पेट के एसिड्स और दूसरे पाचन संबंधी रस इसोफैगस यानी भोजन नलिका में बहने लगते हैं। जब एसिड रीफ्लक्स मसल्स, जो भोजन के पेट में प्रवेश करते समय खुलती हैं और फिर एसिड को पीछे की तरफ आने से रोकने के लिए बंद होती हैं, ठीक तरह से काम नहीं करती। अपनी खुराक पर नियंत्रण रखने का प्रयास करें और प्रति मील केवल एक प्रोटीन खाएं। आयुर्वेद के अनुसार, दो भोजन के बीच कम से कम पांच घंटे का अंतराल होना चाहिए, जिससे शरीर को पाचन के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
कृत्रिम मिठास को कहें न
कृत्रिम मीठे में जो आम सामग्री होती है, वह है सॉर्बिटोल जो बेहद धीमी प्रोसेस से मेटाबलाइज होता है। एक और सामग्री फ्रक्टोज जो नैसर्गिंक शक्कर को पचाना मुश्किल होता है, इसे कम करें। डायट सोडा, कृत्रिम मिठास, एनर्जी बार्स और अन्य सामग्रियां जिनमें सार्बिटॉल शामिल हों, उन्हें छोड़ दें। शक्कर के बजाय चाय में एक चम्मच गुड़ मिलाएं।
पैकेट वाले खाने से बचें
प्रोसेस्ड फूड्स में जो प्रजर्वेटिव्स, रंग और जो ऐडिटिव्स शामिल होते हैं, वो पाचन में सहायक आंत के अच्छे बैक्टीरिया को ठीक तरह से काम नहीं करने देते। इससे पेट का भारीपन और बदहजमी जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। दरअसल, भोजन में थोड़ा बहुत पोषण होता है, उसे भी ऐडिटिव्स नष्ट कर देते हैं। भोजन को उसके नेचरल रूप में ही खाएं और प्लास्टिक में लिपटे, ललचाने वाले भोजन से ही दूर ही रहें।
ढेर सारा पानी पीएं
शरीर में पानी का जमाव भी ब्लॉटिंग से संबंधित हो सकता है। पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने से यह समस्या हो सकती है। पानी की कमी महसूस कर शरीर पानी इकट्ठा करने लगता है। पानी के अणु सोडियम के साथ मिल जाते हैं और शरीर के अंदर रह जाते हैं। शरीर में नमी का स्तर बनाए रखें, ताकि आपका शरीर पानी के साथ टॉक्सिंस भी बाहर निकाल सके।
गैस को कम करें
कोला और अन्य कार्बनेटेड ड्रिंक्स शरीर में गैस भरते हैं। कार्बनेटेड ड्रिंक्स के बजाय ताजा निचोड़े गए फलों के रस, नारियल पानी, छाछ या जलजीरा का एक बड़ा गिलास खाने के साथ पीएं।
स्मोकिंग और ड्रिंकिंग पर लगाम
अध्ययन बताते हैं कि धूम्रपान करने वाले लोग सांस में ज्यादा हवा खींचते हैं, जो उनके शरीर में गैस इकट्ठा होने की संभावनाओं को बढ़ा देता है। अगर आप स्मोकिंग और ड्रिकिंग पूरी तरह नहीं छोड़ सकते, तो इन पर लगाम कसें।
नियमित व्यायाम करें
जब आप कब्ज से पीड़ित होते हैं, तो निचली आंत में अपशिष्ट इकट्ठा होने लगता है, जिससे आंत में ज्यादा गैस रिलीज होती है। एक्सर्साइज या किसी भी प्रकार की गतिविधि मांसपेशियों को शिथिल कर समस्या को कम कर सकती है। पानी पीतीं रहें और फाइबर्स का सेवन खूब करें।
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